IPO Pipeline: 2023 में बाजार में आ सकते हैं 89 आईपीओ, बाजार से 1.4 लाख करोड़ रुपये जुटायेंगी कंपनियां
इस साल करीब 89 कंपनियां आईपीओ के जरिये 1.4 लाख करोड़ रुपये जुटाने के लिए कतार में हैं। जबकि भारतीय आईपीओ बाजार में 2022 में नवंबर तक 33 कंपनियों ने आईपीओ के जरिये 55145.80 करोड़ रुपये जुटाये हैं। वहीं 2021 में कुल 63 कंपनियों ने आईपीओ के जरिये 1.19 लाख करोड़ रुपये जुटाये थे। ये आंकड़े प्राइम डेटा बेस से लिये गये हैं
इस साल नये जमाने की टेक्नोलॉजी कंपनियां बाजार में अस्वाभाविक वैल्यूशन पर लिस्ट हुईं। इनमें लिस्टिंग के दौरान भारी गिरावट देखने को मिली है जिससे निवेशकों को भारी चपत लगी
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नये साल 2023 में आईपीओ बाजार में हमें भारी गहमागहमी देखने को मिलेगी। इस साल करीब 89 कंपनियां दलाल स्ट्रीट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में हैं। प्राइम डेटा बेस (Primedatabase) के आंकड़ों के मुताबिक ये कंपनियां अपने आईपीओ के जरिये 1.4 लाख करोड़ रुपये जुटा सकती हैं। गौरतलब है कि भारतीय आईपीओ बाजार में 2021 में कुल 63 कंपनियों ने आईपीओ के जरिये 1.19 लाख करोड़ रुपये जुटाये थे। जबकि 2022 में नवंबर तक 33 कंपनियों ने आईपीओ के जरिये 55145.80 करोड़ रुपये जुटाये हैं। यहां पर हम ऐसी कंपनियों की सूची दे रहे हैं जिनको सेबी (SEBI ) से या तो आईपीओ की मंजूरी मिल गई है या फिर इनके आईपीओ की अर्जी सेबी के पास विचाराधीन है।
फिशडम के हेड नीरव करकेरा (Nirav Karkera, head of Fisdom) का कहना है कि इस साल तमाम नये जमाने की टेक्नोलॉजी कंपनियां बाजार में अस्वाभाविक वैल्यूशन पर लिस्ट हुईं। लिस्टिंग के दौरान इनमें भारी गिरावट देखने को मिली है। जबकि लिस्टिंग के दौरान इसमें निवेशकों को भारी चपत लगी। मार्केट रेग्युलेटर सेबी भी इस बात को लेकर चिंतित है। इसको ध्यान में रखते हुए उसने वैल्यूएशन प्रोसेस को पारदर्शी और सही बनाने के लिए अपनी तरफ से कोशिश कर रहा है।
वहीं कुछ फंड मैनेजर्स का कहना है कि पिछले कुछ सालों के दौरान आईपीओ बाजार से उनको अल्फा रिटर्न (जोरदार रिटर्न) मिला है। आईडीएफसी एमएफ के अनूप भास्कर (Anoop Bhaskar of IDFC MF) ने मनीकंट्रोल के म्युचुअल फंड समिट(Moneycontrol’s Mutual Fund Summit) के दौरान कहा कि पिछले कुछ सालों के दौरान बाजार काफी सपाट रहा है। इस समय 2008 की तरह एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) खोजना आसान नहीं हैं। लेकिन खास बात ये है कि पिछले कुछ सालों के दौरान आईपीओ बाजार अल्फा रिटर्न देने वाला साबित हुआ है।
दलाल कॉर्नर: आपको अपने प्रतिस्पर्धियों के विपणन विचारों का पालन नहीं करना चाहिए?
