Bharat Bond ETF: पहले जान लीजिए इसके फायदे-नुकसान, फिर लें निवेश का फैसला
भारत बॉन्ड ईटीएफ सुरक्षा के लिहाज से बहुत अच्छा है। इसके रिटर्न के बारे में आपको पहले से अंदाजा रहता है। यह स्कीम सिर्फ AAA रेटिंग वाली सरकारी कंपनियों के बॉन्ड में निवेश करती है
Bharat Bond ETF 2 दिसंबर को निवेश के लिए खुल गया है। यह फंड तेजी से बढ़ रहे टारगेट मैच्योरिटी फंड्स (TMF) का हिस्सा है। भारत बॉन्ड ईटीएफ एक टीएमएफ है, जो इससे थोड़ा अलग है। सबसे पहले आपको इसे ठीक तरह से समझ लेना जरूरी है। किसी भी इनवेस्टमेंट ऑप्शन में निवेश से पहले उसे ठीक तरह से समझ लेना इनवेस्टर्स के हित में होता है। इससे उसे यह तय करने में मदद मिलती है कि उसे इसमें निवेश करना चाहिए या नहीं। उसे यह समझने में आसानी होती है कि यह ऑप्शन उसके लिए फायदेमंद रहेगा या नहीं। हालांकि, यह Bharat Bond ETF की चौथी किश्त है, लेकिन बहुत कम निवेशकों को इस प्रोडक्ट के बारे में पर्याप्त जानकारी है। भारत बॉन्ड ईटीएफ की पहली किश्त 2019 के आखिर में आई थी।
क्या है भारत बॉन्ड ईटीएफ?
Bharat Bond ETF एक डेट फंड है। यह एक पैसिव फंड है, जो आपके पैसे को फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज में निवेश करता है। यह सिर्फ ऐसी सरकारी कंपनियों ETF काम कैसे करता है? के ETF काम कैसे करता है? बॉन्ड (डेट सिक्योरिटीज) में इनवेस्ट करता है, जिसे AAA रेटिंग हासिल होती है। यह स्कीम तय अवधि के बाद मैच्योर हो जाती है। फिर आपको अपना पैसा वापस मिल जाता है।
प्राकृतिक गैस ईटीएफ
प्राकृतिक गैसईटीएफ अर्थ को प्राकृतिक गैस वायदा खरीदने की प्रथा के रूप में वर्णित किया गया है। यह मॉनिटर करता हैमंडी प्राकृतिक गैस के रुझान और कीमतें। सरल शब्दों में, प्राकृतिक गैस ईटीएफ उन निधियों को संदर्भित करता है जो प्राकृतिक गैस की कीमतों में उतार-चढ़ाव की निगरानी के लिए जिम्मेदार हैं। सबसे अच्छा उदाहरण UNG (यूनाइटेड स्टेट्स नेचुरल गैस ETF) है। ध्यान दें कि प्राकृतिक गैस ईटीएफ चुनने वाले निवेशकों को कोई भौतिक संपत्ति नहीं मिलती है। बल्कि उन्हें फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स का सर्टिफिकेट मिलता है।
आप एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध ईटीएफ की सूची पा सकते हैं। अन्य प्रतिभूतियों की तरह, प्राकृतिक गैस ईटीएफ एक अस्थिर निवेश बाजार है। यह अपने हिस्से के जोखिम के साथ आता है। आपकी वापसी प्राकृतिक गैस के प्रदर्शन पर निर्भर करती है। प्रत्येक ईटीएफ की बारीकी से निगरानी करना और उनकी योजनाओं को देखना महत्वपूर्ण है कि वे सभी निवेश साधनों की पेशकश क्या करते हैं। आप प्राकृतिक गैस ईटीएफ में विकल्प और वायदा के माध्यम से निवेश कर सकते हैं।
प्राकृतिक गैस एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड कैसे काम करता है?
जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, आपको प्राकृतिक गैस ईटीएफ के साथ गैसोलीन और अन्य भौतिक वस्तुओं को रखने की आवश्यकता नहीं है। आपको एक अनुबंध मिलेगा जो गैस की कीमतों की गति को ट्रैक करने में मदद करता है। कुछ ईटीएफ विशेष कमोडिटी के प्रदर्शन के आधार पर रिटर्न देते हैं। विनिमय बाजार में गैसोलीन, पेट्रोलियम, धातु और अन्य वस्तुओं के प्रदर्शन पर नज़र रखने के लिए सभी प्रकार के एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड का उपयोग नहीं किया जाता है।
हालांकि, प्राकृतिक गैस ईटीएफ पूरी तरह से अलग हैइक्विटीज और अन्य प्रतिभूतियां। इसका उपयोग गैसोलीन की कीमत की निगरानी के लिए किया जाता है। प्राकृतिक गैस की कीमतों में उतार-चढ़ाव बाजार में इस कमोडिटी के प्रदर्शन को निर्धारित करेगा। प्राकृतिक गैस एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड सबसे अस्थिर वित्तीय उत्पाद होते हैं। आपका रिटर्न पूरी तरह से अस्थिरता पर निर्भर करता हैआधारभूत संपत्ति। इसके अलावा, इस निवेश में वायदा, विकल्प और स्वैप शामिल हैं, जिन्हें काफी जोखिम भरा माना जाता है।
क्या प्राकृतिक गैस ईटीएफ एक सुरक्षित निवेश साधन है?
सभी प्रकार के निवेश साधन अपने हिस्से के जोखिम के साथ आते हैं, लेकिन जब डेरिवेटिव की बात आती है तो जोखिम अधिक होता है। कहा जा रहा है कि, प्राकृतिक गैस ईटीएफ अत्यधिक अस्थिर हैं। जब अमेरिका में इसकी शुरुआत हुई थी तब बाजार ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया था। हालांकि, बाजार हाल ही में अस्थिर है। ध्यान दें कि कमोडिटी ईटीएफ सभी निवेशकों के लिए सबसे अच्छा निवेश विकल्प नहीं है। यह शुरुआती लोगों के लिए अनुशंसित नहीं है। अन्य प्रतिभूतियों के विपरीत, प्राकृतिक गैस के प्रदर्शन पर मौसम का बहुत प्रभाव पड़ता है।
मौसम गर्म होने के साथ प्राकृतिक गैस की कीमत कम हो जाती है। 2016 के बाद से, संयुक्त राज्य में प्राकृतिक गैस की कीमत में सुधार नहीं हुआ है। दरअसल, निवेशकों का मानना है कि इसकी कीमत और कम नहीं हो सकती। जब तक राज्यों को खराब मौसम का अनुभव नहीं होगा, तब तक स्थिति के बेहतर होने की उम्मीद नहीं है। घरों में जितनी अधिक गैस का उपयोग होगा, इस वस्तु की कीमत उतनी ही अधिक होगी। हालांकि, जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, एक प्राकृतिक गैस ईटीएफ सबसे अस्थिर निवेश बाजारों में से एक है। इसलिए, निर्णय लेने से पहले अपना शोध करें।
ETF क्या है 2022? Don’t waste your money!
