एक बार फिर ऐतिहासिक स्तर पर फिसला रुपया, डॉलर इंडेक्स का ऐसा है हाल

डिंपल अलावाधी

Rupee vs Dollar: शेयर बाजार के अस्थाई आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने शुक्रवार को शुद्ध रूप से 2,899.68 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। ग्लोबल तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड वायदा 0.58 फीसदी गिरकर 85.65 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।

Rupee vs Dollar Indian Rupee touches lifetime low on monday

नई दिल्ली। अमेरिकी मुद्रा की मजबूती के बीच सोमवार को शुरुआती कारोबार में भारतीय रुपया (Rupee vs Dollar) 43 पैसे फिसलकर 81.52 के अब तक के निचले स्तर पर आ गया। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया 81.47 के स्तर पर खुला। इसके बाद यह गिरकर 81.52 के स्तर पर आ गया। इस तरह पिछले सत्र के बंद भाव की तुलना में यह 43 पैसे फिसला। मालूम हो कि शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 30 पैसे टूटकर 81.09 के स्तर पर बंद हुआ था।

इन कारकों से प्रभावित हुआ भारतीय रुपया
निवेशकों के बीच रिस्क से बचने की भावना से भारतीय रुपये पर दबाव बना। इस संदर्भ में विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने बताया कि यूक्रेन संकट की वजह से भू-राजनीतिक जोखिम बढ़ने से, डोमेस्टिक शेयर मार्केट में गिरावट से और विदेशी फंड की निकासी की वजह से भी निवेशकों के रुख में नरमी आई हैं।

डॉलर इंडेक्स का ऐसा है हाल
इसबीच डॉलर इंडेक्स की बात करें, तो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.67 फीसदी की बढ़त के साथ 113.94 के स्तर पर पहुंच गया। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा नवीनतम मौद्रिक नीति को सख्त करने से भी डॉलर को समर्थन मिला है। इससे भारत के रुपये के साथ ही ग्लोबल स्तर पर अन्य प्रमुख मुद्राएं कमजोर हुई हैं।

उल्लेखनीय है कि यूएस फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) ने हाल ही में रेपो रेट में 75 आधार अंकों की वृद्धि की थी। यह फेड द्वारा लगातार तीसरी वृद्धि है।

क्या होगा इसका असर?
रुपये में गिरावट का सबसे बड़ा असर इम्पोर्ट पर होगा। आयातकों को अब आयात के लिए ज्यादा कीमत चुकानी होगी। दरअशर रुपये की गिरावट से आयात महंगा हो जाएगा। मौजूदा समय में भारत क्रूड ऑयल, कोयला, प्लास्टिक सामग्री, केमिकल, इलेक्ट्रॉनिक सामान, वनस्पति तेल, फर्टिलाइजर, मशीनरी, सोना, आदि सहीत बहतु कुछ आयात करता है। रुपये के मूल्य में गिरावट से एक्सपोर्ट सस्ता होगा।

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बदतर हालातः पाकिस्तान भी श्रीलंका के रास्ते पर क्यों

भारत तो नहीं, अलबत्ता पाकिस्तान जरूर श्रीलंका के रास्ते पर जा रहा है। पाकिस्तान के आर्थिक हालात कमोबेश श्रीलंका जैसे हो रहे हैं। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार दो महीने तक ही अपनी अर्थव्यवस्था को संभाल सकता है। दूसरी तरफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उनके करीबी मनी लॉन्ड्रिंग के मुकदमे का सामना कर रहे हैं।

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पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के आर्थिक हालात बदतर हो गए हैं। भारत की तरह पाकिस्तान रुपया भी काफी गिर गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में भारत के आर्थिक हालात की तुलना श्रीलंका के आर्थिक हालात से की थी लेकिन सच यह है कि दरअसल, पाकिस्तान श्रीलंका के रास्ते पर बढ़ता जा रहा है। पाकिस्तान में तमाम कारण गिना कर इमरान खान सरकार को हटाया गया था लेकिन शहबाज शरीफ की सरकार उससे ज्यादा बदतर हालात का सामना कर रही है। खुद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उनके निकटवर्ती लोग मनी लॉन्ड्रिंग मुकदमे का सामना अदालत में कर रहे हैं। पाकिस्तान की आर्थिक राजधानी कराची में आए दिन विस्फोट हो रहे हैं। इन हालात ने पाकिस्तान को बदतर हालात में पहुंचा दिया है।

शुक्रवार को पाकिस्तानी रुपया 1 डॉलर के मुकाबले 200 रुपये पहुंच गया। हालांकि भारतीय रुपया भी तेजी से लुढ़क रहा है लेकिन वो 77 रुपये से कुछ ऊपर अभी भी है।एआरवाई न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, शुरुआती कारोबार में ग्रीनबैक का मूल्य 82 पैसे बढ़ गया और वर्तमान में इंटरबैंक बाजार में 200 रुपये पर कारोबार कर रहा है। विदेशी मुद्रा डीलरों के अनुसार, विनिमय दर दबाव में रही क्योंकि अमेरिकी डॉलर ने स्थानीय मुद्रा के मुकाबले अपने ऊपर की ओर बढ़ना जारी रखा। विदेशी मुद्रा डीलरों ने बताया कि ग्रीनबैक को खुले बाजार में 189 रुपये से ऊपर बेचा जा रहा है। जानकारों के मुताबिक डॉलर में तेजी ने रुपये पर आधारित अर्थव्यवस्था और इसके हितधारकों का भरोसा तोड़ दिया है।