बिक्री के साथ-साथ बिक्री की प्रक्रिया समय के साथ विकसित हुई है, सवाल उठाते हुए कि संपत्ति सलाहकार होमबॉयर की सेवा के लिए अपना दृष्टिकोण बदल नहीं रहे हैं। नए मार्केटिंग विचारों को बनाने की बात आती है तो अचल संपत्ति का व्यवसाय अंधे-प्रमुख-अंधे उपद्रव का शिकार बन गया है। इसके परिणामस्वरूप औसत दर्जे का मार्केटिंग हुआ है, जो लगता है और वही दिखता है। हालांकि, किसी अन्य कंपनी के दृष्टिकोण का पालन करने के लिए यह बेकार है क्योंकि इसमें मौलिकता सर्वश्रेष्ठ दलालों की सूची नहीं है और आपके ब्रांड के लिए कोई भी मूल्य याद नहीं बनाता है कैसे साधारण विपणन आपके व्यवसाय को प्रभावित करता है? अचल संपत्ति में, आप आमतौर पर समान टैग लाइन, पोस्टकार्ड, ब्रोशर, और अन्य सभी-बिना किसी रणनीति के किए गए होंगे भयावह बात यह है कि आमतौर पर दलालों ने सामग्री की नकल की है, उनके बारे में कोई जानकारी नहीं है कि वे क्या कर रहे हैं। मान लीजिए कि कोई विचार आपके लिए नया लग रहा है और आप अपने विपणन समूह को उस टुकड़े को पुन: उत्पन्न करने के लिए कहेंगे। यहां समस्या है क्योंकि आपके पास कोई भी विचार नहीं है कि मूल व्यक्ति ने उस रणनीति के बारे में क्या सोचा था, आप यह नहीं देख सकते कि यह कितना सफल होगा। यह बाजार में आपके लिए एक 'मी-भी' छवि बन जाती है। क्या ऐसा प्रॉपर्टी ब्रोकरेज जैसे प्रतिस्पर्धी क्षेत्र में काम करता है? आपको अच्छी तरह से जवाब पता है औसत दर्जे का नस्ल कैसे काम करता है? सबसे भयानक हिस्सा यह है कि प्रॉपर्टी दलालों, जिन्हें मूल विचारों की ज़रूरत होती है, ताकि वे दूसरों के विचारों को कॉपी करने के जाल में सफल हो सकें यही कारण है कि हम सुझाव देते हैं कि अगर आप उद्योग में अन्य लोगों के विचारों के स्रोत की आवश्यकता महसूस करते हैं, अनुसंधान करते हैं और उनका मूल्यांकन करते हैं कि नेताओं ने क्या किया है हालांकि, फिर इसका अर्थ यह नहीं है कि फॉलो-द-झुंड दृष्टिकोण सर्वश्रेष्ठ दलालों की सूची के लिए जा रहा है एक प्रेरणा लेना अच्छा है, लेकिन, प्रभावी होने के लिए, आपकी मार्केटिंग गतिविधियों को अनूठा और सुविख्यात होना चाहिए। मार्केटिंग का उद्देश्य प्रतिस्पर्धा का नेतृत्व करना और बाजार हिस्सेदारी को पकड़ना है। आप केवल एक महान विपणन योजना के साथ ही ग्राहकों को कुछ अलग और विशेष उपलब्ध कराने के माध्यम से इसे प्राप्त कर सकते हैं। उत्तर क्या है? यही वह जगह है जहां होमबॉयर की बदलती जरूरतों को खेलने के लिए एक भूमिका है। प्रदर्शित करें कि आप उनकी आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को किसी अन्य कंपनी से बेहतर समझते हैं आप ऐसा नहीं कर सकते हैं यदि आप अपने प्रतिद्वंद्वियों की तरह दिखते हैं है न? इसलिए, तुरंत अपने प्रतिद्वंद्वियों का पालन करना रोकें यह समझें कि विक्रेताओं और होमबॉयर्स क्या खोज रहे हैं, और उन कारकों के साथ मिलकर अपने प्रमुख संदेशों को तैयार कर सकते हैं। उसके बाद, अपने प्रसाद के बारे में उन्हें जागरूक करने के लिए एक योजना विकसित करें और आप उनके लिए सबसे अच्छा विकल्प क्यों हैं। अपने मुख्य विभेदकों की एक सूची बनाएं और उन अंकों के आधार पर मार्केटिंग अभियानों का विकास करें। यह समय लेने वाला हो सकता है लेकिन दीर्घकालिक परिणाम आपके व्यवसाय के लिए बहुत अधिक फायदेमंद होंगे।
बक्सर में इंदिरा आवास की सूची लीक, ठगे जा रहे गरीब