जब कोई Mutual या Index Fund कंपनी अपना Fund लाती है, जैसे कंपनी 5,000 करोड़ का फण्ड लाई है तो जब ज्यादा निवेशक उस फण्ड में निवेश करेंगे तो उस फण्ड का AUM बढ़ता रहेगा। Exchange Traded Fund एसे काम नहीं करता, Exchange Traded Fund एक कंपनी के शेयर्स की तरह काम करता है।
जैसे अगर किसी कंपनी को पैसा चाहिए होता है ओर वो कंपनी मार्किट से पैसा लेना चाहती है तो वो कंपनी IPO ले के आती है, जैसे IPO के समय कंपनी को पैसा मिलता है। ऐसे ही जब कोई AMC कंपनी नया ETF लांच करती है तो वो उस समय NFO(New Fund Offer) यह काफी हद ताख IPO की तरह ही होता है जैसे कोई NFO लांच हुआ 1000 करोड़ का तो वो 1000 करोड़ का ही रहेगा। बस उसे 1000 करोड़ के Units ही /Exchange पर खरीदे और बेचे जायँगे। ETF में निवेशकों को Exchange Traded Fund के शेयर्स दे दिए जाते है।
ETF कितने प्रकार के होते है?
भारत में ज्यादातर तीन तरह के Exchange Traded Fund ही हैं।
Equity Exchange Traded Fund
जैसा की इसके नाम से पता चलता है ये Exchange Traded Fund शेयर्स में निवेश करता है और किसी न किसी Index में निवेश करता है। Index जैसे – Secorial, Bank, Nifty, Sensex index. भारत में पहले बार Equity ETF 2002 में लांच हुआ था जिसका नाम था Nifty BEES(Benchmark Exchange Traded Schemes) जो Benchmark कंपनी ने लांच किया था।
Debt Exchange Traded Fund
जब कोई Exchange Traded Fund गवर्नमेंट या कॉर्पोरेट बांड्स के अंदर निवेश करता है तो उसे बोलते है Debt Exchange Traded Fund, अब निवेशकों के मन में ये सवाल आता है की अगर ये Exchange Traded Fund बांड्स में ही निवेश करता है तू हम सीधा बांड्स में निवेश क्यों न करदें। तो इसका सीधा सा है जब आप बांड्स में निवेश करते है तो आपको आपका पैसा तभी मिलता है जब उस बांड का समय पूरा होजाता है उसे पीला नहीं।
पर Exchange Traded Fund में आप इसे शेयर के तरह ही खरीद और बेच सकते है। भारत में 2004 में पहला Debt Exchange Traded Fund आया था जिसका नाम था Liquid BEES. इसे भी Benchmark कंपनी ने ही लांच की था।
Commodity Exchange Traded Fund
यह वो Exchange Traded Fund होते है जो सोना, चांदी, तेल, और अलग अलग धातु में निवेश क्र सकता है। ये भारत में पहली बार 2007 में आया था जिसका नाम था Gold BEES. इसे भी Benchmark कंपनी ने ही लांच की था।
ETF का अतीत क्या था?
साल 2015 में भारत में Exchange Traded Fund का AUM 15,000 करोड़ था जो बढ़ के साल 2021 में हो गया 2.3लाख करोड़ का जो 2015 के AUM का 20* है। अब जानते है इतनी बढ़ोतरी हुई कैसे और क्या ये आगे भी ऐसे ही बढ़ता रहेगा?
साल 2014 में भारत सरकार ने एक Exchange Traded Funds लांच किया जिसका नाम था CPSE ETFs इस ETF में पब्लिक Central Public Sector Enterprises के बांड्स में निवेश कर सकती थी, इसके बाद साल 2019 में Bharat Bond ETFs भी आए। ETFs की बढ़ोतरी का एक और सबसे बड़ा कारन है की EPFO जो है Employee Provident Fund Organization भी निवेश करने लगे ETF में और आज कि डेट में NPS(National Pension Scheme) भी ETFs में निवेश करती है। ये ही कुछ कारन हैं जिसे ETF प्रहलित हुआ और निवेशक भी ETF को बोहोत पसंद कर रहे है इसका बोहोत बड़ा कारन है इसकी Fees या बोले तो इसका Expense Ratio.
इसमें कितनी फीस लगती है?
