First IN First Out Concept in Stock Market||फर्स्ट इन फर्स्ट आउट क्या है||फर्स्ट इन फर्स्ट आउट का कॉन्सेप्ट स्टॉक मार्केट में जानें
FIFO का फुल फॉर्म ”First in First Out” है.
FIFO का क्या मतलब है?
FIFO का मतलब First in First Out होता है.First in First Out के सिस्टम से यह साफ पता चलता है कि किसी इन्वेंटरी में रखे हुए पहले आइटम Stock मार्किट का गणित क्या होता है को सबसे पहले हटा दिया जाता है उसके बाद फिर दूसरी आइटम को उसी क्रम में हटाया जाता है जिस order में वह इंटर किया होता है.
शेयर मार्केट में FIFO का प्रयोग-
जब आप एक स्टाक को कई बार खरीदते और बेंचते हैं तब अगर आपने ध्यान दिया होगा तो आपने पाया होगा की आपकी होल्डिंग या पोजीशन का एवरेज प्राइस बदल जाता है यहां पर आपको बता दें किसी स्टॉक के Buy एवरेज प्राइस को FIFO यानी फर्स्ट इन फर्स्ट आउट के आधार पर कैलकुलेट किया जाता है.
अगर सरल शब्दों में कहा जाए तो आपके डीमैट अकाउंट में जो शेयर्स पहले खरीदे जाएंगे वही शेयर पहले बेचे भी जाएंगे.आपको आइ.टी.आर. में प्रॉफिट और लॉस को रिपोर्ट करने के लिए FIFO पर लगातार निगरानी रखनी पड़ती है.
FIFO कैसे काम करता है?
FIFO यानि फर्स्ट इन फर्स्ट हाउस को अच्छी तरीके से समझने के लिए मान लेते हैं की हमने निम्नलिखित ट्रेड किए
ट्रेड की तिथि | स्टॉक का नाम | खरीदा/बेंचा | शेयर्स की संख्या | रेट |
16-02-22 | XYZ | Buy | 100 | 520 |
18-02-22 | XYZ | Buy | 60 | 512 |
21-02-22 | XYZ | Sell | 40 | 550 |
24-02-22 | XYZ | Buy | 40 | 540 |
उपर्युक्त उदाहरण में दिनांक 21-02-2022 को 40 शेयर्स को 550/- रुपए प्रति शेयर के हिसाब से बेचा गया है, यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है की फर्स्ट इन फर्स्ट आउट मेथड से यह जो 40 शेयर बेचे गए हैं यह शेयर नंबर एक कॉलम के 100 शेयर की लिस्ट से ही डिडक्ट होंगे क्योंकि सबसे पहले ये 100 शेयर्स ही खरीदे गए हैं और इन शेयर्स का क्रम डिमैट मैं सबसे पहले है, इस तरह फर्स्ट रो में 40 शेयर्स निकल जाने के बाद 60 शेयर ही बचेंगे.शेयर का एवरेज निकालें जाते समय अब यह 60 शेयर्स ही कंसीडर किए जाएंगे.
FIFO विधि से शेयर के औसत मूल्य की गणना-
XYZ शेयर का औसत मूल्य आपके होल्डिंग में कुछ इस प्रकार दिखेगा-
इस गणना से आपको अच्छी तरह से समझ में आ गया होगा की शेयर बाजार में FIFO यानी फर्स्ट इन फर्स्ट आउट की विधि किस तरह काम करती है.
निष्कर्ष-
शेयर्स के औसत मूल्य की गणना करते समय फर्स्ट इन फर्स्ट आउट की विधि ही काम आती है. हमें शेयर्स को बेचते समय FIFO का ध्यान रखना चाहिए.कई बार शेयर का औसत मूल्य हम साधारण तरीके से निकालते हैं जो की गलत तरीका है.FIFO की जानकारी न होने के कारण कई निवेशक शेयर्स को यह सोच कर सेल करते हैं की उन्हें प्रॉफिट होगा लेकिन होता इसका ठीक उल्टा है और उन्हें FIFO की जानकारी न होने के कारण समझ नहीं आता की आखिर उनके साथ ऐसा क्यों हुआ.
