Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Updated on: December 26, 2022 11:00 IST

डायरेक्ट म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश करने के ये हैं शानदार तरीके, मंदी में भी मिलता है मोटा रिटर्न

म्यूचुअल फंड में निवेश करना हमेशा एक बेहतर निवेश के रूप में देखा जाता है, क्योंकि इसमें जोखिम की संभावनाएं कम होती है, और एक्सपर्ट के मुताबिक, रिटर्न अधिक मिलता है। यहां डायरेक्ट म्यूचुअल फंड स्कीम के बारे में जानिए।

Vikash Tiwary

Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Updated on: December 26, 2022 11:00 IST

डायरेक्ट म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश- India TV Hindi

Photo:INDIA TV डायरेक्ट म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश

म्यूचुअल फंड सिक्योरिटी मार्केट में निवेश करने का एक अच्छा तरीका है, जिससे निवेशकों को समय के साथ अच्छा रिटर्न मिल जाता है। इसकी सबसे खास बात यह होती है कि यह महंगाई या मंदी के समय में भी रिटर्न देना जारी रखता है। आज के समय में कई सारे अच्छे निवेशक इसमें निवेश कर रहे हैं। डायरेक्ट म्यूचुअल फंड में निवेश करने के क्या तरीके होते हैं, जिसका ध्यान रखना एक नए इन्वेस्टर के लिए जरूरी होता है। आइए जानते हैं।

रेगुलर और डायरेक्ट

जो निवेशक अपने दम पर निवेश करना पसंद करते हैं, वे डायरेक्ट प्लान सेलेक्ट करते हैं क्योंकि इसमें कमीशन नहीं देने पड़ता है। जो एजेंट के माध्यम से निवेश करना पसंद करते हैं, वे रेगुलर प्लान के माध्यम से निवेश करते हैं, जिसमें डायरेक्ट प्लान की तुलना में अधिक खर्च होता है।

डायरेक्ट प्लान में निवेश के तरीके

  • एएमसी(Groww या ET Money जैसे प्लेटफॉर्म) की वेबसाइट पर विजिट करें, उसके बाद निवेशक 'डायरेक्ट प्लान' पर क्लिक करके आवेदन प्रक्रिया को पूरा कर सकते हैं।
  • आरटीए वेबसाइट/किसी अन्य डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म की मदद से।
  • आप ऑफलाइन भी इसका विकल्प चुन सकते हैं। इसके लिए आपको संबंधित कार्यालय में जाना होता है, जहां इसकी सुविधा दी गई होती है।

इस तरीका भी करेगा काम

डायरेक्ट प्लान में जाने का दूसरा तरीका यह है कि रेगुलर प्लान में मौजूदा निवेश को उसी स्कीम के डायरेक्ट प्लान में बदल दिया जाए। इसमें एक योजना से मुक्ति और दूसरी योजना में निवेश शामिल होता है।

Stock Market में बड़ी गिरावट निवेशकों के लिए मौका, इन म्यूचलफंड में लगाएं पैसा

how to invest in mutual fund

स्टॉक मार्केट (Stock Market) की गिरावट ने साल के अंत में निवेशकों को बड़ा नुकसान कराया है. बीते एक सप्ताह में इंवेस्टर्स को करीब 19 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है. ट्रेडर से लेकर इन्वेस्टर्स हर वर्ग को इसका भारी नुकसान हुआ है. उनकी दौलत इस गिरावट के कारण घट गई है. म्यूचुअल फंड और एसआईपी (Mutual Fund & SIP) की सहायता से निवेश करने वाले निवेशकों के पोर्टफोलियो पर भी बड़ी चोट लगी है. इसके जानकारों का कहना है कि मौजूदा मंदी का लंबी अवधि के म्यूचुअल फंड एसआईपी निवेशकों पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा. अब निवेशकों के लिए मौके की तलाश है.

विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशक म्यूचुअल फंड की मदद से शेयर बाजार में कई अवसर तलाश रहे हैं. बाजार में आई इस गिरावट का निवेशक लाभ उठा सकते हैं. इंस्टवेस्टर के लिए यह बेहतरीन अवसर हैं. ये कई तरह के फंड्स के जरिए इन्वेस्टमेंट की सलाह दे रहे हैं.