इसमें हर प्रकार के ETF में अलग-अलग फीस ली जाती है।
जैसे Equity में 0.01-0.1% Sectorial में 0.1-0.3%, Debt में 0.1-0.3%, Commodity ETFs में 0.5-1%
अब अगर इसकी तुलना Mutual Fund कि फीस से किया जाये तो ये बोहतो ज्यादा कम है।
ETF में TAX कैसे लगता है?
हर Exchange Traded Fund में Tax का दर भी अलग-अलग होता है। Equity Exchange Traded Fund में अगर आपका मुनाफा ₹100000 या इसे कम होता है तो आपको कोई Tax नहीं देना होता और अगर आपका मुनाफा ₹100000 से ज्यादा है। तो इसमें अगर आपने Exchange Traded Fund को एक साल के अंदर बेचा है तो आपके ऊपर 15% का Tax लगया जाएगा और अगर एक साल के बाद बेचते हैं तो 10% का Tax लगाया जाएगा और ये 10-15% का Tax सिर्फ उस मुनाफे पे लगेगा जो ₹100000 से ज्यादा होगा जैसे – मेरा मुनाफा है ₹110000 तो इसमें सेल्फ ₹10000 पर 10 या 15% का Tax लगया जाएगा।
अब बात करते है Debt और Commodity ETF के बारे इन दोनों में Tax एक-जैसा ही लगया जाता है जो है अगर आपने ETF को तीन साल के आदर बेचा तो जितना प्रतिशत आपका Income Tax लगता होगा उतना ही लगेगा जैसे – मेरा Income Tax 30% लगता है तो मेरे ऊपर तीन साल से कम समय में ETF बेचते समय 30% का ही Tax लगाया जाएगा।
और अगर तीन साल के बाद बेचता हूं तो 20% का Tax लगाया जाएगा।
ETF में निवेश क्यों करे?
- इसमें Fees बोहोत कम लगती है Mutual और Index Fund की तुलना में।
- अगर Fees कम लगती है तो मुनाफा भी ज्यादा हो जाता है।
- इसको हम कभी भी खरीद और बेच सकते हैं।
इसमें निवेश कैसे करें?
इसमें निवेश करते समय हमे तीन बातो का धियान रखना किया
- Expence Ratio/Fees : ये जितनी कम होगी उतना अच्छा होगा।
- Tracking Error :यह वो Error होता है जो बताता है की ETF जिस Index को फॉलो कर रहा है उसके मुताबिक कितना कितना कम मुनाफा दे रहा है। Tracking Error जितना कम होगा उतना अच्छा होगा।
- Liqudity : जो बोहोत जरुरी है आपको Liqudity देखनी चाहिए मतलब ETF कितने खरीदने वाले हैं और कितने बेचने वाले है।
इसमें निवेश करने के लेया आपको अपने Demat Account में जाने है और Search करना है ETF फिर आपके सामने सारे Etf की लिस्ट खुल के आ जाएगी आप उस लिस्ट में से किसी को भी चुन सटकते है और बताई हुई तीन ETF काम कैसे करता है? बातो को देख सकते है।
कैसे करें सही ETF का चुनाव? निवेश से पहले इन पैरामीटर्स का रखना चाहिए ध्यान
जिस तरह किसी स्टॉक में निवेश से पहले पड़ताल करना जरूरी होता है, वैसे ही ईटीएफ में निवेश से पहले कुछ पहलुओं पर जरूर कर लेना चाहिए.
भारत समेत दुनिया भर में ईटीएफ के प्रति निवेशकों का रुझान बढ़ रहा है.
मौजूदा दौर में निवेशकों के सामने निवेश के कई विकल्प हैं. इनमें से एक विकल्प एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) का है जो निवेशकों की पूंजी को कई शेयरों के एक सेट में निवेश करते हैं. इसमें पारंपरिक स्टॉक्स और बांड्स से लेकर करेंसीज और कमोडिटीज जैसी मॉडर्न सिक्योरिटीज भी शामिल हैं. कोई भी निवेशक ब्रोकर के जरिए ईटीएफ के अपने शेयरों की खरीद-बिक्री कर सकता है. इसका कारोबार शेयर बाजार में किया जाता है.