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इस पोस्ट में इतना ही, पोस्ट को पूरा पढ़ने और अपना कीमती समय देने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद ! मिलते हैं नेक्स्ट Stock मार्किट का गणित क्या होता है पोस्ट में,तब तक के लिए नमस्कार.
Q.FIFO का फुल फॉर्म क्या है?
ANS-FIFO का फुल फॉर्म First in First Out है.
Q.FIFO का क्या मतलब है?
ANS-First in First Out के सिस्टम से यह साफ पता चलता है कि किसी इन्वेंटरी में रखे हुए पहकी आइटम को सबसे पहले हटा दिया जाता है उसके बाद फिर दूसरी आइटम को उसी क्रम में हटाया जाता है जिस order में वह इंटर किया होता है.
Q.शेयर मार्केट में FIFO का प्रयोग?
ANS-सरल शब्दों में कहा जाए तो आपके डीमैट अकाउंट में जो शेयर्स पहले खरीदे जाएंगे वही शेयर पहले Stock मार्किट का गणित क्या होता है बेचे भी जाएंगे.
निवेश से जुड़ी बात: सिप के लिए बेहतर, स्टॉक या म्यूचुअल फंड
निवेश पर जोखिम घटाने के लिए एकमुश्त पैसे लगाने के बजाय सिप को बेहतर विकल्प माना जाता है। इसमें भी सीधे शेयर बाजार या म्यूचुअल फंड में पैसे लगा सकते हैं। बचत योजनाओं पर कम ब्याज और बाजार में अनिश्चितता के बीच सिप के लिए स्टॉक और म्यूचुअल फंड में कौन सा मुनाफे का विकल्प होगा, जानकारी देती प्रमोद तिवारी की रिपोर्ट-
उतार-चढ़ाव के बीच लगाएं इक्विटी सिप पर दांव
पीएन फिनकैप के सीईओ एके निगम का कहना है कि जब शेयर बाजार में भारी अनिश्चितता का दौर चल रहा हो, तो सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (सिप) के जरिए स्टॉक में पैसे लगाना बेहतर होता है। ऐसे माहौल में अगर आप बाजार में सीधे एकमुश्त निवेश करते हैं, तो जोखिम बढ़ सकता है। वैसे तो खुदरा निवेशकों के लिए इक्विटी सिप में पैसे लगाना शेयर बाजार में प्रवेश करने का सबसे बेहतर विकल्प होता है, लेकिन यह म्यूचुअल फंड सिप से पूरी तरह अलग होता है।
इसके जरिए निवेशक हर सप्ताह, पाक्षिक या मासिक आधार पर स्टॉक खरीद सकते हैं। ब्रोकरेज या फंड हाउस एक निश्चित संख्या अथवा राशि के शेयर खरीदने की अनुमति देते हैं। अगर आप चाहें तो एक ही स्टॉक के कई शेयर ले सकते हैं या अलग-अलग कंपनियों के शेयर खरीदकर अपना पोर्टफोलियो बना सकते हैं।
ध्यान रखें. शेयर कब बेचना है
सिप के जरिए स्टॉक में पैसे लगाने वाले निवेशकों को शेयर बाजार से जु़ड़ी खबरों के प्रति सचेत रहना चाहिए। यहां म्यूचुअल फंड की तुलना में ज्यादा जोखिम होता है। लिहाजा जानकारी के अभाव में नुकसान हो सकता है। निवेशक को इसका पूरा आकलन कर लेना चाहिए कि उसे खरीदे गए स्टॉक को बेचकर कब बाहर आना है।
उदाहरण के लिए, यस बैंक के शेयरों ने एक समय बंपर रिटर्न दिया। बाद में जिन निवेशकों ने स्टॉक पर नजर नहीं रखी, उन्हें बड़ा नुकसान भी उठाना पड़ा। अभी बाजार में भारी उतार-चढ़ाव है, तो कम मूल्य वाले शेयर खरीदकर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। बाजार के इस गणित को समझ लिया तो इक्विटी सिप से 20 प्रतिशत तक रिटर्न मिल सकता है।
- 20 प्रतिशत तक रिटर्न हासिल कर सकते हैं सिप से स्टॉक में निवेश पर
- 12-15 प्रतिशत रिटर्न आसानी से मिल जाता है म्यूचुअल फंड के सिप में
कम जोखम के साथ अच्छा मुनाफा चाहिए तो.
