Muzaffarnagar News- व्यापार मंडल के पदाधिकारियों के साथ मासिक गोष्ठी हुई आयोजित
मुजफ्फरनगर। (Muzaffarnagar News) वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल द्वारा सुरक्षा व्यवस्था एवं यातायात के दृष्टिगत व्यापार मंडल के पदाधिकारियों के साथ मासिक गोष्ठी आयोजित की गई, जिसमें उनकी समस्याओं को सुनकर त्वरित/विधिक निस्तारण हेतु सम्बन्धित को आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मुजफ्फरनगर श्री विनीत जायसवाल महोदय द्वारा व्यापार मण्डल के पदाधिकारियों के साथ पुलिस लाइन स्थित सभागार कक्ष में मासिक गोष्ठी आयोजित की गयी। इस दौरान व्यापार मण्डल के पदाधिकारियों सहित पुलिस अधीक्षक अपराध श्री प्रशान्त कुमार प्रसाद, पुलिस अधीक्षक यातायात श्री कुलदीप सिंह, अपर पुलिस अधीक्षक श्री आयुष विक्रम सिंह, क्षेत्राधिकारी नई मण्डी श्री हिमांशु गौरव, प्रतिसार निरीक्षक श्री मुहम्मद नदीम, नगर क्षेत्र के सभी थाना प्रभारी व अग्निशमन विभाग के अधिकारी मौजूद रहे।
गोष्ठी में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदय द्वारा व्यापार मण्डल के पदाधिकारियों से उनकी समस्याओं के बारे में विस्तार से जानकारी ली गयी और उनकी सुरक्षा से संबंधित सभी पहलुओं की समीक्षा कर निराकरण करने एवं सम्पूर्ण सुरक्षा का आश्वासन देते हुए अपराध एवं अपराधियों के विरूद्ध चलाये जा रहे विभिन्न अभियानों के बारे में जानकारी दी गयी।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदय ने कहा कि व्यापारियों की सुरक्षा के लिए पुलिस निरंतर शहर में गश्त करती है मगर इसके अतिरिक्त व्यापारियों को भी सुरक्षा के प्रति सतर्क होना पड़ेगा । सभी व्यापारी बंधुओं को सुरक्षा की दृष्टि से अपने-अपने प्रतिष्ठानों पर सीसीटीवी कैमरे लगवाने, रात्रि में प्रकाश की उचित व्यवस्था रखने, आपसी सहयोग से मार्केट में सुरक्षा गार्डध्चौकीदार रखने, व्यापारिक कार्यों के दौरान कैश का परिवहन करने से पूर्व पुलिस को सूचित करने, किसी व्यापारी बंधु को किसी आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति से किसी प्रकार का खतरा होने पर पुलिस को तत्काल सूचना देने आदि के संबंध में अवगत कराया गया।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा यातायात के सुचारू रूप से संचालन एवं जाम की समस्या ट्रेंड लाइनों के साथ व्यापार के निराकरण के लिए सम्बन्धित को आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये साथ ही सभी व्यापारी बंधुओं को साइबर फ्रॉडध्आनलाइन ठगी से बचाव के तरीको पर विस्तार से जानकारी दी गयी ।
India's First Electric train: जानें भारत में पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन कब और कहां से चली थी?
India's First Electric train: भारतीय रेलवे परिवहन में एक प्रमुख भूमिका निभाता है. लोग ज्यादातर रेलवे से यात्रा करना पसंद करते हैं और सामान आसानी से ट्रेन के माध्यम से ले जाया जा सकता है. विकासशील देशों में रेलवे देश की अर्थव्यवस्था महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. इसमें बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार के अवसर मिलते हैं. छोटे वेंडर और दुकानदार भी रेलवे स्टेशन पर सामान बेचकर मुनाफा कमाते हैं.
रेल यातायात, सिग्नलिंग और संचार की एक कुशल प्रणाली है. यह भारत की आर्थिक जीवन रेखा भी है क्योंकि कई यात्री प्रतिदिन इसका उपयोग करते हैं. हममें से ज्यादातर लोगों के पास ट्रेनों में यात्रा करने का अनुभव होगा. आइये जानते हैं भारत में पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन कब और कहां से चली थी.
भारत में पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन कब और कहां से चली थी.