स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) का विदेशी मुद्रा भंडार 328 मिलियन अमेरिकी डॉलर गिरकर 10.558 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया। इतने कम विदेशी मुद्रा भंडार से पाकिस्तान कम से कम दो महीने तक अपना काम चला सकता है। पाकिस्तान के आर्थिक विशेषज्ञ सईद नजम का कहना है कि पाकिस्तान सरकार आर्थिक संकट हल करने के लिए जो उपाय कर रही है वो नाकाफी हैं। पाकिस्तानी करंसी डॉलर के मुकाबले अभी और कमजोर होगी।

पाकिस्तान में जो आर्थिक प्लान इन हालात से निपटने के लिए बनाया गया है, उसमें मोबाइल, कार समेत कई लग्जरी वस्तुओं का आयात बैन कर दिया गया है। ताकि देश का पैसा विदेश न जा सके। अगर विदेश में पैसा नहीं जाएगा तो विदेशी मुद्रा भंडार पर संकट नहीं होगा। श्रीलंका में भी संकट की शुरुआत विदेशी मुद्रा भंडार से हुई थी। पाकिस्तान के बैंकों का कहना है कि शहबाज शरीफ के इस कदम से 6 अरब डॉलर की बचत हो जाएगी।

हालांकि विशेषज्ञ और डॉन अखबार ने पाकिस्तान सरकार के इस कदम को बहुत राहत वाला नहीं बताया है।

पाकिस्तानी विशेषज्ञों का कहना है कि विदेशी मुद्रा भंडार की बचत जो शहबाज शरीफ सरकार 38 'गैर-जरूरी, विलासिता के सामानों' के आयात पर प्रतिबंध लगाकर हासिल करने का लक्ष्य बना रही है, का पाकिस्तान के भुगतान की बाधाओं के बढ़ते संतुलन पर मामूली प्रभाव भी नहीं पड़ेगा। पाक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए पीएमएल-एन के नेतृत्व वाले गठबंधन ने पहले बड़े नीतिगत फैसले के रूप में, आयात प्रतिबंध से एक महीने में $ 100 मिलियन से अधिक या देश के औसत मासिक आयात बिल के 1.6 पीसी के करीब $ 6.5 बिलियन से अधिक होने की संभावना नहीं है। विदेशी मुद्रा बचत में भी $300 मिलियन और $500 मिलियन के बीच बचत की संभावना है। इससे आयात पर प्रतिबंध लगाने से पाकिस्तान को कुछ हासिल नहीं होने वाला है।

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का सिलसिला जारी, 2 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंचने के आसार

भारत का फॉरेक्स रिजर्व अभी और नीचे जाएगा: इकोनॉमिस्ट्स

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 23 सितंबर को खत्म हुए सप्ताह में 8.134 अरब डॉलर घट गया. इससे पिछले हफ्ते भी फॉरेक्स रिजर्व . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : October 01, 2022, 08:22 IST

हाइलाइट्स

भारत का फॉरेक्स रिजर्व 8 अरब डॉलर घटकर 540 अरब डॉलर से नीचे आया.
पिछले हफ्ते भी इसमें गिरावट देखने को मिली थी और ये 546 अरब डॉलर के करीब पहुंच गया था.
केवल डॉलर ही नहीं गोल्ड रिजर्व में भी 30 करोड़ डॉलर की गिरावट देखी गई.

नई दिल्ली. देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का सिलसिला जारी है. 23 सितंबर को समाप्त हुए कारोबारी सप्ताह में भारत का फॉरेक्स रिजर्व 8.134 अरब डॉलर घटकर 537.518 अरब डॉलर रह गया. आरबीआई ने शुक्रवार को इस बारे में जानकारी दी. इससे पिछले करोबारी हफ्ते में फॉरेक्स रिजर्व घटकर करीब 546 अरब डॉलर (545.54 अरब डॉलर) रह गया था.

बता दें कि आरबीआई लगातार रुपये की गिरती वैल्यू को बचाने के लिए हस्तक्षेप कर रहा है और डॉलर बेच रहा है. हा ही में रॉयटर्स के एक सर्वे में इस बात का अंदेशा जताया गया था कि भारत का फॉरेक्स रिजर्व 2 साल के निचले स्तर पर जा सकता है. केवल डॉलर की ही नहीं भारत का गोल्ड रिजर्व भी 30 करोड़ डॉलर घटकर 37.886 अरब डॉलर पर आ गया है.