अगर आप म्यूचुअल फंड से सिप में पैसे लगाते हैं, तो जोखिम कम हो जाता है। यहां इक्विटी फंडों में भी पैसे लगाने के विकल्प मिलते हैं और सबसे बड़ी बात कि प्रबंधन की जिम्मेदारी फंड मैनेजर की होती है। यानी निवेशक पर बोझ नहीं पड़ता, बल्कि मामूली शुल्क लेकर फंड हाउस सिप की देखरेख करते हैं।
इक्विटी में भी निवेश का मौका
बिना जोखिम उठाए लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं, तो म्यूचुअल फंड के जरिये सिप में पैसे लगाना सबसे अच्छा विकल्प है। निवेशक जो पहली बार शेयर बाजार में पैसे लगाना चाहते हैं, उनके लिए इक्विटी सिप सबसे अच्छा तरीका है। यहां डेट म्यूचुअल फंड का विकल्प भी मिलता है, जो सिप के जोखिम को कम कर देता है। हालांकि, इस पर रिटर्न थोड़ा कम रहेगा। सही प्रबंधन से म्यूचुअल फंड सिप में भी 12-15 प्रतिशत तक रिटर्न हासिल किया जा सकता है।
विस्तार
निवेश पर जोखिम घटाने के लिए एकमुश्त पैसे लगाने के बजाय सिप को बेहतर विकल्प माना जाता है। इसमें भी सीधे शेयर बाजार या म्यूचुअल फंड में पैसे लगा सकते हैं। बचत योजनाओं पर कम ब्याज और बाजार में अनिश्चितता के बीच सिप के लिए स्टॉक और म्यूचुअल फंड में कौन सा मुनाफे का विकल्प होगा, जानकारी देती प्रमोद तिवारी की रिपोर्ट-
उतार-चढ़ाव के बीच लगाएं इक्विटी सिप पर दांव
पीएन फिनकैप के सीईओ एके निगम का कहना है कि जब शेयर बाजार में भारी अनिश्चितता का दौर चल रहा हो, तो सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (सिप) के जरिए स्टॉक में पैसे लगाना बेहतर होता है। ऐसे माहौल में अगर आप बाजार में सीधे एकमुश्त निवेश करते हैं, तो जोखिम बढ़ सकता है। वैसे तो खुदरा निवेशकों के लिए इक्विटी सिप में पैसे लगाना शेयर बाजार में प्रवेश करने का सबसे बेहतर विकल्प होता है, लेकिन यह म्यूचुअल फंड सिप से पूरी तरह अलग होता है।
इसके जरिए निवेशक हर सप्ताह, पाक्षिक या मासिक आधार पर स्टॉक खरीद सकते हैं। ब्रोकरेज या फंड हाउस एक निश्चित संख्या अथवा राशि के शेयर खरीदने की अनुमति देते हैं। अगर आप चाहें तो एक ही स्टॉक के कई शेयर ले सकते हैं या अलग-अलग कंपनियों के शेयर खरीदकर अपना पोर्टफोलियो बना सकते हैं।
ध्यान रखें. शेयर कब बेचना है
सिप के जरिए स्टॉक में पैसे लगाने वाले निवेशकों को शेयर बाजार से जु़ड़ी खबरों के प्रति सचेत रहना चाहिए। यहां म्यूचुअल फंड की तुलना में ज्यादा जोखिम होता है। लिहाजा जानकारी के अभाव में नुकसान हो सकता है। निवेशक को इसका पूरा आकलन कर लेना चाहिए कि उसे खरीदे गए स्टॉक को बेचकर कब बाहर आना है।
उदाहरण के लिए, यस बैंक के शेयरों ने एक समय बंपर रिटर्न दिया। बाद में जिन निवेशकों ने स्टॉक पर नजर नहीं रखी, उन्हें बड़ा नुकसान भी उठाना पड़ा। अभी बाजार में भारी उतार-चढ़ाव है, तो कम मूल्य वाले शेयर खरीदकर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। बाजार के इस गणित को समझ लिया तो इक्विटी सिप से 20 प्रतिशत तक रिटर्न मिल सकता है।
- 20 प्रतिशत तक रिटर्न हासिल कर सकते हैं सिप से स्टॉक में निवेश पर
- 12-15 प्रतिशत रिटर्न आसानी से मिल जाता है म्यूचुअल फंड के सिप में
कम जोखम के साथ अच्छा मुनाफा चाहिए तो.