इस म्यूचुअल फंड में करें निवेश

मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि वे नए निवेशक जो बाजार के बढ़ने का इंतजार कर रहे थे, उनके पास हाईब्रिड रूट या बैलेंस्ड एडवांटेज फंड की मदद से निवेश करने का बेहतर मौका है. हाइब्रिड फंड बाजार को समय प्रदान करने की कोशिश करते हैं. नए-नए निवेशकों को एक बार में पैसा लगाने से बचना चाहिए. विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशकों को हिदायत दी जाती है कि हाइब्रिड म्यूचुअल फंड में पैसे को 6-12 हिस्सों में बांटकर निवेश करना चाहिए.

एक रिपोर्ट के अनुसार, नए निवेशकों का कहना है कि गिरते बाजार में नए निवेशकों के लिए हाइब्रिड फंड सही साबित हो सकता है? उनका कहना है कि लोगों को अब लंबी अवधि के निवेश को लेकर तैयार रहना चाहिए. इसके लिए हाइब्रिड फंड सबसे अच्छा है.

लंबी अवधि में बनेगा पैसा

विशेषज्ञों का कहना है कि लंबी अवधि के म्यूचुअल फंड को चुनना चाहिए. इसके साथ एसआईपी निवेशकों को अपने निवेश को जारी रखने की आवश्यकता है. यह मध्यम से लंबी दूरी के लिए लक्ष्य को पूरा करने का बेहतर मौका है. हाइब्रिड म्यूचुअल फंडों में निवेश की सलाह दी जाती है. नए निवेशक के लिए बेहतर मौका है.

आइए समझें टैक्स सेविंग वाले म्यूचुअल फंड का निवेश क्यों है सबसे फायदेमंद

ELSS ईएलएसएस ऐसे म्यूचुअल फंड होते हैं, जिनका सर्वाधिक भाग (65% से अधिक) शेयरों (equity) में और इक्विटी लिंक्ड सिक्योरिटीज में निवेश कि जाता है. साथ ही इसका एक हिस्सा फिक्स्ड इंकम प्रतिभूति (fixed-income securities) आदि में भी लगाया जाता है.

आइए समझें टैक्स सेविंग वाले म्यूचुअल फंड का निवेश क्यों है सबसे फायदेमंद

म्यूचुअल फंड निवेश का अच्छा विकल्प.

म्यूचुअल फंड में निवेश आज की तारीख में सबसे बेहतर निवेश माना जा रहा है. कारण सिर्फ यह है कि अगर कोई भी नौकरीपेशा या बिजनेसमैन यह चाहता है कि वह अपने काम के साथ अपने पैसे को बढ़ाना चाहता है और उस पर ज्यादा सोच विचार का समय नहीं है तब म्यूचुअल फंड का निवेश उसके सामने एक अच्छा विकल्प है. साथ ही ऐसे निवेशकों के लिए यह सबसे उपयोगी जो बाजार के उतार-चढ़ाव को तो समझते हैं मगर उससे सीधे जुड़े नहीं रह पाते हैं. नौकरी या बिजनेस उन्हें इतना वक्त नहीं देता कि वे बाजार की चाल के साथ निवेश कर सकें और अपना पैसा सही समय में निकाल सकें. ऐसे लोगों के लिए म्यूचुअल फंड शानदार मौका निवेश या इन्वेस्टमेंट क्या है? उपलब्ध कराता है जिससे वे अपने पैसे का ज्यादा रिटर्न ले सकें.

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म्यूचुअल फंड में एक फंड टैक्स सेविंग फंड भी होता है जिसे आम तौर पर ELSS (Equity Link Saving scheme) कहते हैं. चूंकि यह एक टैक्स सेविंग स्कीम है तो इसके साथ कुछ पाबंदियां भी आती हैं. यानि इस योजना में कुछ लॉकिन इन समय है. इससे साफ है कि इस दौरान आप निवेश की गई राशि को निकाल नहीं सकते हैं. अमूमन यह लॉकइन समय कम से कम तीन साल का होता है.

ELSS ईएलएसएस ऐसे म्यूचुअल फंड होते हैं, जिनका सर्वाधिक भाग (65% से अधिक) शेयरों (equity) में और इक्विटी लिंक्ड सिक्योरिटीज में निवेश कि जाता है. साथ ही इसका एक हिस्सा फिक्स्ड इंकम प्रतिभूति (fixed-income securities) आदि में भी लगाया जाता है.

