Mutual Funds: सिप के जरिए लगा रहे हैं पैसा, इन गलतियों से बचें, नहीं तो हो सकता है नुकसान
Mutual Funds: अगर आप सिप में निवेश करने के बारे में सोच रहे हैं तो पहले इसके बारे में पूरी जानकारी हासिल कर लें क्योंकि जानकारी की कमी की वजह से कई निवेशक कुछ गलतियां कर बैठते हैं और लाभ की जगह नुकसान उठाना पड़ जाता निवेश करने के लिए संदर्भ खाते है.
By: ABP Live | Updated at : 04 Jan 2022 05:30 PM (IST)
Mutual Funds: सिस्टेमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान यानी सिप (SIP) के जरिए म्यूचुअल फंड्स में बड़ी संख्या में खुदरा निवेशक पैसा बना रहे हैं. अगर आप सिप में निवेश करने के बारे में सोच रहे हैं तो पहले इसके बारे में पूरी जानकारी हासिल कर लें क्योंकि जानकारी की कमी की वजह से कई निवेशक कुछ गलतियां कर बैठते हैं और लाभ की जगह नुकसान उठाना पड़ जाता है. आज हम आपको 5 ऐसी गलतियों के बारे में बता रहे हैं जो निवेशक अक्सर सिप में पैसा लगाते वक्त करते हैं.
वित्तीय लक्ष्य स्पष्ट न होना
- अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहे हैं तो आपके वित्तीय लक्ष्य स्पष्ट होने चाहिए.
- अगर आपके वित्तीय लक्ष्य स्पष्ट नहीं है तो आप गलत फंड चुन सकते हैं.
ग्रोथ के बजाय डिविडेंड प्लान चुनना
- ग्रोथ प्लान के बजाय डिविडेंड प्लान को तरजीह देना ठीक नहीं है.
- ऐसा करने वाले निवेशकों को लगता है कि जब म्यूचुअल फंड डिविडेंड की घोषणा करेगा तो उन्हें मोटी कमाई होगी.
- यह बात ज्यादातर निवेशकों को नहीं पता होती कि म्यूचुअल फंड्स अपनी असेट्स अंडर मैनेजमेंट से ही डिविडेंड का भुगतान करते हैं. इससे भुगतान किया गया डिविडेंड एनएवी से घट जाता है. वहीं, डिविडेंड की गणना फंड की फेस वल्यू पर की जाती है, ना कि एनएवी के आधार पर.
- यह बात भी ध्यान रखें कि ग्रोथ प्लांस में निवेशकों को टैक्स छूट के मामले में भी ज्यादा फायदा मिलता है.
बाजार जब नीचे आ रहा हो तो ये गलती न करें
- कई निवेशक बाजार नीचे आने पर सिप को रोक देते हैं और जब बाजार ऊपर जाता है तो निवेश शुरू करते हैं.
- लेकिन ऐसा करना गलत है और यह निवेश के बुनियादी सिद्धांत बाय लो एंड सेल हाई के बिल्कुल उल्ट है. आप गिरते बाजार के समय भी निवेश जारी रखकर इस गलती से बच सकते हैं.
- बाजार की चाल पर ध्यान न दें बल्कि निवेश अवधि के साथ मेल खाते फंड्स की कैटेगरी में इनवेस्ट करें. इस तरह आप सही फंड चुन सकते हैं.
बार-बार बदलाव न करें
- लगातार अपने पोर्टफोलियो में एडजस्ट न करें.
- किसी दूसरों की देखा-देखी शेयर्स की खरीद-बिक्री न करें. ऐसा नुकसानदायक हो सकता है क्योंकि हर किसी के वित्तीय लक्ष्य और स्थितियां अलग होती हैं.
- बहुत से लोग फंड के पिछले प्रदर्शन के आधार पर निवेश करते हैं लेकिन यह पूरी तरह सही नहीं है. हमेशा ध्यान रखें कि फंड का रिटर्न बदलता रहता है.
- फंड का मूल्य हर तिमाही में बदलता है. फंड्स को चुनने से पहले आपको अन्य मानकों का संदर्भ भी लेना चाहिए.