अगर आप म्यूचुअल फंड से सिप में पैसे लगाते हैं, तो जोखिम कम हो जाता है। यहां इक्विटी फंडों में भी पैसे लगाने के विकल्प मिलते हैं और सबसे बड़ी बात कि प्रबंधन की जिम्मेदारी फंड मैनेजर की होती है। यानी निवेशक पर बोझ नहीं पड़ता, बल्कि मामूली शुल्क लेकर फंड हाउस सिप की देखरेख करते हैं।
इक्विटी में भी निवेश का मौका
बिना जोखिम उठाए लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं, तो म्यूचुअल फंड के जरिये सिप में पैसे लगाना सबसे अच्छा विकल्प है। निवेशक जो पहली बार शेयर बाजार में पैसे लगाना चाहते हैं, उनके लिए इक्विटी सिप सबसे अच्छा तरीका है। यहां डेट म्यूचुअल फंड का विकल्प भी मिलता है, जो सिप के जोखिम को कम कर देता है। हालांकि, इस पर रिटर्न थोड़ा कम रहेगा। सही प्रबंधन से म्यूचुअल फंड सिप में भी 12-15 प्रतिशत तक रिटर्न हासिल किया जा सकता है।
भारत में स्टॉक मार्केट में करियर्स, कोर्सेज और सैलरी के बारे में जानिये यहां
अगर आप एक प्रोफेशनल के तौर पर भारत की स्टॉक मार्केटिंग में अपना करियर शुरू करना चाहते हैं, Stock मार्किट का गणित क्या होता है तो भारत में स्टॉक मार्केट के प्रोफेशनल्स को ऑफर किये जाने वाले विभिन्न कोर्सेज, करियर और सैलरी के बारे में सटीक जानकारी पाने के लिए इस आर्टिकल को गौर से पढ़ें.
भारत में स्टॉक मार्केट में करियर: हरेक प्रोफेशनल के लिए किसी ऐसे करियर के बारे में निर्णय लेना, जो विकास का वादा करता है और स्थिरता प्रदान करता है, विशेष रूप से ऐसे समय में एक कठिन निर्णय होता है जब, देश-दुनिया में जॉब मार्केट पर भी वित्तीय क्षेत्र की मंदी का साफ़ असर दिख रहा है. हालांकि, भारत में अगर कोई स्टॉक मार्केट/ शेयर बाजार में अपना करियर बनाने पर विचार करता है, तो निस्संदेह उसके लिए कई फायदेमंद जॉब प्रोफाइल्स हैं.
इस आर्टिकल में, प्रोफेशनल्स स्टॉक मार्केट में करियर, जॉब और सैलरी की संभावनाएं और स्टॉक मार्केट में करियर से जुड़े कई मिथकों के बारे में व्यापक विवरण पढ़ सकते हैं.
इस आर्टिकल को पढ़कर आप यह भी जानें कि, वित्तीय क्षेत्र से संबंधित स्टूडेंट्स को भारत की स्टॉक मार्केट में अपना करियर क्यों शुरु करना चाहिए. हमारे देश में स्टॉक मार्केट जॉब्स में उपलब्ध कोर्सेज, जॉब्स, एलिजिबिलिटी और सैलरी के बारे में इस आर्टिकल में पढ़ें महत्त्वपूर्ण जानकारी.