चूंकि इनमें निवेश लॉकइन समय के साथ आता है. तो सरकार की ओर से आयकर की धारा 80 सी के तहत टैक्स में छूट का लाभ लिया जा सकता है. यह साफ करना भी जरूरी है कि इस सेक्शन के तहत केवल 150000 रुपये सालाना ही टैक्स में छूट का दायरा है. क्योंकि यहां पर टैक्स में छूट के साथ कमाई भी हो रही है तभी इसे टैक्स सेविंग स्कीम भी कहा जा रहा है.
जानकारी के लिए बता दें कि आयकर के सेक्शन 80 सी के तहत कुछ अन्य निवेश और खर्च भी आते हैं. इनमें EPF, PPF, NSC, सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम, सुकन्या समृद्धि योजना, जीवन बीमा आदि भी सम्मिलित हैं. टैक्स की लिमिट में इन सभी को शामिल किया जाता है.

टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड या ELSS की मुख्य बातों को ऐसे समझें

टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड या कहें म्यूचुअल फंड एक प्रकार से कई लोगों के पैसे को इकट्ठा कर बाजार में निवेश किया जाता है. नाम से ही साफ हो जाता है कि जिस भी कंपनी के माध्यम से हम निवेश कर रहे हैं वह कंपनी पैसे एकत्र कर निवेश करती है. कंपनी के पास अपने फंड मैनेजर होते हैं जो हमेशा बाजार की चाल पर नजर रखते हैं और निवेश करने में बेहतर रिटर्न के साथ पैसे की सुरक्षा के दोनों पहलुओं पर गौर करते हैं. यहां यह भी साफ कर देना उतना ही जरूरी है जितना किसी बात की गारंटी देने के लिए जरूरी होता है. बाजार में किया गया निवेश हमेशा एक रिस्क या कहें जोखिम के साथ होता है. सो जो इस बात को रिस्क वहन करना जानते हैं तब आप बाजार से जुड़े किसी फंड में निवेश करें.
फंड मैनेजर ये निवेश सरकारी बॉन्ड, कंपनियों के सावधि जमा, शेयर या फिर सोना आदि में करते हैं या कहें जैसे जरूरत और समय है उसमें निवेश किया जाता है. ये फंड मैनेजर की सूझबूज के साथ ही तय हो जाता है कि पैसा कितना बढ़ेगा. साथ ही यह वही तय करता है कि कब निवेश करना है और कब निकाल लेना है.

रिटर्न की संभावना कितनी है म्यूचुअल फंड में

इस सवाल का जवाब सटीक नहीं होता. इसके लिए कहा जा सकता है कि सड़क पर चलती गाड़ी की स्पीड कितनी होगी. कोई बता सकता है. नहीं. सड़क कैसी है, ड्राइवर कैस है और ट्रैफिक कैसा.. कई कारक सड़क पर गाड़ी की स्पीड तय करते हैं. वैसे टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड भी शेयरों में ही निवेश करता है इसलिए इसमें से सबसे ज्यादा पैसा बनने की उम्मीद है. वैसे भी भारत की अर्थव्यवस्था पिछले कुछ दशकों से लगातार प्रगति कर रही है. विदेशी निवेशकों से लेकर विदेशी कंपनियों ने यहा पर निवेश और विनिर्माण में रुचि दिखाई है और यह लगातार बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे में आने वाले 20 सालों में भारत का भविष्य उज्ज्वल है और निवेश का प्रतिफल लाभदायक ही होने की उम्मीद है. हम फिर एक बार गारंटी नहीं ले रहे हैं. याद रखें बाजार की अपनी चाल होती है. आंकड़ों पर गौर किया जाए तो कई निवेश या इन्वेस्टमेंट क्या है? म्यूचुअल फंड ने पिछले दो दशकों में 21 प्रतिशत सालाना का रिटर्न भी दिया है. कहा तो यह भी जाता है कि MF के सामने सोना भी फीका साबित हुआ है. कुछ तो यह भी कहते हैं कि प्रॉपर्टी का निवेश भी कमतर रहा है.