एफसीए में गिरावट
आरबीआई की तरफ से जारी साप्ताहिक सांख्यिकीय आंकड़ों के अनुसार, फॉरेन करेंसी असेट (एफसीए) में गिरावट के कारण 23 सितंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है. एफसीए दरअसल, ओवरऑल रिजर्व का एक प्रमुख हिस्सा होता है. एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में वृद्धि या गिरावट का प्रभाव शामिल है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान एफसीए 7.688 अरब डॉलर घटकर 477.212 अरब डॉलर रह गया.

500 अरब डॉलर तक जाएगा फॉरेक्स रिजर्व
रॉयटर्स द्वारा कराए गए सर्वे में 16 अर्थशास्त्रियों को शामिल किया गया था. जिनका कहना था कि भारत का फॉरेक्स रिजर्व दिसंबर तक गिरकर 523 अरब डॉलर तक रह सकता है. इसी तरह का स्थिति 2008 के आर्थिक संकट के समय भी बनी थी. तब भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 20 फीसदी तक लुढ़क गया था. भारत फिलहाल अभी विदेशी मुद्रा कौन से बाजार खुले हैं? 2013 के टेपर ट्रेन्ट्रम काल से अधिक तेजी से अपना फॉरेक्स रिजर्व खर्च कर रहा है.

हस्तक्षेप का असर नहीं
भले ही आरबीआई लगातार पैसे की साख बचाने के लिए हस्तक्षेप कर रहा है लेकिन मजबूत होते डॉलर के सामने फिलहाल कोई तरकीब असर करती नहीं दिख रही है. डॉलर के मुकाबले रुपया बुधवार को अपने न्यूनतम स्तर 81.93 तक पहुंच गया था. हालांकि, उसके बाद इसमें थोड़ी तेजी देखने को मिली और कल ये बेहतर होकर 81.36 के स्तर पर बंद हुआ. हालांकि, जानकारों का मानना है कि डॉलर के मजबूत होने और मंदी की आहटों के कारण रुपया अभी और कमजोर होगा. यही हाल यूरो, येन व युआन समेत अन्य करेंसीज का भी है.

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डॉलर के मुकाबले रुपया 82.69 के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंचकर 82.34 पर बंद हुआ

सोमवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 39 पैसे टूटकर 82.69 के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया. बाद में, भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप से उसकी स्थिति में कुछ सुधार हुआ. The post डॉलर के मुकाबले रुपया 82.69 के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंचकर 82.34 पर बंद हुआ appeared first on The Wire - Hindi.

सोमवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 39 पैसे टूटकर 82.69 के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया. बाद में, भारतीय रिजर्व बैंक अभी विदेशी मुद्रा कौन से बाजार खुले हैं? के हस्तक्षेप से उसकी स्थिति में कुछ सुधार हुआ.

मुंबई: कच्चे तेल की कीमतों में तेजी और निवेशकों द्वारा जोखिम लेने से परहेज करने के कारण रुपया सोमवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 39 पैसे टूटकर 82.69 के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया.

इसके अलावा, घरेलू शेयर बाजारों में गिरावट और अमेरिकी मुद्रा की मजबूती के कारण रुपये पर अतिरिक्त दबाव बना.

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 82.68 पर खुला और फिर गिरावट दर्ज करते हुए 82.69 पर आ गया, जो पिछले बंद भाव के मुकाबले 39 पैसे की गिरावट दर्शाता है.

एनडीटीवी ने ब्लूमबर्ग के हवाले से लिखा है कि भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप के बाद रुपया सोमवार को अंतत: 82.32 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ.

हालांकि, समाचार एजेंसी पीटीआई का कहना है कि अमेरिकी मुद्रा की तुलना में रुपया सोमवार को शुरूआती बड़ी गिरावट से उबरते हुए चार पैसे टूटकर 82.34 प्रति डॉलर (अस्थायी) के अब तक के सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ.

कारोबारियों के अनुसार, घरेलू शेयर बाजारों में गिरावट और डॉलर अभी विदेशी मुद्रा कौन से बाजार खुले हैं? सूचकांक में मजबूती से भी निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई.

गौरतलब है कि शुक्रवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 13 पैसे की गिरावट के साथ 82.30 पर बंद हुआ था.

भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा था कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 30 सितंबर को 4.854 अरब डॉलर घटकर 532.664 अरब डॉलर रह गया है.

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के अनुसंधान विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, ‘केंद्रीय बैंक के हस्तक्षेप और कंपनियों के पूंजी प्रवाह से रुपया शुरुआत में बड़ी गिरावट से उबरा. कच्चे तेल की कीमतों में नरमी से भी रूपये को समर्थन मिला.’

इस बीच, दुनिया की प्रमुख छह मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को आंकने वाला डॉलर सूचकांक 0.23 प्रतिशत चढ़कर 113.05 पर आ गया.

वहीं, अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.71 प्रतिशत की गिरावट के साथ 97.22 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया.

इसके अलावा, बीएसई सेंसेक्स 200.18 अंक या 0.34 प्रतिशत गिरकर 57,991.11 अंक पर आ गया, जबकि निफ्टी 73.65 अंक की गिरावट के साथ 17,241.00 अंक पर बंद हुआ.

शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक सोमवार को शुद्ध विक्रेता रहे. उन्होंने 2,250.77 करोड़ रुपये के शेयर बेचे.

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