भारत में पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन 3 फरवरी, 1925 को बॉम्बे वीटी ((अब छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, मुंबई) और कुर्ला हार्बर के बीच चली थी. ट्रेन को 1500 वोल्ट डीसी (डायरेक्ट करंट) पर विद्युतीकृत किया गया था. इसे तत्कालीन बॉम्बे गवर्नर सर लेस्ली विल्सन ने झंडी दिखाकर रवाना किया था. कैमेल लैयर्ड (Cammell Laird) और उर्डिंगेन वैगनफैब्रिक (Uerdingen Waggonfabrik) (वैगन फैक्ट्री) ने इस ट्रेन के लिए लोकोमोटिव का निर्माण किया था.
सेंट्रल रेलवे के महाप्रबंधक अनिल कुमार लाहोती के अनुसार सेंट्रल रेलवे अपने यात्रियों को चार लाइनों पर सर्वोत्तम संभव और आरामदायक यात्रा प्रदान करना जारी रखेगा. मेन, हार्बर और ट्रांसहार्बर और चौथा कॉरिडोर (नेरुल/बेलापुर-खारकोपर).
बाद में नासिक के इगतपुरी जिले और फिर पुणे तक बिजली लाइन का विस्तार किया गया. 5 जनवरी1928 को कोलाबा और बोरीवली के बीच पश्चिम रेलवे के उपनगरीय खंड पर 1500 वोल्ट डीसी ट्रैक्शन शुरू किया गया था और 15 नवंबर 1931 को मद्रास बीच और दक्षिण रेलवे के तांबरम के बीच किया गया था. इस प्रकार, स्वतंत्रता से पहले, भारत में 388 KM डीसी विद्युतीकरण था.
आइये अब कुछ अन्य तथ्यों पर नज़र डालते हैं
- स्वतंत्रता के बाद के युग में, पहली पंचवर्षीय योजना की अवधि के दौरान 3000 वोल्ट डीसी पर पूर्व रेलवे के हावड़ा-बर्दवान खंड के विद्युतीकरण का कार्य 1958 में पूरा किया गया था.
- भारतीय रेलवे ने 1957 में SNCF के साथ प्रारंभिक चरणों में 25 kV AC विद्युतीकरण प्रणाली को मानक के रूप में अपनाने का निर्णय लिया.
- 25 kV AC सिस्टम पर विद्युतीकरण किया जाने वाला पहला खंड वर्ष 1960 में दक्षिण पूर्व रेलवे का राज खरस्वां-डोंगोपोसी (Raj Kharswan - Dongoposi ) था.
- पूर्व रेलवे के हावड़ा - बर्दवान खंड और दक्षिण रेलवे के मद्रास बीच - तांबरम खंड को 1968 तक 25 kV AC प्रणाली में बदल दिया गया था.
- 1960 में चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स (CLW) में इलेक्ट्रिक इंजनों का उत्पादन एक साथ स्वदेशी रूप से शुरू किया गया था और बॉम्बे एरिया लोकमान्य के लिए पहले 1500 V DC इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू द्वारा 14 अक्टूबर1961 को हरी झंडी दिखाई गई थी.
- कलकत्ता उपनगरीय सेवाओं के लिए आवश्यक इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट्स (EMUs) का निर्माण इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF), पेरम्बूर में स्वदेशी रूप से किया गया था और सितंबर 1962 के दौरान पहला EMU शुरू किया गया था.
- भारतीय रेलवे ने दूसरी पंचवर्षीय योजना के दौरान 25 kV AC ट्रैक्शन पर 216 RKM (रूट किलोमीटर) का विद्युतीकरण पूरा किया.
- तीसरी योजना के दौरान, स्वदेशीकरण के साथ, विद्युतीकरण को अन्य 1678 RKM में विस्तारित किया गया था.
- भारतीय रेल ने सातवीं योजना के दौरान 2812 RKM, आठवीं योजना के दौरान 2708 RKM, नौवीं योजना के दौरान 2484 RKM, दसवीं योजना के दौरान 1810 RKM और ग्यारहवीं योजना में 4556 RKM की रिकॉर्ड प्रगति हासिल की थी.
- बारहवीं योजना (2012-17) में भारतीय रेलवे ने 6244 RKM विद्युतीकरण हासिल किया.
CORE मिशन के रूप में दिसंबर 2023 तक भारतीय रेलवे के सभी BG मार्गों को विद्युतीकृत करने की योजना बनाई गई है. IR ने 2020-21 में 6015 RKM का विद्युतीकरण हासिल किया है.
इन बड़े कदमों के साथ श्रीलंका में चीन का प्रभाव कम कर रहा है भारत.