भारत में स्टॉक मार्केट में करियर: स्टॉकब्रोकर का परिचय
स्टॉक मार्केट की दुनिया में एक स्टॉक ब्रोकर (शेयर दलाल) ऐसा प्रमुख एजेंट होता है जिसे कई फर्मों और दलाल एजेंसियों में जॉब ऑफर्स मिलते रहते हैं. किसी भी स्टॉक ब्रोकर का प्रमुख काम अपने ग्राहकों की ओर से शेयरों/ स्टॉक्स का लेन-देन या सौदेबाजी करना होता है. ये प्रोफेशनल्स वित्तीय परामर्श देने में भी शामिल होते हैं ताकि उनके ग्राहक लाभ प्राप्त करने के लिए वित्तीय साधनों के माध्यम से अपने पोर्टफोलियो का निर्माण कर सकें.
हमारे लिए किसी स्टॉक ब्रोकर के कार्यों के बारे में जानना महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह प्राथमिक स्तर की ऐसी जॉब है जोकि, स्टॉक मार्केटिंग में करियर चुनने पर सबसे पहले ऑफर की जाती है. यह फ्रेशर्स को ग्राहक आधार और उनकी आवश्यकताओं, स्टॉक की प्रकृति, वित्तीय साधनों से निपटने के साथ ही, स्टॉक मार्केटिंग की भावनाओं और कई अन्य कारकों को समझने में मदद करता है.
भारत में स्टॉक मार्केट में करियर: ऑफर किये जाने वाले प्रमुख जॉब रोल्स
जब कोई व्यक्ति स्टॉक मार्केटिंग में अपना करियर चुनता है, तो इस फील्ड में ऑफर किये जाने वाले लोकप्रिय जॉब प्रोफाइल्स और उनसे जुड़ी जिम्मेदारियों के बारे में जानना उस व्यक्ति के लिए बहुत जरुरी होता है. इसलिए, यहां कुछ कॉमन जॉब प्रोफाइल्स की लिस्ट दी गई है जो स्टॉक मार्केट इंडस्ट्री में ट्रेंड प्रोफेशनल्स को ऑफर की जाती हैं:
- एंट्री-लेवल जॉब प्रोफाइल: इक्विटी एडवाइजर, रिलेशनशिप मैनेजर, स्टॉक ब्रोकर, सेल्स एजेंट.
- मीडियम लेवल जॉब प्रोफाइल: Stock मार्किट का गणित क्या होता है तकनीकी विश्लेषक, मौलिक विश्लेषक, प्रबंधक, इक्विटी अनुसंधान विश्लेषक.
- सीनियर लेवल जॉब प्रोफाइल: सलाहकार, पोर्टफोलियो प्रबंधक, व्यक्तिगत वित्तीय सलाहकार, वित्तीय सलाहकार.
भारत में स्टॉक मार्केट में विभिन्न प्रोफेशनल्स का सैलरी पैकेज
किसी ऐसे विशेष करियर से जुड़े वित्तीय विकास से अवगत होना हरेक प्रोफेशनल के लिए काफी मह्त्त्वपूर्ण है जिसे संबद्ध प्रोफेशनल चुनता है. व्यक्तिगत विकास भी तो अक्सर हरेक व्यक्ति के आर्थिक विकास पर निर्भर करता है. उद्योग में स्टॉक मार्केटिंग प्रोफेशनल्स को ऑफर किये जाने वाले एवरेज सैलरी पैकेज के आंकड़ों को ध्यान से पढ़ने की आपको सलाह दी जाती है:
स्टॉकब्रोकर - 20,000 - 25,000 रुपये प्रति माह (02 से 03 लाख रुपये प्रति वर्ष के बीच) और इन कर्मचारियों को एक अतिरिक्त प्रदर्शन/ परफॉरमेंस बोनस प्रदान किया जाता है.
रिलेशनशिप मैनेजर: 60,000-70,000 रुपये प्रति माह
वित्तीय सलाहकार: 01 लाख - 1.5 लाख रुपये प्रति माह
वित्तीय विश्लेषक - 03 लाख रुपये - 04 लाख रुपये प्रति माह
भारत में स्टॉक मार्केट में करियर: इन मिथ्या भ्रमों से जरुर बचें
हमारे देश में स्टॉक मार्केट हमेशा उन लोगों के लिए विवाद का विषय रहा है जो वित्तीय विकास के लिए किसी भी जोखिम को उठाये बिना ही वित्तीय स्थिरता चाहते हैं. वे अक्सर जुए, सट्टे, अटकलबाजी और अन्य क्या कुछ नहीं कह कर स्टॉक मार्केट को बदनाम करते ही रहते हैं. इसके विपरीत, अगर कोई निवेशक समझदारी से फंड की योजना बनाता है और शेयरों और उनके रुझानों के बारे में पूरी जानकारी के साथ निवेश करता है तो, मुनाफे की संभावना जोखिम की तुलना में कहीं अधिक रहती है.
