फ्रांसीसी में बातचीत

फ्रांसीसी (français) एक रोमांस भाषा है जिसका उद्भव बेशक फ्रांस में हुआ लेकिन जो लक्ज़मबर्ग, दक्षिणी बेल्जियम (वालोनिया तथा ब्रसेल्स) और पश्चिमी स्विट्ज़रलैण्ड सहित यूरोप के कई अन्य भागों में बोली जाती है। यह संसार की सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषाओं में से एक है। पूरे दुनिया में दो करोड़ बीस लाख फ्रांसीसी भाषी हैं, जिसमें से 1.15 करोड़ इसके मातृभाषी हैं। इस भाषा का जन्म फ्रांस में हुआ था, पर वर्तमान में ये पूरे दुनिया में बोला जाता है। इसे 29 अलग अलग देशों ने आधिकारिक भाषा के रूप में स्थान दिया है। इसके अलावा दर्जनों देशों में ये व्यापार, संस्कृति और अल्पसंख्यकों की भाषा के रूप में स्थापित है। 20वीं शताब्दी में फ्रांसीसी सामान्य विदेशी मुद्रा बातचीत एक मुख्य अंतरराष्ट्रीय भाषा थी। उस दौरान यूरोप के अधिकांश शाही अदालतों में इसी भाषा का उपयोग किया जाता था।

यदि आपको फ्रांसीसी भाषा के उच्चारण के नियम न पता हों तो आप केवल कुछ ही शब्दों का सही उच्चारण कर सकेंगे। इसके समान अक्षर के दो अलग अलग शब्दों में बिल्कुल अलग उच्चारण होते हैं। और कई सारे अक्षरों के तो उच्चारण होते ही नहीं हैं। इसमें एक अच्छी बात ये है कि इसमें उच्चारण के कई सारे नियम हैं, जिससे आप थोड़ी मेहनत कर के आसानी से सही उच्चारण कर सकते हैं। हालांकि कई सारे अक्षरों का उच्चारण नहीं किए जाने के कारण यदि कोई फ्रांसीसी बोले और कोई उसे लिखने का प्रयास करे तो शब्दों में त्रुटि हो ही जाती है, चाहे आप मातृभाषी भी क्यों न हों।

‘भारत के साथ हम स्थायी शांति चाहते हैं, युद्ध कोई विकल्प नहीं’, पाक PM शहबाज शरीफ

भारत ने पाकिस्तान से बार-बार कहा है कि जम्मू-कश्मीर हमेशा के लिए हमारा अभिन्न अंग रहेगा। भारत ने कहा है कि वह आतंक, शत्रुता और हिंसा से मुक्त वातावरण में पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी की तरह संबंध चाहता है।

नई दिल्ली: पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ ने कहा है कि पाकिस्तान बातचीत के माध्यम से भारत के साथ स्थायी शांति चाहता है क्योंकि युद्ध किसी भी देश के लिए किसी मुद्दे को हल करने का विकल्प नहीं सामान्य विदेशी मुद्रा बातचीत है। द न्यूज इंटरनेशनल अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के छात्रों के एक प्रतिनिधिमंडल से बात करते हुए शरीफ ने यह भी कहा कि स्थायी शांति संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुसार कश्मीर मुद्दे के समाधान से जुड़ी है।

अभी पढ़ें – जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा कोरोना संक्रमित

उन्होंने कहा, “पाकिस्तान शांति बनाए रखने का संकल्प लेता है और स्थायी शांति संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुसार कश्मीर मुद्दे के समाधान से जुड़ी है।” रिपोर्ट में उनके हवाले से कहा गया, “हम बातचीत के जरिए भारत के साथ स्थायी शांति चाहते हैं क्योंकि युद्ध किसी भी देश के लिए विकल्प नहीं है।”

शरीफ बोले- भारत-पाक के बीच लोगों की स्थिति में सुधार की प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए

बातचीत के दौरान शरीफ ने कहा कि इस्लामाबाद और नई दिल्ली के बीच व्यापार, अर्थव्यवस्था और अपने लोगों की स्थिति में सुधार के लिए प्रतिस्पर्धा सामान्य विदेशी मुद्रा बातचीत होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद अपनी सेना पर, अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए खर्च करता है न कि आक्रमण के लिए। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) कार्यक्रम के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि देश का आर्थिक संकट हाल के दशकों में राजनीतिक अस्थिरता के साथ-साथ संरचनात्मक समस्याओं से उपजा है।