नवीकरणीय ऊर्जा और बिजली परियोजनाओं की स्थापना के लिए भारतीय निवेश की मांग के अलावा, श्रीलंका पूर्वोत्तर में त्रिंकोमाली में बंदरगाह के विस्तार और विकास पर नई दिल्ली के साथ काम करने का भी इच्छुक है.
भारत ने क्रेडिट लाइन सहित जनवरी और जुलाई के बीच त्वरित सहायता के रूप में लगभग 4 बिलियन डॉलर दिए हैं.
इस साल श्रीलंका सात दशकों में अपने सबसे खराब आर्थिक संकट में घिर गया. देश में ईंधन, भोजन और दवाओं की भारी कमी हो गई, जिसके बाद हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए, तब भारत ने मदद का हाथ बढ़ाया. भारत ने जनवरी और जुलाई के बीच लगभग 4 बिलियन डॉलर की सहायता की, जिसमें क्रेडिट लाइन, एक मुद्रा स्वैप व्यवस्था और आस्थगित आयात भुगतान शामिल थे. साथ ही इस द्वीप के 22 मिलियन लोगों के लिए आवश्यक दवाएं ले जाने वाला एक युद्धपोत भी भेजा.
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सरकार के मंत्री और तीन सूत्रों ने कहा है, "अब, जब श्रीलंका ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से 2.9 बिलियन डॉलर का ऋण सौदा किया है और इसकी अर्थव्यवस्था स्थिर हो गई है, भारत क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी चीन के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए महत्वाकांक्षी दीर्घकालिक निवेश करने की कोशिश कर रहा है."
श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने इस महीने एक इंटरव्यू में कहा, "अभी हम जो देख रहे हैं, वह उनसे निवेश है. वे जितना हो सके उतना निवेश करने को तैयार हैं. भारत संभवत: रणनीतिक रूप से अपनी सुरक्षा चिंताओं के कारण इसे देख रहा है."
इस मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने रॉयटर्स को बताया कि हिमालय की ट्रेंड लाइनों के साथ व्यापार सीमा पर चीन के साथ लगातार टकराव के समय क्षेत्रीय सुरक्षा हमेशा भारत के लिए एक फोकस होगी. सूत्र ने कहा, "सुरक्षा चिंताओं के बारे में कोई दो तरीके नहीं हैं, दीर्घकालिक जुड़ाव के संदर्भ में, यह निवेश है, जिस पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है."
कई अधिकारियों ने कहा कि द्वीप के उत्तर में नवीकरणीय ऊर्जा और बिजली परियोजनाओं की स्थापना के लिए भारतीय निवेश की मांग के अलावा, श्रीलंका पूर्वोत्तर में त्रिंकोमाली में बंदरगाह के विस्तार और विकास पर नई दिल्ली के साथ काम करने का भी इच्छुक है. उत्तरी श्रीलंका की भारत से निकटता का लाभ उठाते हुए, ये परियोजनाएं नई दिल्ली को पिछले 15 सालों में निर्मित द्वीप के दक्षिण में चीन की व्यापक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को संतुलित करने में मदद कर सकती हैं. श्रीलंका का तमिल बहुल उत्तर भी दक्षिणी भारत के तमिलनाडु राज्य के साथ जातीय संबंध साझा करता है.
चीन के बारे में चिंता, इस साल भारतीय सहायता का पैमाना, जो अब तक अन्य दाताओं से अधिक है, एशिया को यूरोप से जोड़ने वाले व्यस्त जलमार्गों के साथ अपने दक्षिणी सिरे से कुछ मील की दूरी पर स्थित द्वीप में प्रभाव को कम करने के लिए नई दिल्ली के प्रयासों को रेखांकित करता ट्रेंड लाइनों के साथ व्यापार है.
तमिलनाडु के पंबन ब्रिज पर 28 दिसंबर तक ट्रेन सेवाएं बंद
रेलवे के एक बयान के मुताबिक, पुल पर लगे कंटीन्यूअस हेल्थ मॉनिटरिंग सिस्टम (सीएचएमएस) द्वारा मिले रेड अलार्म के कारण 23 से 25 दिसंबर तक रुके पंबन रेल पुल पर ट्रेनों का परिचालन अब 28 दिसंबर तक स्थगित कर दिया गया है.