इस आर्टिकल में ऐसे ही कुछ मिथकों का भंडाफोड़ करना काफी महत्त्वपूर्ण है Stock मार्किट का गणित क्या होता है जोकि लोगों को पैसा कमाने के कानूनी मंच में निवेश करने से रोकते हैं. यह जानने के लिए पढ़ें कि स्टॉक मार्केट ठीक ऐसी नहीं है जैसी अक्सर लोगों को दिखती है:
स्टॉक मार्केट नहीं है जुआ
जुए, सट्टे और अटकलों के बहाने स्टॉक मार्केट की प्रतिष्ठा को धूमिल करने से अर्थव्यवस्था की वित्तीय प्रगति धीमी हो जाएगी. इसलिए, लोगों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए कि, वे अपनी बचत को अच्छी कंपनियों में बुद्धिमानी से लगाएं और गर्वित शेयरधारक बनें. स्टॉक मार्केट ऐसे लोगों के लिए केवल एक जुआ है जो रातों-रात पैसा कमाना चाहते हैं और जल्दी पैसा कमाने के लिए दांव लगाते हैं.
स्टॉक मार्केट स्थिर आय की करता है पेशकश
स्टॉक मार्केट में कमाई का पूरा खेल इक्विटी होल्डिंग में शामिल जोखिम और रिटर्न पर निर्भर करता है. शेयरों की कीमतों में हर दिन और कभी-कभी हर घंटे उतार-चढ़ाव आता है, हालांकि, अगर हम कुछ वर्षों का रिटर्न देखें तो, कुल मिलाकर रिटर्न एक महीने या एक साल की अवधि में प्रदर्शित आंकड़ों से कहीं अधिक होगा. आपके लिए धैर्य यहां सफलता की कुंजी है.
*अस्वीकरण - यह जानकारी केवल आपके वित्तीय ज्ञान और समझ को बढ़ाने के लिए ही इस आर्टिकल में प्रस्तुत की गई है. इसे किसी भी व्यक्ति के द्वारा वित्तीय सलाह के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए.
Expalined: शेयर बाजार में क्यों हो रही गिरावट, निवेशकों के लिए क्या है एक्सपर्ट्स की सलाह
Stock Markets Crashed: भारत समेत दुनियाभर के बाजार में बड़ी गिरावट देखी गई है। बजट के ठीक पहले दलाल स्ट्रीट का इस मूड ने सभी को चिंता में डाल दिया है। वैसे माना जा रहा है कि अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी इसका सबसे बड़ा कारण है। कहा जा रहा है कि अभी कुछ और बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है। यानी निवेशकों के लिए मुश्किल दौर बना रहेगा। कोरोना महामारी भी बाजार के सेंटिमेंट्स को बिगाड़ रही है। अमेरिका और रूस के बीच तनातनी भी आग में घी का काम कर रही है। यहां जानिए एक्सपर्ट्स की राय कि आगे क्या करना चाहिए। वहीं गिरावट की बड़ी बजह क्या हैं
Stock Markets Crashed: गिरावट की दो बड़ी वजह
1. महंगा होता क्रूड बिगाड़ेगा सरकार का बजटीय गणित: सरकार के बजटीय गणित पर सबसे ज्यादा परोक्ष असर महंगे होते क्रूड का पड़ेगा। वर्ष 2022 में क्रूड की कीमतें 14 प्रतिशत बढ़कर 88.17 डालर प्रति बैरल हो गई हैं। पिछले सात वर्षों में यह सबसे ज्यादा है। यह ठीक है कि तेल कंपनियां पेट्रोल और डीजल की कीमत नहीं बढ़ा रही हैं, लेकिन अगर क्रूड की कीमतें ऐसी ही बनी रहीं तो पांच राज्यों के चुनाव खत्म होने के बाद एकमुश्त कीमतें बढ़ाई जा सकती हैं। इसका Stock मार्किट का गणित क्या होता है व्यापक असर महंगाई पर पड़ सकता है। ऐसे में यह देखना होगा कि वित्त मंत्री जनता को फिर से महंगे पेट्रोल डीजल