कम एनएवी को ना मानें सस्ता फंड
- कम एनएवी (नेट एसेट वैल्यू) को सस्ते फंड के तौर पर नहीं लेना चाहिए.
- फंड की एनएवी ज्यादा या कम होने के कई कारण हो सकते हैं.
- निवेशकों को म्यूचुअल फंड में सिप के जरिए निवेश करते समय उसकी एनएवी पर ज्यादा जोर न दें.
- निवेशकों को फंड के पिछले प्रदर्शन पर ध्यान देना चाहिए. साथ ही उसकी भविष्य की योजनाओं पर फोकस करना चाहिए.
(यहां ABP News द्वारा किसी भी फंड में निवेश की सलाह नहीं दी जा रही है. यहां दी गई जानकारी का सिर्फ़ सूचित करने का उद्देश्य है. म्यूचुअल फंड निवेश बाज़ार जोखिम के अधीन हैं, योजना संबंधी सभी दस्तावेज़ों को सावधानी से पढ़ें. योजनाओं की NAV, ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव सहित सिक्योरिटी बाज़ार को प्रभावित करने वाले कारकों व शक्तियों के आधार पर ऊपर-नीचे हो सकती है. किसी म्यूचुअल फंड का पूर्व प्रदर्शन, आवश्यक रूप से योजनाओं के भविष्य के प्रदर्शन का परिचायक नहीं हो सकता है. म्यूचुअल फंड, किन्ही भी योजनाओं के अंतर्गत किसी लाभांश की गारंटी या आश्वासन नहीं देता है और वह वितरण योग्य अधिशेष की उपलब्धता और पर्याप्तता से विषयित है. निवेशकों से सावधानी के साथ विवरण पत्रिका (प्रॉस्पेक्टस) की समीक्षा करने और विशिष्ट विधिक, कर तथा योजना में निवेश/प्रतिभागिता के वित्तीय निहितार्थ निवेश करने के लिए संदर्भ खाते के बारे में विशेषज्ञ पेशेवर सलाह को हासिल करने का अनुरोध है.)
Published at : 04 Jan 2022 05:55 PM (IST) Tags: Mutual Funds SIP mutual fund calculator monthly sip annual sip हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
म्यूचुअल फंड में निवेश कैसे करें
भारत में म्युचुअल फंड में निवेश लोकप्रियता प्राप्त कर रहा है। निवेशक अब ऐसे सवाल पूछ रहे हैं जैसे "शेयर बाजार में निवेश कैसे करें?", "कौन से हैंशीर्ष म्युचुअल फंड भारत में कंपनियां?", या "कौन सी हैंसर्वश्रेष्ठ म्युचुअल फंड भारत में?"। आम आदमी के लिए म्यूचुअल फंड अभी भी एक जटिल विषय है, विभिन्न कैलकुलेटर हैं, निवेश करने के लिए संदर्भ खाते विभिन्नम्यूचुअल फंड के प्रकार, 44 म्यूचुअल फंड कंपनियां, आदि, हालांकि, निवेशक अक्सर यह सवाल पूछते हैं, "भारत में म्यूचुअल फंड में निवेश कैसे करें?"। भारत में म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए कुछ सामान्य रूप से उपलब्ध मार्ग नीचे दिए गए हैं।
1. म्युचुअल फंड में सीधे निवेश करें
44 म्यूचुअल फंड कंपनियां हैं (जिन्हें भी कहा जाता है)संपत्ति प्रबंधन कंपनियां(एएमसी)) भारत में, निवेशक सीधे एएमसी से संपर्क कर सकते हैं, उनकी वेबसाइट पर जा सकते हैं या निवेश करने के लिए एएमसी के कार्यालय जा सकते हैं। संदर्भ के लिए 44 एएमसी की सूची नीचे है:
-
. एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड
- बिरला सन लाइफ एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड
- बीएनपी परिबास एसेट मैनेजमेंट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड निवेश प्रबंधक प्राइवेट लिमिटेड
- केनरा रोबेको एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड
- डीएचएफएल प्रामेरिका एसेट मैनेजर्स प्राइवेट लिमिटेड निवेश प्रबंधक प्राइवेट लिमिटेड एसेट मैनेजमेंट लिमिटेड
- एस्कॉर्ट्स एसेट मैनेजमेंट लिमिटेड