PATNA/BUXAR : चक्की प्रखंड में इंदिरा आवास योजना का लाभ दिलाने के नाम पर वसूली का खेल पिछले डेढ़ माह से जारी है। दो माह पहले ही लाभुकों की सूची दलालों के पहुंच चुकी है। स्थिति ये है कि दलाल पक्के मकान वालों के सूची से नाम नहीं कटवाने के नाम पर चालीस हजार रुपए तक ले रहे हैं। लेकिन, अधिकारी इससे अनजान बने हुए हैं। इसके कारण गरीब जनता ठगी के शिकार हो रही है।
उगाही कर रहे एजेंट
स्थानीय सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक प्रखंड कार्यालय के कर्मी दलालों के पास इंदिरा आवास से संबंधित कागजात पहले ही पहुंचा दिए हैं। इसी सूची के आधार पर दलाल पैसे की उगाही कर रहे हैं। चक्की प्रखंड के भाजपा मानवाधिकार के प्रखंड अध्यक्ष कुंअर सिंह ने बताया कि इंदिरा आवास योजना के नाम पर खुलेआम वसूली की जा रही है। इसमें बिचौलियों से लेकर इंदिरा आवास कर्मी व अधिकारी भी मिले हुए हैं। इन्हीं लोगों के संरक्षण में यह खेल खेला जा रहा है।
लोगों को बुलवा रहे दलाल
कई ऐसे भी लाभुक हैं, जो दूसरे राज्यों में रोजी-रोटी की तलाश में गए हैं। उन्हें दलालों द्वारा फोन कर बुलवाया जा रहा है। ऐसे में सरकारी अधिकारियों से ज्यादा विश्वासी लोगों के बीच दलाल ही बने हुए हैं। उन्हें लगता है कि जो काम सरकार के नुमाइंदा नहीं कर सका, वो काम बिचौलिये ने पूरा करा दिया। स्थिति ये है कि बिचौलियों के घर बजाप्ता दरबार लग रहा है। यह स्थिति पूरे पंचायत की है। इंदिरा आवास में सर्वश्रेष्ठ दलालों की सूची रूपये का लेनदेन खुलेआम चल रहा है।
इस तरह की शिकायत उन्हें नहीं मिली है। अगर कोई भी व्यक्ति इस तरह का काम करता है, तो लोग सीधे उन्हें सूचित करें। वैसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली अभिनेत्रियों की 'फोर्ब्स लिस्ट' से बेदखल हुईं दीपिका!
हम आपको ये भी बताते चलें कि हॉलीवुड के सुपरस्टार विन डीजल के साथ ‘XXX: रिटर्न ऑफ क्जेंडर केज’ से हॉलीवुड में डेब्यू करने वाली दीपिका के पास हाल-फिलहाल में कोई बड़ा इंटरनेशनल प्रोजेक्ट नहीं है, जिससे उनकी कमाई में कोई खास वृद्धि हो सके. लिहाजा दीपिका के इस सूची से बाहर होने की एक वजह ये भी हो सकती है.
आपको बता दें कि स्टोन, ऑस्कर के अलावा बाफ्टा और गोल्डेन ग्लोब अवॉर्ड्स भी जीत चुकीं हैं.
वहीं जेनिफर लॉरेंस ने डॉलर 24 मिलियन की कमाई की है.
फोर्ब्स की मानें, तो जेनिफर एनिस्टन ने इस साल जून तक एक साल में 25 मिलियन डॉलर की कमाई की है.
फोर्ब्स ने एमा स्टोन के अलावा टॉप तीन में स्थान पाने वाली दो और अभिनेत्रियों जेनिफर एनिस्टन और जेनिफर लॉरेंस की एक साल की कमाई का भी आंकड़ा जारी किया है.
इसके अलावा लगातार दो साल से फोर्ब्स की सूची में टॉप पर काबिज रहने वाली जेनिफर लॉरेंस पहले स्थान से खिसककर तीसरे नंबर पर पहुंच गई हैं.
मैग्जीन के चार्ट की मानें तो इस 28 साल की एक्ट्रेस ने इस साल के जून तक 26 मिलियन डॉलर की कमाई की है.
वहीं फिल्म ‘ला ला लैंड’ में अपनी शानदार एक्टिंग की बदौलत इस साल का ऑस्कर अवॉर्ड जितने वाली एक्ट्रेस ‘एमा स्टोन’ को फोर्ब्स ने अपनी सूची में पहले पायदान पर जगह दी है.
बता दें कि न सिर्फ भारत, बल्कि पूरे एशिया में से कोई भी इस सूची में अपना नाम नहीं दर्ज करवा पाया.
दीपिका साल 2016 में फोर्ब्स की ओर से जारी की गई सूची में टॉप 10 में जगह बनाने में कामयाब रहीं थीं.
फोर्ब्स ने इस साल सबसे ज्यादा कमाई करने वाली अभिनेत्रियों की एक सूची जारी की है, जिसमें दीपिका पादुकोण टॉप 10 कमाई करने वाली अभिनेत्रियों की सूची से बाहर हो गईं हैं.
अपनी दमदार एक्टिंग से देश ही नहीं, विदेशों में भी भारत का नाम रौशन करने वाली बॉलीवुड की ग्लोबल स्टार दीपिका पादुकोण मशहूर अमेरिकन मैग्जीन फोर्ब्स की ओर से जारी एक रैंकिंग में पिछड़ गईं हैं.