चेन्नई। रेलवे के एक बयान के मुताबिक, पुल पर लगे कंटीन्यूअस हेल्थ मॉनिटरिंग सिस्टम (सीएचएमएस) द्वारा मिले रेड अलार्म के कारण 23 से 25 दिसंबर तक रुके पंबन रेल पुल पर ट्रेनों का परिचालन अब 28 दिसंबर तक स्थगित कर दिया गया है. बयान के मुताबिक, चेन्नई से रामेश्वरम जाने वाली एक्सप्रेस ट्रेनें 25 से 27 दिसंबर तक कॉर्ड लाइन और मेन लाइन पर चलीं।
रामेश्वरम से चेन्नई तक एक्सप्रेस ट्रेनें 26 से 28 दिसंबर तक कॉर्ड लाइन और मेन लाइन पर चलती थीं, हालांकि मंडपम और रामेश्वरम के बीच, उन्हें आंशिक रूप से रद्द कर दिया गया था। देश के विभिन्न स्थानों से रामेश्वरम जाने वाली सभी साप्ताहिक ट्रेनों को रामेश्वरम और मंडपम के बीच आंशिक रूप से रद्द कर दिया गया है, जबकि रामेश्वरम-कोयम्बटूर-रामनाथपुरम-रामेश्वरम साप्ताहिक ट्रेन को उन दो स्थानों के बीच आंशिक रूप से रद्द कर दिया गया है। इसी तरह, त्रिची और रामेश्वरम और मदुरै और रामेश्वरम के बीच मार्गों पर रामनाथपुरम और रामेश्वरम स्टेशनों के बीच यात्रा करने वाली एक्सप्रेस ट्रेनें आंशिक रूप से रद्द हैं।
दक्षिणी रेलवे के प्रधान मुख्य अभियंता देश रतन गुप्ता और मुख्य अभियंता (पुल) सुमीत सिंघल ने शनिवार को पुल का निरीक्षण किया। चूंकि ट्रैक की व्यवहार्यता का मूल्यांकन करने के लिए खाली रेक संचालित करने से पहले रेलवे और आईआईटी-एम, जिसने सीएचएमएस की स्थापना की थी, द्वारा एक पूर्ण निरीक्षण आवश्यक था, ट्रेन सेवाओं के निलंबन को लंबा करना पड़ा।
तब तक, रामेश्वरम जाने वाली सभी ट्रेनें मंडपम स्टेशन से चलेंगी, जबकि रामनाथपुरम और रामेश्वरम के बीच कुछ ट्रेनें रद्द कर दी गई हैं।
कैंट में कुछ लोग पानी चुरा रहे हैैं !
मेरठ (ब्यूरो)। जिले में अगर कहीं चौड़ी-चौड़ी चमचमाती सड़कें, हर तरफ हरियाली और सुंदर चौराहे और उन पर फौजी तैनात दिखें तो समझ लीजिए कि आप कैंट में हैैं। क्योंकि यही कैंट की पहचान है। मगर खबर यह नहीं है, खबर यह है कि कैंट क्षेत्र इन दिनों लोग करीब 300 अवैध कनेक्शन के सहारे पानी चोरी करने में जुटे हैैं। जिसके चलते वैध कनेक्शन वाले आवेदकों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ता है। हालांकि कैंट बोर्ड इन सभी कनेक्शंस की जांच में जुट गया है।
300 लोगों को नोटिस
कैंट बोर्ड के आंकड़ों की मानें तो क्षेत्र में करीब 20 हजार परिवार रहते हैैं। मगर सूत्रों की मानें तो कैंट एरिया में हजारों लोगों ने पानी की मेन पाइपलाइन से अवैध कनेक्शन ले रखे हैं। इस बाबत पहले भी करीब दो हजार लोगों को कैंट बोर्ड नोटिस भेज चुका है। अब कैंट बोर्ड के पास करीब 300 ऐसे लोगों की शिकायत पहुंची है, जो कैंट बोर्ड की मेन पानी की पाइप लाइन में पाइप जोड़कर अवैध कनेक्शन के सहारे पानी चोरी कर रहे हैैं।
दो तरह के अवैध कनेक्शन
कैंट की जांच में सामने आया है कि क्षेत्र में दो तरह के अवैध कनेक्शन चल रहे हैैं। पहला अवैध कनेक्शन वो जो वैध कनेक्शन वाले आवदेक ने अपने पाइन से जोड़कर दूसरे को दे रखा है। दूसरा अवैध कनेक्शन वो है, जिसमें वैध कनेक्शन वाले आवेदक की जानकारी के बिना पाइप जोड़कर पानी चोरी किया जा रहा है। ऐसे आवेदकों को पूरी तरह पानी की सप्लाई नहीं मिल पाती है और वह इसकी शिकायत अक्सर कैंट बोर्ड ऑफिस में करते हैैं।