पाकिस्तान इन दिनों आर्थिक चुनौतियों का कर रहा है सामना

शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान की स्थापना के बाद से पहले कुछ दशकों सामान्य विदेशी मुद्रा बातचीत में अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में प्रभावशाली वृद्धि देखी गई। शरीफ ने कहा, “समय के साथ हमने उन क्षेत्रों में बढ़त खो दी, जिनमें हम आगे थे। फोकस, ऊर्जा और नीतिगत कार्रवाई की कमी के कारण राष्ट्रीय उत्पादकता में कमी आई।” बता दें कि नकदी की कमी से जूझ रहा पाकिस्तान उच्च मुद्रास्फीति, घटते विदेशी मुद्रा भंडार, बढ़ते चालू खाते के घाटे और मूल्यह्रास मुद्रा के साथ बढ़ती आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है।

भारत कई बार स्पष्ट कर चुका है- कश्मीर हमारा अभिन्न अंग है

भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध अक्सर कश्मीर मुद्दे और आतंकवाद को लेकर तनावपूर्ण रहे हैं। भारत ने पाकिस्तान से बार-बार कहा है कि जम्मू-कश्मीर हमेशा के लिए हमारा अभिन्न अंग रहेगा। भारत ने कहा है कि वह आतंक, शत्रुता और हिंसा से मुक्त वातावरण में पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी की तरह संबंध चाहता है।

अभी पढ़ें दुनिया से जुड़ी खबरें यहाँ पढ़ें

Click Here – News 24 APP अभी download करें

देश और दुनिया की ताज़ा खबरें सबसे पहले न्यूज़ 24 पर फॉलो करें न्यूज़ 24 को और डाउनलोड करे - न्यूज़ 24 की एंड्राइड एप्लिकेशन. फॉलो करें न्यूज़ 24 को फेसबुक, टेलीग्राम, गूगल न्यूज़.

कोरोना संकट में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में ऐतिहासिक वृद्धि

पूरी दुनिया कोरोना वायरस के संकट से जूझ रही है और तमाम देशों की अर्थव्यवस्था चौपट हो गयी है. लॉकडाउन का प्रतिकूल प्रभाव भारत की आर्थिक वृद्धि पर भी पड़ा लेकिन इस कोरोना काल में देश को एक बड़ी उपलब्धि भी हासिल हुई है.

    • देश के विदेशी भंडार में हुई रिकॉर्ड वृद्धि
    • कोरोना काल में ये वृद्धि शानदार संकेत
    • FCA है बढ़ोत्तरी की प्रमुख वजह

    ट्रेंडिंग तस्वीरें

    kiara advani and sidharth malhotra and other celebs will get married in 2023

    many times Salman Khan marriage photos had got viral have a look

    कोरोना संकट में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में ऐतिहासिक वृद्धि

    नई दिल्ली: भारत में कोरोना संक्रमण के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है और मरीजों के स्वस्थ होने की संख्या भी तेज गति से बढ़ रही है. ये देखकर गृह मंत्रालय ने लॉकडाउन को सामान्य विदेशी मुद्रा बातचीत समाप्त कर दिया है और उसके स्थान पर अनलॉक करने की व्यवस्था की है. इसका मतलब ये है कि चरणबद्ध तरीके से लोग लॉकडाउन से बाहर आ रहे हैं और सभी व्यवस्थाएं धीरे धीरे सामान्य रूप से चलने लगी हैं. अनलॉक की वजह से कारोबार भी शुरू हो रहा है और बड़े बड़े उद्योगों के नुकसान में कमी आनी शुरू हुई है. बड़ी खबर ये है कि भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में ऐतिहासिक वृद्धि हुई है.

    देश के विदेशी भंडार में हुई रिकॉर्ड वृद्धि

    रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने देश के मुद्रा भंडार की वर्तमान स्थिति पर विस्तृत जानकारी दी. RBI की ओर से बताया गया है कि विदेशी मुद्रा भंडार 1.73 अरब डॉलर बढ़कर 493 अरब डॉलर यानी 37 लाख करोड़ रुपये हो गया. यह देश के 12 महीने के आयात के बराबर है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक एक अप्रैल से 15 मई के बीच देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 9.सामान्य विदेशी मुद्रा बातचीत 2 अरब डॉलर का इजाफा हुआ है.