के एक नए दौर में डालती हैं या फिर उन्हें राहत देने के लिए पेट्रोल- डीजल पर उत्पाद शुल्क में पहले ही कटौती करेंगी। केंद्र सरकार के पास एक और उपाय है कि वह राज्यों को पेट्रो उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए नए सिरे से बात करे और उन्हें तैयार करे। महंगे क्रूड का प्रभाव देश के चालू खाते में घाटे (निर्यात से होने वाली विदेशी मुद्रा की कमाई व आयात पर होने वाले विदेशी मुद्रा के खर्चे का अंतर) पर भी दिखाई देगा।
2. महंगाई का दौर लौटने की आशंका भी बड़ी वजह: शेयर बाजार की गिरावट के लिए एक दूसरी बड़ी वजह अमेरिका और दूसरी अर्थव्यवस्था में महंगाई के दौर के लौटने को माना जा रहा है। इसकी वजह से अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों को बढ़ाने का एलान होने वाला है। इसका भारत पर असर होने की बात कही जा रही है। सबसे पहले तो अमेरिकी शेयर बाजार के आकर्षक होने से विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआइआइ) भारत से पैसा निकाल कर वहां निवेश करेंगे। ऐसे में देखना होगा कि एफआइआइ को पैसा निकालने से रोकने के लिए आम बजट 2022-23 में कोई कदम उठाया जाता है या नहीं। इसका असर विदेशी मुद्रा भंडार और घरेलू बांड्स पर दिखेगा।
Stock Markets Crashed: जानिए आगे क्या करें
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वीके विजयकुमार के मुताबिक, अभी निवेशकों को थोड़ा सतर्क रहना होगा, क्योंकि पिछले सप्ताह अमेरिका के तकनीकी शेयरों में भारी गिरावट ने पूरी दुनिया के बाजार को प्रभावित किया है। रूस-यूक्रेन सीमा विवाद और फेडरल बैंक की तरफ से दरों में बढ़ोतरी से इस गिरावट को और मजबूती मिली है।
इसी तरह इक्विटी सलाहकार देवांग मेहता का कहना है कि बाजार चार-पांच दिनों से विकसित देशों में ब्याज दरों में बढ़ोतरी को लेकर सहमा हुआ है। ओमिक्रोन वैरिएंट के खतरनाक नहीं होने के बावजूद इससे प्रभावित मरीजों की संख्या सोचने को मजबूर कर रही है।
Share Market : नए साल से बदलेंगे शेयर बाजार के नियम, ये होगा सटेलमेंट और आप्शनल प्लान
Share Market : शेयर बाजार में निवेश करने वालों के लिए नए साल के पहले दिन से नया नियम लागू होने जा रहा है। इस नए नियम का लाभ शेयर की खरीद—फरोख्त करने वालों को होगा। ऐसा बताया जा रहा है। बता दे कि दिल्ली से नजदीक होने के कारण मेरठ में काफी बड़े पैमाने पर लोग इस काम को करते हैं।
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
मेरठ . Share Market : शेयर बाजार से जुड़े लोगों के लिए यह खबर काफी काम की है। जो लोगा शेयर बाजार में निवेश करने में दिलचस्पी रखते हैं या खरीद फरोख्त करते हैं उनके लिए यह नया नियम काफी मुनाफे का सौदा बताया जा रहा है। हालांकि इस बारे में कुछ जानकारों ने यह भी बताया है कि सेबी ने यह खरीद—ब्रिकी लचीली बनाने के लिए यह नियम लागू किया है। यह नया नियम आगामी 1 जनवरी 2022 से लागू होगा। इन नए नियम को लेकर शेयर बाजार में हलचल है।
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