महिलाएं आमतौर पर सलाह के लिए स्त्री रोग विशेषज्ञों से आगे नहीं जाती है जो अक्सर हिस्टेरेक्टॉमी या मायोमेक्टोमी की सलाह देती हैं। गर्भाशय फाइब्रॉएड एम्बलाईजेशन एक न्यूनतम व्यापक उपचार है जो तेजी से ठीक होने, कम दर्दनाक और गर्भाशय को धारण करने के लाभों के साथ प्रभावी है।
Narayana Health Care
फाइब्रॉएड से ग्रसित एक महिला के लिए हिस्टेरेक्टॉमी द्वारा गर्भाशय को निकालने से ज्यादा और कुछ भी उतना दर्दनाक नहीं हों सकता है, जो की स्त्री रोग विशेषज्ञों द्वारा सुझाया गया सामान्य उपचार है। हिस्टेरेक्टॉमी (गर्भाशय को हटाना) या मायोमेक्टॉमी (फाइब्रॉएड को हटाना), संबद्ध अस्पताल में रहना, दर्द और धीमी गति से स्वस्थ होना एक दर्दनाक अनुभव है। गर्भाशय फाइब्रॉएड एम्बलाईजेशन (यूएफइ) या गर्भाशय धमनी एम्बलाईजेशन (यूएइ) एक अनोखा, न्यूनतम व्यापक (इनवेसिव) प्रक्रिया जो गर्भाशय को बचा कर और फाइब्रॉएड की शल्यचिकित्सा किए बिना फाइब्रॉएड को सिकोड़कर छोटा बना देती है। यह उपचार एक ही दिन के भीतर की जाने वाली प्रक्रिया है और रोगी को उसी दिन छुट्टी मिल जाती है।
गर्भाशय फाइब्रॉएड गर्भाशय या गर्भ में गैर-कैंसरजन्य वृद्धि/ट्यूमर है जो महिलाओं में रोग का एक सामान्य कारण है। 30 से 50 वर्ष की आयु की लगभग 1 से 3 महिलाएं फाइब्रॉएड से पीड़ित होती हैं। फाइब्रॉएड कोई भी लक्षण ना दिखानेवाला भी हो सकता है या निम्न लक्षणों में से एक हो सकता है।
प्लेटलेट्स बढ़ाने के उपाय - Platelets Badhane Ke Upay in Hindi
प्लेटलेट्स के बारे में सरल रूप में समझा जाए तो कह सकते हैं कि यह ऐसी कोशिकाएं होती हैं जो रक्त को बहने से रोकती है. शरीर में किसी चोट या अन्य कारण से रक्तवाहिका से रक्तस्त्राव होने पर प्लेटलेट्स के द्वारा ही खून को रोकने का कार्य किया जाता है. मुख्यतः प्लेटलेट्स की कमी समस्या का कारण बनती है. आगे हम जानेंगे कि प्लेटलेट्स क्या है, प्लेटलेट्स के कार्य, यह क्यों घटते है, प्लेटलेट्स की कमी के लक्षण व कारण और इनको बढ़ाने के उपाय आदि. प्लेटलेट्स की संख्या कम होने पर कट्स से लंबे समय तक रक्तस्राव होना, मसूड़ों या नाक से रक्तस्राव, मूत्र या मल में खून, महिलाओं को असामान्य रूप से भारी मासिक धर्म, थकान और सामान्य कमजोरी की शिकायत कर सकते हैं. आइए इस लेख के माध्यम से हम प्लेटलेट्स बढ़ाने के उपायों को जानें.
विदेशी भुगतान -विदेश मुद्रा भेजना
आज क्या बाहरी दिन तेजी या मंदी का दिन है? के समय में ऑनलाइन पैसे भेजने का रिवाज ज़ोर पकड़ रहा है। तकनीकी क्रान्ति ने भौतिक सीमाओं को केवल कागजों पर समेट दिया है। भौगोलिकीकरन व डिजिटाइजेशन के कारण लोग विभिन्न कारणों जैसे पढ़ाई और व्यापार के सिलसिले में विदेश आना-जाना बढ़ गया है। कारण चाहे कोई भी हो लेकिन एक चीज की आवशयकता हमेशा स्थायी रूप से बनी रहती है और वह है विदेशी मुद्रा। लेकिन अब विदेशी मुद्रा को प्रयोग करने के क्या बाहरी दिन तेजी या मंदी का दिन है? तरीके चाहे कुछ भी हो, लेकिन उसे प्राप्त करना पहले की मुक़ाबले अधिक सरल हो गया है। इससे कोई अंतर नहीं होता कि आप विदेश में मुद्रा को भेजना चाहते हैं या भारत में ही भुगतान करना हो, आप इन सभी कामों के लिए क्या बाहरी दिन तेजी या मंदी का दिन है? बिलकुल सही जगह पर हैं।
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दिन में 5 कप चाय पीने से तेज होती है याददाश्त? साइंस ने माना ये चाय देती है सबसे ज्यादा फायदा
Written by Jitendra Gupta | Published : January 27, 2021 9:17 AM IST
अगर आप सोचते हैं कि पानी पीना हमारे जीवन की पहली जरूरत है तो आप बिल्कुल सही लेकिन यह हरदम सही नहीं है। जी हां, पानी के बाद चाय (tea)लोगों का दूसरा सबसे पसंदीदा विकल्प है। चाय के शौकीन लोगों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि बाहर मौसम कैसा है या फिर क्या समय हो रहा है उन्हें तो बस आराम के लिए और खुद को फिर से एनर्जी भरा महसूस करने के लिए चाय की जरूरत होती है। ऐसा क्या बाहरी दिन तेजी या मंदी का दिन है? भी नहीं है कि आपको चाय पीने के लिए किसी खास ब्रेक की जरूरत होती है ब्लकि आप अपने दोस्तों-परिवार के अन्य सदस्यों के साथ बातचीत करते हुए भी चाय का लुत्फ उठा सकते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक उम्र के बाद चाय पीने से आपको कितना फायदा पहुंचता है। अगर नहीं तो लेख में आपको आगे पता चलेगा कि चाय बुढ़ापे में कितनी फायदेमंद साबित होती है।