    कोरोना काल में ये वृद्धि शानदार संकेत

    देश के जाने माने अर्थशास्त्री बता रहे हैं कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के समय ये रिकॉर्ड वृद्धि अर्थव्यवस्था के लिए बहुत अच्छा संकेत है. इससे देश के कारोबार और लघु उद्योगों को मजबूत और सशक्त करने में अहम भूमिका साबित होगी. विदेशी पूंजी भंडार देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती का प्रतीक माना जाता है और पिछले सप्ताह यह 3 अरब डॉलर की वृद्धि के साथ 490 सामान्य विदेशी मुद्रा बातचीत अरब डॉलर पर पहुंच गया.

    उल्लेखनीय है कि बीते 29 मई को समाप्त हुए सप्ताह में कुल रिजर्व का सबसे अहम हिस्सा विदेशी मुद्रा 3.50 अरब डॉलर बढ़कर 455.21 अरब डॉलर पर पहुंच गया था.

    FCA है बढ़ोत्तरी की प्रमुख वजह

    आपको बता दें कि अर्थशास्त्रियों और RBI का मानना है कि विदेशी मुद्रा कोष में बढ़ोत्तरी की मुख्य वजह विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (FCA) में वृद्धि होना है. कुल विदेशी मुद्रा भंडार में एफसीए का प्रमुख हिस्सा होता है. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक इस अवधि में एफसीए 1.12 अरब डॉलर बढ़कर 448.67 अरब डॉलर हो गया. बता दें कि एफसीए में अमेरिकी डॉलर के अलावा यूरो, पौंड और येन जैसी मुद्राएं भी शामिल हैं. इस दौरान देश का स्वर्ण भंडार 61.6 करोड़ डॉलर बढ़कर 32.91 अरब डॉलर हो गया है.

    ईसीआईबी_आईएनपीएस (अपवर्जन सहित)

    बैंक सामान्य विदेशी मुद्रा बातचीत अथवा वित्तीय संस्थान जो विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए प्राधिकृत है वे व्यक्तिगत पोत-लदानोत्तर निर्यात ऋण रक्षा अपने प्रत्येक निर्यातक ग्राहकों जो ईसीजीसी के उपयुक्त व्यापक जोखिम पॉलिसी धारक हैं, के लिए विशिष्ट अपवर्जन सहित प्राप्त कर सकते है।

    निर्यात बिलों की खरीद, बातचीत अथवा छूट द्वारा या वसूली के लिए भेजे गए बिलों पर दिए गए सभी पोत-लदानोत्तर अग्रिम।

    हानि पर दीर्घकालीन चूक अथवा निर्यातक के दिवालिया होने के कारण पोत-लदानोत्तर अग्रिम में विस्तार।

    सहयोगियों के अलावा खरीदार पर आहरित किए गए बिलों पर 75% अग्रिम। सहयोगियों पर आहरित किए गए बिलों के लिए 60% बशर्ते संबंधित पोतलदान के लिए व्यापक जोखिम प्रदान की गई हों।

    माह के दौरान किसी भी दिन तक बकाया उच्चतम राशि पर प्रति माह प्रति 100/-रुपये पर 9 पैसे देय ।

    खाते को मंजूर पोत-लदानोत्तर सीमा का 75%।

    बैंकों के महत्वपूर्ण दायित्व :

    अगले माह के 10 तारीख के पहले स्वीकृत मासिक घोषणाएँ सामान्य विदेशी मुद्रा बातचीत एवं प्रीमियम का भुगतान करना। 180 दिनों के बाद (हैसियत धारकों के लिए 360 दिन)देय तिथि में विस्तार के लिए निगम से अनुमोदन प्राप्त करना। देय तिथि अथवा अग्रिम की विस्तारित देय तारीख से 4 माह के भीतर चूक की रिपोर्ट करें यदि वसूली नहीं हुई तो चूक की रिपोर्ट दाखिल करने से 6 महिनों के भीतर दावा दायर करना। दावें के भुगतान के बाद वसूली कार्रवाई और वसूली की हिस्सेदारी करना।

    स्वर्ण के सम्बंधित 1991 की अस्तव्यस्त अवस्था

    Gold rescuing economy in 1991 and ahead

    जब भी 1991 के वित्तीय संकट की बात चलती है, तब लगभग सभी बातचीत की शुरुआत इस चर्चा के साथ होती है कि किस तरह तत्कालीन वित्त मंत्री, मनमोहन सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए विनियम बनाए थे. और यह ठीक भी है, क्योंकि उस समय माहौल पूरी तरह अस्तव्यस्त था. हो सकता है अस्तव्यस्तता शब्द ठीक नहीं हो, बल्कि गोपनीयता कहना सही होगा.