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Himachal Politics हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री को लेकर सस्पेंस बरकरार, विधायकों ने कांग्रेस आलाकमान पर छोड़ा फैसला
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शिमला. हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के नवनिर्वाचित विधायकों की शुक्रवार को यहां बैठक हुई और उन्होंने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर पार्टी अध्यक्ष को उनका नेता चुनने के लिए अधिकृत किया। कांग्रेस विधायक दल की बैठक से पहले मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल प्रतिभा सिंह, मुकेश अग्निहोत्री और सुखविंदर सिंह सुक्खू अपने समर्थकों के साथ राज्य की राजधानी शिमला में पार्टी कार्यालय पहुंचे। उनके समर्थकों ने उनके पक्ष में नारे लगाए।
कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश की 68 सदस्यीय विधानसभा में 40 सीट जीती है। विधानसभा चुनाव के लिए 12 नवंबर को मतदान हुआ था और बृहस्पतिवार को परिणाम घोषित हुए। बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते सर्वश्रेष्ठ दलालों की सूची हुए, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के हिमाचल प्रदेश से जुड़े मामलों के प्रभारी राजीव शुक्ला ने कहा कि एक पंक्ति का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया और अब पार्टी के पर्यवेक्षक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा शनिवार को पार्टी आलाकमान को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे।
कांग्रेस पार्टी के भीतर गुटबाजी का खंडन करते हुए, शुक्ला ने कहा कि विधायक दल के नेता के पद के लिए कोई नाम सामने नहीं आया और विधायकों ने सर्वसम्मति से फैसला लिया कि पार्टी नेतृत्व इस पर निर्णय करे। इससे पहले बघेल और हुड्डा के साथ राजीव शुक्ला ने राज्यपाल से मुलाकात की थी और उन्हें पार्टी के विजयी उम्मीदवारों की सूची सौंपी थी।
राज्यपाल से मिले कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल में शामिल हरियाणा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता करण सिंह दलाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि उन्होंने सूची देते हुए कहा, ”हम राज्य में सरकार बनाने को लेकर दावा पेश करने के लिए समय मांगने आए हैं। पार्टी ने बहुमत से विधानसभा चुनाव जीता है।” पर्यवेक्षकों के राज्यपाल से मिलने जाने से पहले प्रदेश कांग्रेस प्रमुख प्रतिभा सिंह के समर्थकों ने एक होटल के पास उनके वाहन को घेर लिया। उन्होंने नारेबाजी करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के परिवार से होना चाहिए। इसी तरह की नारेबाजी कांग्रेस कार्यालय के बाहर भी हुई। यह घटना तब हुई जब केंद्रीय पर्यवेक्षक शुक्ला के साथ राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर से मिलने जा रहे थे। कांग्रेस विधायक दल की बैठक अपराह्न तीन बजे शुरू होने वाली थी, लेकिन इसमें देरी हुई क्योंकि कई विधायक पहले दूर-दराज के इलाकों से शिमला नहीं पहुंच पाए थे।
विधायक दल की बैठक से पहले मीडियाकर्मियों से बात करते हुए, कांग्रेस नेता सुक्खू ने कहा, ‘‘मैं मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं हूं। मैं सिर्फ एक कांग्रेस कार्यकर्ता हूं और आलाकमान जो भी फैसला लेगा, उसे स्वीकार किया जाएगा।” कांग्रेस सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह (66) ने संकेत सर्वश्रेष्ठ दलालों की सूची दिया है कि वह मुख्यमंत्री पद की दौड़ में हैं।
उनके बेटे एवं शिमला ग्रामीण क्षेत्र से कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने कहा था, “मैं शीर्ष पद की दौड़ में नहीं हूं, लेकिन मेरी मां मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में से एक हैं।” उन्होंने कहा था, “सभी विजयी विधायकों की बैठक बुलाई गई है और अंतिम निर्णय आलाकमान द्वारा लिया जाएगा, जो सभी को स्वीकार्य होगा।”
सिंह ने यहां संवाददाताओं से कहा, “विधायकों की सामूहिक इच्छा को ध्यान में रखा जाएगा और फिर पर्यवेक्षक इसे आलाकमान तक पहुंचाएंगे।” एक सवाल के जवाब में सिंह ने कहा, “आलाकमान जो भी फैसला करेगा, वह हम सबको मंजूर होगा।” उन्होंने कहा, “हमारे लिए पद महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण यह है कि हमने लोगों से जो वादे किए हैं, उन्हें हमें पूरा करना है और हम उसके लिए प्रतिबद्ध हैं।” उन्होंने कहा कि दो-तीन दिन में सरकार का गठन कर लिया जाएगा।
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