- फ्रैंकलिन टेम्पलटन एसेट मैनेजमेंट (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड
- गोल्डमैन सैक्स एसेट मैनेजमेंट (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड
- एचडीएफसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड एसेट मैनेजमेंट (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड
- आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एसेट Mgmt. कंपनी लिमिटेड
- आईडीबीआई एसेट मैनेजमेंट लिमिटेड
- आईडीएफसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड
- आईएल एंड एफएस इंफ्रा एसेट मैनेजमेंट लिमिटेड एसेट मैनेजमेंट कंपनी प्राइवेट लिमिटेड
- जेपी मॉर्गन एसेट मैनेजमेंट (इंडिया) प्रा। लिमिटेड
- कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड
- एलएंडटी इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट लिमिटेड एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड एसेट ग्लोबल इनवेस्टमेंट्स (इंडिया) प्रा। लिमिटेड
- मोतीलाल ओसवाल एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड
- पीपीएफएएस एसेट मैनेजमेंट प्रा। लिमिटेड
- क्वांटम एसेट मैनेजमेंट कंपनी प्राइवेट लिमिटेड
- रिलायंस निप्पॉन लाइफ एसेट मैनेजमेंट लिमिटेड
- सहारा एसेट मैनेजमेंट कंपनी प्राइवेट लिमिटेड
- सुंदरम एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड
- टाटा एसेट मैनेजमेंट लिमिटेड
- टॉरस एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड
- यूनियन केबीसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी प्राइवेट लिमिटेड
2. वितरकों के माध्यम से म्यूचुअल फंड में निवेश करें
निवेशक a . की सेवाओं का भी उपयोग कर सकते हैंवितरक. आज वितरक जैसे बैंक, एनबीएफसी और अन्य संस्थाएं म्यूचुअल फंड के वितरण के लिए सेवाएं प्रदान करती हैं। भारत में ऐसी कई संस्थाएं हैं जो म्यूचुअल फंड के लिए वितरण सेवाएं प्रदान करती हैं।
3. आईएफएएस के माध्यम से म्यूचुअल फंड में निवेश करें
आज भारत में 90,000 से अधिक IFA हैं। निवेशक इन व्यक्तियों से संपर्क कर सकते हैंवित्तीय सलाहकार और इन व्यक्तियों के माध्यम से म्यूचुअल फंड में निवेश करें। IFA पूरे देश में फैले हुए हैं, IFA को एक विशेष आसपास के क्षेत्र में जानने के लिए (पिन कोड डालकर) कोई भी यहां जा सकता हैएम्फी वेबसाइट और यह जानकारी प्राप्त करें।
4. दलालों के माध्यम से म्युचुअल फंड में निवेश
कई ब्रोकरों (जैसे आईसीआईसीआई डायरेक्ट, कोटक सिक्योरिटीज आदि) द्वारा म्युचुअल फंड को ऑफलाइन और ऑनलाइन मोड के माध्यम से पेश किया जाता है। ऑफलाइन मोड (जिसे फिजिकल मोड भी कहा जाता है) वह जगह है जहां ग्राहक एक पेपर फॉर्म भरता है। कुछ ब्रोकर निवेश के लिए "डीमैट मोड" का उपयोग करते हैं, डीमैट मोड में म्यूचुअल फंड की इकाइयां निवेशक के डीमैट खाते में जमा हो जाती हैं।
5. ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से म्युचुअल फंड
आज कई ऑनलाइन पोर्टल हैं जो कागज रहित सेवाएं प्रदान करते हैं जहां निवेशक घर या कार्यालय में बैठकर अपनी मेहनत की कमाई का निवेश कर सकते हैं। इन पोर्टलों को "रोबो-सलाहकार" भी कहा जाता है और ये केवल लेनदेन सेवाओं के अलावा कई सेवाएं प्रदान करते हैं।
क्या आप चेन्नई सुपर किंग्स और रिलायंस रिटेल में निवेश करना चाहते हैं? जानिए कैसे!