इसीलिए अगर आप चाहते हैं कि आपके tax saving investment से सबसे ज्यादा कमाई हो तो टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड यानी ELSS में पैसे लगाएं।

म्यूचुअल फंड में SIP के जरिए किस्तों में भी निवेश कर सकते हैं
म्यूचुअल फंड में एकमुश्त और SIP की सुविधा होती है. एसआईपी के जरिए आपको निवेश करने में सुविधा होती है. आप महीने की किसी एक तारीख में एक निवेश या इन्वेस्टमेंट क्या है? निश्चित रकम निवेश कर सकते हैं. अब इन एसआईपी के लिए बैंक खाते से हर महीने अपने आप पैसे कट जाते हैं. पैसे अलग अलग महीने में कटती है तो ऐसे में आपके म्यूचुअल फंड के खाते में भी अलग अलग समय पर यूनिट की खरीद होती है. इससे यह फायदा होता है कि बाजार के उतार चढ़ाव को यह संभाल लेता है.

अंत में बस एक बात. अभी तक देखा गया है कि पिछले दो दशकों में शेयर बाजार वाले म्यूचुअल फंड में निवेश पर कम से कम 11 प्रतिशत सालाना का रिटर्न मिला है वहीं टैक्स सेविंग में 18 प्रतिशत तक का रिटर्न प्राप्त हुआ है. बाजार ने पिछले दो दशकों में देश की तरक्की के साथ खासी मजबूती भी हासिल की है और निरंतर प्रगति के ओर बढ़ रहा है. यह अलग बात है कि बाजार हमेशा जोखिम से भरा होता है इसलिए बाजार से जुड़े किसी भी निवेश में केवल उसी व्यक्ति को निवेश करना चाहिए जो यह रिस्क लेने को तैयार है.

सिर्फ 500 रुपये से भी आप कर पाएंगी इंवेस्टमेंट, एक्सपर्ट से जानें तरीका

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पैसों को सही जगह इंवेस्ट करना बेहद जरूरी होता है ताकि आपको उसका फायदा भी समय पर मिल सके। आपके पास अगर सिर्फ 500 रुपये भी हैं तो आप उन पैसों को भी इंवेस्टमेंट कर सकती हैं। अगर आप 500 रुपये से इंवेस्ट करने जा रही हैं तो इस लेख में आईसीएफएआई बिजनेस स्कूल के ब्रांच हेड राहुल श्रीवास्तव से जानिए वो तरीके जिसमें आप इंवेस्ट कर सकती हैं।

1)छोटा इंवेस्टमेंट प्लान

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सबसे पहले तो आपको यह विचार मन से निकाल देना चाहिए कि आप सिर्फ 500 रुपये को इंवेस्ट कर रही हैं और इससे आपको फायदा नहीं होगा। आपको बता दें कि एसआईपी इक्विटी म्‍यूचुअल फंड्स में निवेश करने के लिए आप हर माह 500 रुपये के छोटे निवेश से भी शुरुआत कर सकती हैं।

इसकी मदद से आप अच्छा निवेश कर पाएंगी और भविष्य में पैसों को इस्तेमाल भी कर पाएंगी। आप एसआईपी के जरिए म्‍यूचुअल फंड में निवेश भी कर सकती हैं। फाइनेंस एक्सपर्ट के अनुसार एसआईपी में बाजार के उतार-चढ़ाव से जुड़ा जोखिम काफी कम होता है। अगर बाजार में गिरावट आती है तो आपको निवेश की उतनी ही वैल्यू में ज्यादा यूनिट मिल जाती हैं।

2)नियमित निवेश है जरूरी

her zindagi expert talk finance

अगर आप किसी ऐसी स्कीम या फिर योजना में निवेश करने जा रही हैं जिसमें आपको हर रोज 500 रुपये इंवेस्ट करने होंगे तो आपको नियमित निवेश करना जरूरी होता है। (Post Office Savings Scheme: रोजाना करें 47 रुपए का निवेश, मैच्‍योरिटी पर पाएं 35 लाख रुपए)

अगर आप किसी भी दिन यह निवेश नहीं करती हैं तो इससे आपको भारी नुकसान भी हो सकता है। माह में एक बार 500 रुपये निवेश करने के लिए आप निवेश की डेट तय कर सकती हैं और इससे आपको नियमित निवेश की आदत पड़ जाएगी।

3)ऐसे करें निवेश

आपको निवेश करने से पहले यह समझना चाहिए कि आप किस लिए निवेश कर रहे हैं और इससे आपको क्या फायदा होगा। अगर आप अपने बच्चे की पढ़ाई के लिए निवेश कर रही हैं तो आपको यह पता होना चाहिए कि 500 रुपये कितने समय के लिए निवेश करना होगा और अगर आप चाहें तो निवेश किए हुए पैसों को भविष्य में बढ़ाकर भी निवेश कर सकती हैं। इस तरह से निवेश करने पर आपको भविष्य में फायदा मिल सकता है।

इस तरह से आप 500 रुपये में भी निवेश कर सकती हैं। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। इस आर्टिकल के बारे में अपनी राय आप हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

FPI Investment: भारतीय बाजार पर विदेशी निवेशकों का भरोसा कायम, दिसंबर में अब तक किया इतने करोड़ का तगड़ा निवेश!