कम एक्पेंस रेशियो (0.06 फीसदी तक कम), एक्टिव फंड्स की तुलना में बेहतर टैक्स एफिशिएंसी, डाइवर्सिफिकेशन बेनेफिट्स और इंडेक्स लिंक्ड रिटर्न के चलते ईटीएफ तेजी से पॉपुलर हो रहा है. हालांकि रिलायंस सिक्योरिटीज के सीईओ लव चतुर्वेदी के मुताबिक जैसे किसी स्टॉक में निवेश से पहले पड़ताल करना जरूरी होता है, वैसे ही ईटीएफ में निवेश से पहले कुछ पहलुओं पर जरूर कर लेना चाहिए.
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निवेश से पहले इन पैरामीटर्स पर परखें ईटीएफ को
- ईटीएफ में सिर्फ इक्विटीज की बजाय सभी एसेट क्लासेज शामिल होने चाहिए.
- ईटीएफ को चुनते समय या उसमें निवेश करने से पहले निवेशकों को एल4यू स्ट्रेटजी पर भरोसा रखना चाहिए- लिक्विडिटी, लो एक्सपेंस रेशियो, लो इंपैक्ट कॉस्ट, लो ट्रैकिंग एरर और अंडरलाइंग सिक्योरिटीज.
- ईटीएफ की लिक्विडिटी से निवेशकों को स्टॉक एक्सचेंज पर इसकी खरीद या बिक्री करने में आसानी रहेगी. लिक्विडिटी का मतलब है कि एक्सचेंजों पर ईटीएफ की पर्याप्त ट्रेडिंग वॉल्यूम होनी चाहिए.
- आमतौर पर ईटीएफ के एक्सपेंस रेशियो एक्टिव फंड्स की तुलना में कम होते हैं लेकिन निवेशकों को विभिन्न ईटीएफ के एक्सपेंस रेशियो की आपस में तुलना जरूर करनी चाहिए क्योंकि यह ओवरऑल रिटर्न को प्रभावित करता है.
- इंपैक्ट कॉस्ट एक्सचेंज पर ट्रांजैक्शन को लेकर इनडायरेक्ट कॉस्ट है. लिक्विडिटी अधिक होने पर इंपैक्ट कॉस्ट कम होता है और इस प्रकार निवेशकों को इनडायरेक्ट टैक्स कम चुकाना पड़ेगा.
- किसी भी ईटीएफ को चुनते समय लो ट्रैकिंग एरर महत्वपूर्ण फैक्टर है. इससे इंडेक्स की तुलना में मिलने वाले रिटर्न का अंतर कम करने में मदद मिलती है. आमतौर पर अंडरलाइंग सिक्योरिटीज के मुताबिक 0-2 फीसदी का ट्रैकिंग एरर आदर्श माना जाता है.
- किसी ईटीएफ का चुनाव करते सबसे महत्वपूर्ण पैरामीटर अंडरलाइंग सिक्योरिटीज है क्योंकि रिटर्न इसी के परफॉरमेंस पर निर्भर होता है.
भारत में तेजी से बढ़ा है ETF के प्रति निवेशकों का रूझान
दुनिया भर में ईटीएफ के प्रति निवेशकों का रुझान बढ़ रहा है. इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पिछले दस वर्षों में दुनिया भर में ईटीएफ एयूएम 19 फीसदी चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ा है. 2020 में यह 7.7 लाख करोड़ डॉलर (562 लाख करोड़ ETF काम कैसे करता है? रुपये) का लेवल पार कर दिया है. भारत की बात करें तो पिछले पांच वर्षों में ईटीएफ एयूएम 65 फीसदी सीएजीआर से बढ़ा है और वित्त वर्ष 2016 में कुल एयूएम (एसेट अंडर मैनेजमेंट) में ईटीएफ की हिस्सेदारी 2 फीसदी से बढ़कर वित्त वर्ष 2021 में 10 फीसदी हो गई. दिलचस्प तथ्य यह भी है कि ईटीएफ में 90 फीसदी निवेश इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टर्स (मुख्य रूप ETF काम कैसे करता है? से ईपीएफओ) का है.