नए जमाने के ब्रोकर और क्रांतिकारी तकनीकी प्लेटफार्मों के माध्यम से रिटेल निवेशकों (आपके और हमारे निवेश करने के लिए संदर्भ खाते जैसो) के लिए शेयर बाजारों में निवेश करना बहुत आसान हो गया है। लेकिन क्या आपने कभी इस बारे में सोचा है, कि आप ओयो रूम्स, चेन्नई सुपर किंग्स और रिलायंस रिटेल जैसी निजी कंपनियों में कैसे निवेश कर सकते हैं?
आपने मशहूर निवेशक राकेश झुनझुनवाला पर प्री-आईपीओ कंपनियों में निवेश करके करोड़ों कमाने पर लेख पढ़ा होगा। दशकों तक, निजी इक्विटी बाजार केवल हाई -नेटवर्थ वाले व्यक्तियों (high net-worth individuals) और उनके जैसे उद्यम पूंजीपतियों के लिए ही सुलभ थे। लेकिन आज चीजें बदल रही हैं! इस लेख में, भारत के निजी इक्विटी बाजार और शेयर बाजारों में सूचीबद्ध होने से पहले आप फर्मों में कैसे निवेश कर सकते हैं, इसके बारे में अधिक जानेंगे।
निजी इक्विटी क्या है?
भारत में हम अक्सर प्रमुख उद्यम पूंजीपतियों और हाई -नेटवर्थ वाले व्यक्तियों द्वारा निजी स्वामित्व वाली कंपनियों( privately-owned companies) या स्टार्टअप में निवेश करने की खबरें सुनते हैं। इन निवेशों को बाजार के संदर्भ में निजी इक्विटी (private equity) के रूप में उल्लेखित किया जाता है। यह, फर्मों को अपने दिन-प्रतिदिन के कार्यों को चलाने, नए उत्पादों या प्रौद्योगिकी पर काम करने और विकास को बढ़ावा देने में मदद करता है। इस तरह के निजी निवेश का उपयोग विस्तार, विविधीकरण या अधिग्रहण के लिए भी किया जाता है। अपनी व्यापक वित्तीय संसाधन के साथ, संस्थानों को आकर्षक व्यवसाय मॉडल तक पहली पहुंच मिलती है। जैसे-जैसे कंपनियां बढ़ती हैं और सार्वजनिक हो जाती हैं, ये शुरुआती निवेशक और प्रमोटर अपने शेयर बहुत अधिक मूल्य पर बेचते हैं।
पिछले कुछ वर्षों में, भारत में स्थित निजी कंपनियां और स्टार्टअप अपने उत्पादों और प्रौद्योगिकियों को विकसित करके फले-फूले हैं। 2020 में, निजी बाजार में निवेश सार्वजनिक बाजार की तुलना में 2.5 गुना अधिक था। EY रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय फर्मों में PE और उद्यम पूंजी निवेश 2021 में 77 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया, 2020 की तुलना में 62% की वृद्धि। हमारे देश में ई-कॉमर्स, फिनटेक और एड-टेक सबसे तेजी से बढ़ते क्षेत्र हैं। ऐसेमे भारतीय व्यवसायों में कौन निवेश नहीं करना चाहेगा।
दुर्भाग्य से, रिटेल निवेशकों को हमेशा निजी इक्विटी बाजारों में प्रवेश बाधा का सामना करना पड़ा है। निजी फर्मों के निवेश दौर और लेन-देन लाखों डॉलर में (थोक में) किए जाते हैं और छोटे निवेशकों के जेब के अनुकूल नहीं होते हैं। निजी इक्विटी निवेश भी तरल नहीं होते हैं और इनमें सख्त लॉक-इन अवधि होती है। ज्यादातर मामलों में, इन लेनदेन में पारदर्शिता का अभाव होता है। जब Happiest Minds Tech, Nykaa, और लेटेंट व्यू एनालिटिक्स जैसी कंपनियों ने अपने IPO जारी किए, तो हममें से अधिकांश ने उनमें जल्द से जल्द निवेश करना चाहा होगा। इसके अलावा, कम कीमत वाली कंपनियों के शेयर खरीदना हमेशा निवेश का सार रहा है।
मैं निजी कंपनियों में कैसे निवेश कर सकता हूं?