नवभारत टाइम्स लोगो

नवभारत टाइम्स 1 दिन पहले

नई दिल्ली:

चीन सहित निवेश या इन्वेस्टमेंट क्या है? दुनिया के कई देशों में बढ़ते कोरोना के मामले और मंदी की आहट के बीच विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार पर भरोसा कायम है। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने भारतीय इक्विटी बाजारों में 1 से 23 दिसंबर 2022 के दौरान करीब 11,557 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है। नवंबर में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक यानी एफपीआई (FPIs) ने भारतीय बाजारों में 36,200 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया था। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि आने वाले समय में अमेरिका से मैक्रो डेटा और कोविड समाचार निकट भविष्य में एफपीआई प्रवाह और बाजारों को चलाएंगे। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने दिसंबर के दौरान इक्विटी में 11,557 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है। इसकी मुख्य वजह अमेरिकी डॉलर सूचकांक के कमजोर होने और समग्र व्यापक आर्थिक रुझानों के बारे में सकारात्मकता बताया जा रहा है।

अक्टूबर और सितंबर में निकाले थे रुपये

डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चलता है कि इससे पहले विदेशी निवेशकों ने अक्टूबर में 8 करोड़ रुपये और सितंबर में 7,624 करोड़ रुपये निकाले थे। मॉर्निंगस्टार इंडिया के मैनेजर रिसर्च और एसोसिएट डायरेक्टर हिमांशु श्रीवास्तव के मुताबिक, बाजारों में गिरावट के बावजूद, दुनिया के कुछ हिस्सों में कोविड के फिर से उभरने को लेकर बढ़ती चिंता और अमेरिका में मंदी की चिंता के बावजूद, एफपीआई भारतीय इक्विटी बाजारों में (दिसंबर में) शुद्ध खरीदार बने रहे हैं। हालांकि, 23 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में शुद्ध प्रवाह की मात्रा 1,000 करोड़ रुपये से कुछ कम थी, जबकि पिछले सप्ताह यह 6,055 करोड़ रुपये दर्ज की गई थी। उन्होंने कहा कि शुद्ध प्रवाह में गिरावट यह संकेत देती है कि हाल के घटनाक्रमों और जारी अनिश्चितताओं को देखते हुए विदेशी निवेशक धीरे-धीरे सतर्क हो रहे हैं।

बाजार में आएगी तेजी

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार के मुताबिक, चीन में फैले COVID के बारे में चिंता एक नकारात्मक भावना है और अमेरिका के मजबूत आर्थिक आंकड़े फेड के आक्रामक रुख को जारी रखने का संकेत देते हैं, जो बॉन्ड की पैदावार को बढ़ा रहा है और इक्विटी को नीचे कर रहा है। हालांकि इस प्रवृत्ति के उलट होने से ही बाजार में तेजी आएगी। इसके अलावा, चल रही अनिश्चितता के बीच, कई निवेशकों ने हाल ही में उच्चतम स्तर को छूने वाले भारतीय बाजारों के साथ मुनाफावसूली करना भी चुना होगा। दिसंबर की पहली छमाही में, एफपीआई ऑटो, पूंजीगत सामान, एफएमसीजी और रियल एस्टेट शेयरों में खरीदार थे, जबकि वे उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं, तेल और गैस, बिजली और वित्तीय में विक्रेता थे।

विदेशी निवेशकों ने अब तक निकाले हैं इतने रुपये

कुल मिलाकर, एफपीआई ने 2022 में अब तक इक्विटी बाजारों से शुद्ध रूप से 1.21 लाख करोड़ रुपये निकाले हैं। दिसंबर के दौरान विदेशी निवेशकों ने डेट मार्केट से 2,900 करोड़ रुपए की शुद्ध निकासी की है। भारत को छोड़कर, इस महीने अब तक फिलीपींस, दक्षिण कोरिया, ताइवान, थाईलैंड और इंडोनेशिया जैसे उभरते बाजारों में एफपीआई प्रवाह नकारात्मक था।

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