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ETF काम कैसे करता है?
ईटीएफ क्या है?कैसे काम करता है?प्रकार | ETF Meaning in Hindi
- Post ETF काम कैसे करता है? author: ShareMarketIndia
- Post published: April 29, 2022
- Post category: शेयर मार्केट / म्युच्युअल फंड
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ईटीएफ क्या है?कैसे काम करता है?प्रकार | ETF Meaning in Hindi
भारत में ईटीएफ की शुरुवात 2001 में हुई थी।लेकिन ईटीएफ निवेश को भारतीय निवेशकों के बीच कुछ समय से लोकप्रियता मिल रही है। लेकिन बहुत से लोग अब भी ईटीएफ क्या है(ETF Meaning in Hindi), ईटीएफ में कैसे निवेश करें आदि के बारे में नहीं जानते है।
Table of Contents
ईटीएफ क्या है? | ETF Meaning in Hindi
ईटीएफ का फूल फॉर्म एक्सचेंज ट्रेडेड फंड(Exchange Traded Fund) है। यानी कि ये ऐसे फंड होते है जो एक्सचेंज जैसे कि NSE,BSE पर खरीदे और बेच जाते है।
एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) एक तरह का निवेश फंड है जो म्यूचुअल फंड,और शेयर दोनों की तरह काम करता है। आम तौर पर, ईटीएफ,म्यूचुअल फंड की तरह किसी विशेष इंडेक्स, सेक्टर, कमोडिटी या अन्य परिसंपत्ति में निवेश करते है। पर म्यूचुअल फंड के विपरित ईटीएफ को स्टॉक एक्सचेंज पर उसी तरह खरीदा या बेचा जा सकता है जैसे शेयर को खरीदा या बेचा जाता है।
आसान भाषा में एक्सचेंज ट्रेडेड फंड(ईटीएफ), निवेश प्रतिभूतियों(सिक्योरिटीज) का एक संग्रह होता है जिसे शेयर की तरह स्टॉक एक्सचेंज में खरीदा और बेचा जा सकता है।
ईटीएफ कैसे काम करता है? | How ETF Works in Hindi
कोई भी नई कंपनी शेयर मार्केट में आने के लिए आईपीओ लाती है उसके बाद वह शेयर मार्केट में सूचीबद्ध होती है। तो उस कंपनी के शेयर हम या तो आईपीओ के समय ले सकते है या जब उसके शेयर ,मार्केट में आए तब।
वैसे ही जब कोई ईटीएफ आता है तो ईटीएफ लेने वाली म्यूचुअल फंड कंपनी सबसे पहले एनएफओ (New Fund Offer) लेकर आती है।उसके बाद वह ईटीएफ शेयर मार्केट में ट्रेड होने लगता ETF काम कैसे करता है? है।
हम एनएफओ के समय भी ईटीएफ ले सकते है या फिर जब ईटीएफ मार्केट में ट्रेडिंग के लिए आता है तब। जैसे हम जब शेयर मार्केट चालू होता है तब कभी भी शेयर खरीद ये बेच सकते है वैसे ही ईटीएफ का भी है।शेयर के जैसे ही ईटीएफ की प्राइस बदलती रहती है।
एक्सचेंज ट्रेडेड फंड एक निवेश साधन हैं जो सूचकांक(इंडेक्स) को दोहराते हैं। ईटीएफ एक इंडेक्स की संरचना से मेल खाता है। यानी ईटीएफ जो है वो आम तौर पर किसी इंडेक्स जैसे कि सेंसेक्स,निफ्टी को ट्रैक करने के लिए बनाया जाता है।जैसे निफ्टी ईटीएफ निफ्टी को ट्रैक करता है। गोल्ड ईटीएफ गोल्ड में निवेश करता है। ईटीएफ कभी भी इंडेक्स से ज्यादा बेहतर रिटर्न नहीं दे सकते।