रिटेल निवेशकों के रूप में, हम अक्सर अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने और बेहतर रिटर्न प्राप्त करने के लिए नए तरीकों की तलाश करते हैं। इस प्रकार, निजी कंपनियों की इक्विटी में निवेश करने से हम उनकी विकास के सफ़रका हिस्सा बन सकते हैं। इस तरह के निवेश अब लीडऑफ (Leadoff) नामक एक नए मंच के माध्यम से संभव हैं, जिसका उद्देश्य भारतीयों के लिए निजी इक्विटी का लोकतंत्रीकरण करना है।
डिजिटल प्लेटफॉर्म अनिवार्य रूप से प्रवेश की बाधा को तोड़ता है और आपको प्रमुख निजी कंपनियों में निवेश करने की अनुमति देता है। यह एक सहज एवं सरल निवेश मंच प्रदान करने के लिए बिचौलियों और समय लेने वाली प्रलेखन प्रक्रियाओं को कम करता है। आप इसकी मदत से चेन्नई सुपर किंग्स, जल्द ही सार्वजनिक होने वाली Oyo Rooms, PharmEasy, और Reliance Retail जैसी कंपनियों निवेश करने के लिए संदर्भ खाते में निवेश कर सकते हैं, जिसकी न्यूनतम राशि केवल 10,000 रुपये है! इन उच्च-विकास फर्मों की वित्तीय रिपोर्टों और महत्वपूर्ण दस्तावेजों के माध्यम से कोई भी तर्कसंगत निवेश का निर्णय ले सकते है। निवेशकों को निवेश करने से पहले हमेशा इन रिपोर्टों को अच्छी तरह से पढ़ लेना चाहिए।
यह कैसे काम करता है?
लीडऑफ़ ने निजी स्वामित्व वाली कंपनियों के शुरुआती निवेशकों, संस्थापकों और अन्य शेयरधारकों का एक व्यापक नेटवर्क स्थापित किया है। इस प्रकार, वे विभिन्न संस्थाओं से शेयर प्राप्त करते हैं और उन्हें सीधे अपने प्लेटफॉर्म पर उपयोगकर्ताओं को हस्तांतरित करते हैं। शेयर की निवेश करने के लिए संदर्भ खाते कीमतों का मूल्यांकन संबंधित कंपनियों और उनकी ऑडिटिंग फर्मों द्वारा किया जाता है। और जब आप ऑर्डर देते हैं, तो लीडऑफ़ शेयरों को सीधे आपके मौजूदा डीमैट खाते में स्थानांतरित कर देता है!
प्लेटफ़ॉर्म बैंक-स्तरीय सुरक्षा और उपयोगकर्ता के अनुकूल डैशबोर्ड प्रदान करता है ताकि आप अपने लेनदेन पर नज़र रख सकें। पोजीशन/होल्डिंग्स को कंपनी शेयर बायबैक के माध्यम से या सार्वजनिक लिस्टिंग के समय बाहर निकाला जा सकता है। साथ ही, भारत में निजी इक्विटी शेयरों में किए गए सभी लेनदेन कानूनी हैं!
निवेश करने का निर्णय लेने से लेकर वास्तव में शेयर प्राप्त करने तक, आप 3 आसान चरणों में लेनदेन करने के लिए सक्षम होंगे:
- जिस कंपनी में आप निवेश करना चाहते हैं उसकी पूरी जांच पड़ताल करे। पूरी तरह से स्क्रीनिंग प्रक्रिया के बाद लीडऑफ ने कई उच्च-विकास फर्मों को चुना है।
- सूचित निर्णय लेने के लिए इन-प्लेटफ़ॉर्म रिपोर्ट की सहायता से कंपनी के बारे में शोध करें।
- भुगतान करें, और शेयर 24-48 घंटों में सीधे आपके मौजूदा डीमैट खाते में स्थानांतरित कर दिए जाएंगे।
हाल ही में हमने देखा है, कि अधिकांश IPO ओवरसब्सक्राइब हो रहे हैं और कुछ भाग्यशाली निवेशक महत्वपूर्ण लिस्टिंग लाभ का आनंद ले रहे हैं। ज़रा सोचिए, कि अगर आप बहुत पहले कार्रवाई करने में सक्षम होंगे, तो रिटर्न क्या होगा! आप इस प्लेटफार्म के सहायता से सक्रिय निवेशकों के क्लब में शामिल हो सकते है, जो भारत के निजी बाजारों के विकास के लिए उत्साहित हैं! जबकि लीडऑफ़ (Leadoff) अभी भी ‘वेटलिस्ट’ मोड में है, आप मार्केटफ़ीड रीडर की कतार को छोड़ सकते हैं और यहां से प्लेटफॉर्म में शामिल हो निवेश करने के लिए संदर्भ खाते सकते हैं।
जरूरत पड़ने पर आप रोक सकते हैं SIP, जानें क्या है तरीका?