बुढ़ापे में चाय पीने के फायदे (tea health benefits)
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि एक उम्र के बाद हमारा इम्यून सिसस्टम कमजोर हो जाता है और हम क्रॉनिक डिजीज के प्रति अतिसंवेदनशील हो जाते हैं। इसलिए जरूरी हो जाता है कि बुढ़ापे में स्वस्थ जीवन जीने के लिए हमें अतिरिक कदम उठाने की जरूरत है। एक नए अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि दिन में 5 कप चाय (tea)पीने से 85 साल की उम्र के लोगों की दक्षता और किसी चीज पर प्रतिक्रिया देने की ताकत बढ़ जाती है।
न्यूकासेल यूनिवर्सिटी के ह्यूमन न्यूट्रीशन रिसर्च सेंटर प्रोजेक्ट के प्रमुख डॉ. एडवर्ड ओकेलो ने इस बात को स्पष्ट किया है कि बुढ़ापे में ज्ञान संबंधी चीजों में सुधार न सिर्फ चाय (tea) में मौजूद यौगिकों के कारण होता है बल्कि ये बरसों से चले आ रहे रीति रिवाजों और चाय के साथ गपशप भी इसमें एक बड़ी भूमिका निभाता है।
Also Readक्या कहती है स्टडी
इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 85 साल की उम्र से अधिक के 1000 से ज्यादा बुजुर्गों को अपनी स्टडी का हिस्सा बनाया और 2006 से लेकर 2020 तक के आंकड़ों को जुटाया। शोधकर्ताओं का प्रारंभिक लक्षय ये पता लगाना था कि काली चाय यानी की ब्लैक टी पीने से मेमोरी लॉस जैसी समस्या में राहत मिलती है या नहीं। अध्ययन के अंत में उन्होंने पाया कि अधिक चाय पीने से आपको ध्यान लगाने में अधिक सुधार होता है और उसके साथ ही कोई भी काम करने की दक्षता बढ़ती है। हालांकि उन्होंने चाय (tea) पीने और कुलामिलाकर याददाश्त संबंधी गतिविधियों के बीच कोई संबंध नहीं पाया है।
अध्ययन में विशेषरूप से बिना मीठे वाली ब्लैक टी के बारे में बात की गई है। लेकिन सभी प्रकार की चाय में या तो थोड़े ज्यादा यौगिक होते हैं या फिर थोड़े कम। इसलिए संभावना है कि अगर आप सामान्य चाय भी पीएंगे तो आपको फायदा जरूर मिलेगा। हां इस बात का ध्यान जरूर रखें कि चाय में चीनी बहुत कम हो या फिर आप सामान्य चाय के मुकाबले हर्बल चाय का भी लुत्फ उठा सकते हैं।
Healthy Toilet Tips In hindi : शौच के समय ये 10 गलतियां बिगाड़ती हैं आपका स्वास्थ्य, जानें कौन सी गलती पड़ सकती है भारी
Written by Jitendra Gupta | Updated : November 25, 2021 6:04 PM IST
शौच के समय ये 10 गलतियां बिगाड़ती हैं आपका स्वास्थ्य
सुबह उठने के बाद अगर पेट पूरी तरह साफ न हो तो आप जानते ही होंगे कि पूरा दिन किस परेशानी में बीतता है। न काम में मन लगता है न कुछ खाने का मन करता है और तो और पेट भी फूला-फूला रहता है। ऐसा तब तक रहता है जब तक आप खुलकर शौच नहीं करते हैं। इस बात से सभी सहमत होंगे कि सुबह के समय फ्रेश होना कितना जरूरी है क्योंकि जब तक पेट पूरी तरह से साफ नहीं होती है तो पूरे दिन बैचैनी और थकान महसूस होती रहती है। बहुत से वृद्ध और तो और अब 30 के बाद की उम्र के लोग इस समस्या से परेशान रहने लगे हैं। इसके पीछे कहीं न कहीं सुबह शौच जाते समय ऐसी कुछ गलतियां हैं, जिनके कारण हमारा पेट साफ नहीं हो पाता है और हमारा स्वास्थ्य बिगड़ने लगता है। आइए जानते हैं ऐसी कौन सी गलतियां हैं, जिनके बारे में जानना बहुत ही जरूरी हैं।
शौच जाने का सही वक्त क्या है?
आयुर्वेद के मुताबिक, हर व्यक्ति के लिए शौच जाने का सर्वोत्तम समय तड़के 5 बजे से लेकर 6 बजे तक का होता है। दरअसल इस समय हमारे शरीर में वायु का प्रकोप तेज होता है, जो मल को बाहर निकालने के लिए आवश्यक होता है। ये ऐसा समय है, जो मल त्यागने के लिए अत्यंत रूप से सुलभ होता है। इस बात का ध्यान रखें कि जो व्यक्ति जितना देर से मल त्यागने जाता है, उसे उतनी देर तक शौचालय में बैठना पड़ता है। ये हमारी आंतों व गुदा के लिए बहुत ही हानिकारक माना जाता है। Also Read - जैकलीन फर्नांडिस की डाइट और फिटनेस रूटीन है सबसे अलग
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