    जब देश अपना भुगतान संतुलन हासिल करने में असमर्थ हो गया, और पता चला कि विश्व बैंक के 72 बिलियन डॉलर कर्ज के मुकाबले देश में कुछ ही सप्ताहों का विदेशी मुद्रा भण्डार बचा है, तब सरकार ने देश का 67 टन स्वर्ण (47 टन बैंक ऑफ़ इंग्लैंड को और 20 टन उस समय एक अज्ञात बैंक को) गिरवी रखकर तत्काल 2.2 बिलियन डॉलर का कर्ज लेने का फैसला किया. लोगों को बस इतना पता चला कि स्वर्ण को ज्यूरिख और स्विट्ज़रलैंड भेजा गया है. लेकिन किसके पास और उन देशों में कहाँ भेजा गया, यह अज्ञात था.

    संकट के दौरान न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, “सरकार ने क्रेता की पहचान खुलासा करने से इनकार कर दिया, लेकिन एक शक्तिशाली भारतीय औद्योगिक घराने द्वारा प्रकाशित अखबार, द बिज़नेस एंड पोलिटिकल आब्जर्वर ने बताया कि भारतीय स्टेट बैंक उक्त स्वर्ण को स्विसएयर के विमान से स्पष्टतः ज्यूरिख भेजा था.”

    आज हम जानते हैं कि 600 मिलियन डॉलर प्राप्त करने के लिए 20 टन स्वर्ण यूनियन बैंक ऑफ़ स्विट्ज़रलैंड भेजा गया था.

    सरकारी वक्तव्य में कहा गया कि वह स्वर्ण भारत से आरक्षित भण्डार का नहीं था, बल्कि तस्करों से और अवैध निजी जमाखोरों से कई वर्षों में जब्त किया गया स्वर्ण था. यह वक्तव्य अपने स्वर्ण भण्डार पर अत्यधिक गर्व करने वाले देश को आश्वस्त करने और लगातार चल रहे राष्ट्रीय एवं राजनीतिक हंगामा समाप्त करने के लिए दिया गया था.

    किन्तु परदे के पीछे अधिकांश राजनेता इस बात से सहमत थे कि यह सही कदम था. द हिन्दू में छपे एक लेख में, भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर, एस. वेंकटरमणन ने राजीव गाँधी से एक बातचीत को स्वीकार किया जिसमे स्वर्गीय प्रधानमन्त्री ने कहा था : “अगर मुश्किल समय में देश के काम आकर राष्ट्रीय उद्देश्य की पूर्ति नहीं कर सका, तो स्वर्ण की क्या उपयोगिता है?”

    नवनियुक्त नरसिम्हा राव सरकार ने पद ग्रहण करने के बाद, लघु एवं ग्रामीण स्तरीय उपक्रमों के विकास के लिए एक व्यापक योजना की घोषणा की. सरकार ने द्वितीय व्यापार नीति पैकेज भी आरम्भ किया और वित्तीय क्षेत्र में सुधार पर सुझाव के लिए एक समिति का गठन किया, जिसके बाद नया कर सुधार लागू किया गया.

    इन कदमों के फलस्वरूप भारत ने संकट का मुकाबला किया और 1992-1993 आते-आते अर्थव्यवस्था की स्थिति काफी बेहतर हो गयी. फरवरी 1992 में जब मनमोहन सिंह अपना दूसरा बजट पेश कर रहे थे, तब तक भारत अपना ऋण भुगतान में चूक का कलंक मिटाने में सफल सामान्य विदेशी मुद्रा बातचीत हो चुका था. विदेशी मुद्रा भंडार सुधर कर 11,000 करोड़ रुपये पर आ गया था और 1991-92 में वित्तीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 6.5% के भीतर आ गया था.

    18 वर्षों के बाद, भारत ने अपना स्वर्ण वापस खरीद लिया और आज देश के पास 557.8 मीट्रिक टन स्वर्ण भण्डार है जो 1991 में उपलब्ध भण्डार सामान्य विदेशी मुद्रा बातचीत से काफी ज्यादा है. यह इस कहावत से मेल खाता है कि कुछ बदलाव के लिए कुछ अव्यवस्था ज़रूरी होती है.

रेटिंग: 4.23
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 190