कई एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) सिप में पॉज विकल्प देती हैं.
कुछ समय के लिए रोक सकते हैं SIP
कई एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) सिप में पॉज विकल्प देती हैं. इसके लिए निवेशकों को लिखित में पहले ही अनुरोध करना पड़ता है. उन्हें इसके लिए निर्धारित फॉर्म में बताना पड़ता है कि वे एक से तीन महीने के लिए सिप रोकने चाहते हैं. इस फॉर्म में निवेशक को फोलियो नंबर की जानकारी देनी होती है. उन्हें सिप को किस अवधि के बीच रोकना है इसका ब्योरा देना पड़ता है.
घटा-बढ़ा सकते हैं SIP का निवेश
निवेश पोर्टफोलियो की समीक्षा के दौरान निवेशकों की सिप की किस्त बढ़ाने या घटाने की इच्छा हो सकती है. उनके मन में सिप की रफ्तार बढ़ाने का भी ख्याल आ सकता है. वे उसी फंड हाउस की सिप स्कीम में बदलाव के इच्छुक हो सकते हैं. ऐसे मामलों में कई एएमसी सिप मॉडिफिकेशन का विकल्प देती हैं. निवेशक को सिप इंस्ट्रक्शन के बदलाव के लिए निर्देश देना पड़ता है. इसके लिए सिप मॉडिफिकेशन फॉर्म होता है. यह आवेदन नजदीकी ISC या एएमसी ऑफिस में जमा करने की जरूरत पड़ती है. फॉर्म में पुराने सिप इंस्ट्रक्शन और बदले गए इंस्ट्रक्शन का साफ उल्लेख करना चाहिए.
कैंसल कर सकते हैं SIP
सिप इंस्ट्रक्शन को कैंसल करने के लिए निवेशक को लिखित अनुरोध करना पड़ता है. इसे AMC को जमा किया जाता है. सिप कैंसल करने का अनुरोध करने के लिए तय फॉर्म होता है. दूसरा तरीका यह है कि सिप की रकम के लिए ऑटो डेबिट के वास्ते रजिस्टर्ड बैंक खाते में पैसा डालना रोक दें. अगर खाते में सिप की रकम डेबिट होने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं होगा तो चार से पांच महीने यह सिलसिला लगातार बने रहने पर एएमसी सिप रोक देगी. इस बीच खाते में पैसा रखने के लिए लगातार रिमाइंडर आते रहेंगे.
किन बातों कर रखें ध्यान
-सिप की अगली किस्त से कम से कम 30 दिनों के पहले अनुरोध कर दिया जाना चाहिए.
-उक्त सुविधाओं के संदर्भ में एमएमसी की बंदिशों के बारे में पहले ही चेक कर लेने में समझदारी है.
इस पेज की सामग्री सेंटर फॉर इंवेस्टमेंट एजुकेशन एंड लर्निंग (सीआईईएल) के सौजन्य से. गिरिजा गादरे, आरती भार्गव और लब्धि मेहता का योगदान.