ईटीएफ के प्रकार | Types of ETF in Hindi
इंडेक्स ईटीएफ | Index ETF Meaning in Hindi
स्टॉक मार्केट इंडेक्स को ट्रैक करने के उद्देश्य से इंडेक्स फंड ईटीएफ होते हैं। इंडेक्स ईटीएफ में निवेश के साथ, निवेशक पोर्टफोलियो का एक हिस्सा या शेयर खरीद ता है जिसमें इंडेक्स की प्रतिभूतियां शामिल हैं।
इंडेक्स ईटीएफ सभी ईटीएफ प्रकारों में सबसे आम हैं। इसका उद्देश्य सेंसेक्स, निफ्टी, बैंक निफ्टी आदि जैसे एक विशेष बाजार सूचकांक को ट्रैक करना है। इंडेक्स ईटीएफ में निवेश करते समय आपको इंडेक्स जितना रिटर्न प्राप्त करने की ही उम्मीद करनी चाहिए। जिस इंडेक्स को आपका ईटीएफ ट्रैक कर रहा है,उससे ज्यादा रिटर्न आपको नहीं मिल सकता।
गोल्ड ईटीएफ | Gold ETF Meaning in Hindi
गोल्ड ईटीएफ गोल्ड के प्रदर्शन को ट्रैक करते हैं। गोल्ड ईटीएफ की कीमतें सोने की बाजार कीमतों पर आधारित होती हैं। गोल्ड ईटीएफ फंड का उद्देश्य बाजार में सोने की कीमत को ट्रैक करना है और इसका मूल्य शुद्ध 24 कैरेट भौतिक सोने के समान होता है।
जब सोने की कीमतें बढ़ती हैं, तो गोल्ड ईटीएफ की कीमतें भी ETF काम कैसे करता है? बढ़ती है। और जब सोने की कीमतें कम होती हैं, तो ईटीएफ का भी मूल्य कम हो जाता है।
इंटरनेशनल ईटीएफ | International ETF Meaning in Hindi
इंटरनेशनल ईटीएफ, जैसा कि नाम से पता चलता है, विदेशी-आधारित प्रतिभूतियों में निवेश करता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एक अंतरराष्ट्रीय ईटीएफ जो एक ही विदेशी देश में निवेश करता है, वह अन्य ईटीएफ जो अलग अलग देश में निवेश करते है उसकी तुलना में अधिक जोखिम उठाता है।ये ईटीएफ वैश्विक बाजारों को ट्रैक कर सकते हैं या किसी विशिष्ट देश के बेंचमार्क इंडेक्स को ट्रैक कर सकते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय ईटीएफ में निवेश करने से आपको अपने निवेश में विविधता लाने में मदद मिल सकती है।
बॉन्ड ईटीएफ | Bond ETF Meaning in Hindi
बॉन्ड ईटीएफ आमतौर पर डिबेंचर और विभिन्न परिपक्वता वाले सरकारी बॉन्ड जैसे निश्चित आय साधनों में निवेश के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
बॉन्ड ईटीएफ कम जोखिम वाले निवेश हैं, जैसे कि बहुत से निश्चित आय देने वाले निवेश होते है। यह उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो बहुत अधिक जोखिम नहीं लेना चाहते हैं।
निष्कर्ष – ईटीएफ क्या है?कैसे काम करता है?प्रकार | ETF Meaning in Hindi
आशा करता हूं कि आपको ईटीएफ क्या है? (ETF Meaning in Hindi) इसके बारे यह जानकारी अच्छी लगी होगी।
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