जुर्माना वसूला जाएगा
कैंट बोर्ड की टीम इन सभी अवैध कनेक्शंस की जांच में जुट गई है। सभी कनेक्शन की जांच कर संबंधित लोगों की सूची तैयार की जाएगी। इसके बाद इन सभी को नोटिस जारी कर जुर्माना वसूली की कार्रवाई की जाएगी। अवैध कनेक्शन पर बोर्ड की ओर से 10 हजार जुर्माने का प्रावधान है। साथ ही जबसे अवैध कनेक्शन चल रहा है, तब से 40 रुपए महीना जोड़कर वसूला जाएगा।
दो तरह का जुर्माना
कैंट बोर्ड के मुताबिक अवैध कनेक्शन के माध्यम से पानी का दोहन करने वालों पर नकेल कसने के लिए पानी के चार्ज के साथ ही उनसे पाइप लाइन का चार्ज भी अलग से वसूला जाएगा। इसके साथ ही अगर कोई उस लाइन से किसी अन्य पानी की लाइन को जोड़ा गया है तो वह भी दो तरह के जुर्माने की जद में आ जाएगा।
600 रुपए फिक्स चार्ज
कैंट बोर्ड की ओर से क्षेत्र में पानी कनेक्शन के लिए सालभर का फिक्स चार्ज 600 रुपए हैं। इसके अलावा पानी का 40 रुपए महीना अलग चार्ज भी देना होता है। साथ ही लाइन चार्ज भी देना अनिवार्य है। लाइन चार्ज का निर्धारण मेन पाइपलाइन से कनेक्शन लेने वाले के घर की दूरी के आधार पर होता है। मुख्य लाइन से पानी का कनेक्शन लेने वाले का घर जितना दूर होगा, लाइन चार्ज भी उनता ही ज्यादा होगा।
ऐसे मिलता है कनेक्शन
यदि किसी को कैंट क्षेत्र में पानी का कनेक्शन लेना है तो उसे पहले कैंट बोर्ड में ऑफलाइन या ऑनलाइन तरीके से आवेदन करना होगा। हालांकि इस वक्त ऑनलाइन पर ही फोकस किया जा रहा है। उसके बाद कैंट बोर्ड के कर्मचारी आवेदक को वैरिफाई करके पानी की मेन पाइपलाइन से उसका कनेक्शन जोड़ते हैैं। इसके बाद कनेक्शन का पूरा एस्टीमेट तैयार कर आवेदक को दिया जाता है।
पानी के अवैध कनेक्शन को लेकर पहले भी कई बार शिकायत की गई है। लेकिन इसको लेकर कैंट सीरियस नहीं है। हर बार कनेक्शन काटने की बात कहते हैं पर कोई कार्रवाई नहीं होती है।
अरूण, कैंटवासी
पानी अन्य लोग चुराते हैं, लेकिन इसके चलते कभी-कभी मेन कनेक्शन वालों को पानी की किल्लत झेलनी पड़ती है। ऐसे लोगों पर अगर कार्रवाई हो तो स्थिति में कुछ सुधार आए।
ममता, कैंटवासी
पानी के अवैध कनेक्शन के मामले में कैंट बोर्ड अक्सर विभिन्न तरह की कार्रवाई करने के दावे करता है। मगर हकीकत यह है कि कैंट बोर्ड केवल पैसा वसूलकर मामले को रफा-दफा कर देता है।
अमित बंसल, महामंत्री सदर व्यापार मंडल
कैंट क्षेत्र में पानी के अवैध कनेक्शन को लेकर लगातार शिकायतें आती रहती हैैं। मगर इस बारे में कैंट बोर्ड कोई कार्रवाई करता ही नहीं है। कैंट को तुरंत क्षेत्र में अवैध कनेक्शन खत्म करने चाहिए।
नवीन गुप्ता, अध्यक्ष, संयुक्त व्यापार संघ
जिन लोगों ने अवैध रूप से पानी की पाइप लाइन में पाइप जोड़कर कनेक्शन ले रखा था उनको नोटिस जारी किया है। उनसे जुर्माना वसूला जाएगा। उसके बाद उनको कनेक्शन दिया जाएगा, जिसका अलग चार्ज होगा। कुछ अवैध कनेक्शन की शिकायतें आई हैं, जिनको जांचकर उन्हें काटा जाएगा।
ज्योति कुमार, सीईओ, कैंट बोर्ड
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