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UPI पेमेंट में जुड़ेगी सिंगल-ब्लॉक और मल्टीपल डेबिट सुविधा, ई-कॉमर्स से लेकर शेयरों की खरीद-बिक्री होगी आसान
Single Block functions in UPI: केन्द्रीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार को यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस UPI पेमेंट सेवाओं को और बेहतर बनाने के लिए ‘सिंगल ब्लॉक’ और ‘मल्टीपल डेबिट’ सुविधा शुरू करने का ऐलान किया है। इस सुविधा के तहत ग्राहक किसी मर्चेंट के लिए अपने बैंक खाते में एक फिक्स अमाउंट को ब्लॉक करा सकता है। यह ब्लॉक राशि ग्राहक के खाते में शेष राशि का वह हिस्सा होता है, जिसे वे किसी खास काम के लिए बचाकर रखना चाहते हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मॉनेटरी पॉलसी समीक्षा की जानकारी देते हुए कहा कि UPI की क्षमता बढ़ाकर ग्राहकों को सेवा देने के एवज में भुगतान के लिये राशि अपने खाते में ‘ब्लॉक’ करने की सुविधा देने का निर्णय किया गया है, इससे ई-कॉमर्स और प्रतिभूतियों में निवेश को लेकर भुगतान में आसानी होगी।
सिक्योरिटीज में निवेश करने में आसानी
आरबीआई के अनुसार, इससे ई-कॉमर्स क्षेत्र में भुगतान करने के साथ ही सेकंडरी कैपिटल बाजार में सिक्योरिटीज में निवेश करने में आसानी होगी। इसका मतलब है कि आम आदमी को जल्दी ही होटल बुकिंग, कैपिटल मार्केट में शेयरों की खरीद-बिक्री जैसे कई लेनदेन के लिये UPI के जरिए राशि अपने खाते में ‘ब्लॉक’ करने और भुगतान करने की सुविधा मिलेगी।
लेन-देन में बढ़ेगा लोगों का भरोसा
आरबीआई ने कहा कि इससे लेन-देन में बड़ा विश्वास पैदा होगा और व्यापारियों को समय पर भुगतान का आश्वासन मिलेगा, जबकि माल या सेवाओं की असल में डिलीवरी हो जाने तक पेमेंट की राशि ग्राहक के खाते में ही रहेगी। अभी ग्राहक यूपीआई के जरिए सिंगल ब्लॉक (Single Block) यानी एक क्लिक पर पेमेंट करके पैसों का भुगतान करते हैं। ग्राहक जब भी जरूरी हो पैसा काटे जाने के लिए अपने बैंक खातों में धनराशि निर्धारित कर संबंधित इकाई के लिए भुगतान को तय कर सकते हैं।
RBI जल्द जारी करेगा निर्देश
आरबीआई ने कहा कि इस बारे में भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) को जल्दी ही निर्देश जारी किया जाएगा। गवर्नर शक्तिकांत दास ने भारत बिल भुगतान प्रणाली (BBPS) में सभी भुगतान और संग्रह शामिल कर इसका दायरा बढ़ाने की भी घोषणा की. अभी, बीबीपीएस के पास अलग-अलग समय पर होने वाले भुगतान या व्यक्तियों को मिलने वाले पैसे के भुगतान की सुविधा नहीं है।
इसी के साथ गवर्नर ने यह भी कहा कि पेशेवर सेवा शुल्क भुगतान, शिक्षा शुल्क, टैक्स पेमेंट, रेंट कलेक्शन इसके दायरे में नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि नई प्रणाली बीबीपीएस मंच को व्यक्ति से व्यक्ति (P2P) और व्यक्तियों से व्यवसायों (P2M) के व्यापक समूह के लिए आसान बनाएगी। इस संदर्भ में रिजर्व बैंक अलग से दिशानिर्देश जारी करेगा।
यूपीआई लेनदेन की बढ़ रही लोकप्रियता
यूपीआई देश में भुगतान का सबसे प्रचलित और पसंदीदा माध्यम बनकर उभरा है। UPI के पर्सन-टू-मर्चेंट (P2M) की इस साल जुलाई-सितंबर के दौरान कुल डिजिटल भुगतान लेनदेन में 42 प्रतिशत हिस्सेदारी रही है। वहीं, UPI की पर्सन-टु-व्यक्ति (P2P) ने जुलाई-सितंबर की अवधि के दौरान लेनदेन की मात्रा में 65 प्रतिशत हिस्सेदारी रखी। ताजा आंकड़ों के अनुसार, UPI के जरिये नवंबर में 7.30 अरब लेनदेन किये गए। इन लेनदेन की राशि 11.90 लाख करोड़ रुपये थी।
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