जाने से मिले फायदों को बेजान कर दिया है। अगस्त में और इस महीने के अधिकांश वक्त तक स्थानीय परिसंपत्तियों की खरीद फिर से शुरू करने के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भी पिछले दो सत्रों के दौरान एक बार फिर से भारतीय शेयरों और देनदारियों के शुद्ध विक्रेता बन गए हैं। नतीजतन, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने कुल निवेश के तीन लगातार वर्षों के बाद 2022 में अब तक कुल 20.6 बिलियन डॉलर मूल्य की भारतीय इक्विटी और देनदारियों से अपना हाथ खींच लिया है। और, फेडरल रिजर्व द्वारा कम से कम 125 आधार अंकों की और अधिक मौद्रिक सख्ती के अनुमान से इस वर्ष की अंतिम तिमाही में और अधिक संख्या में विदेशी निवेशकों के बाहर निकल जाने की आशंका है। रुपये की वास्तविक प्रभावी विनिमय दर (आरईईआर) या इसके मूल्य के व्यापार-भारित औसत द्वारा भारतीय मुद्रा के अभी भी अधिमूल्यित होने या इसका मूल्य अधिक आंके जाने के संकेत के मद्देनजर भारतीय रिजर्व बैंक के दर निर्धारित करने वाले पैनल को अगले सप्ताह विकास की रफ्तार को बाधित किए बिना मूल्य स्थिरता को बहाल करने और रुपया को बहुत तेजी से कमजोर होने से बचाने के लिए जूझने के क्रम में तलवार की धार पर चलना होगा।

मुद्रा का दबाव: डॉलर के मुकाबले रुपये का अवमूल्यन

दुनिया के अन्य प्रमुख मुद्राओं के साथ रुपया एक फिर से एक नए दबाव का सामना कर रहा है। फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में भारी - भरकम 75 आधार अंकों की ताजा वृद्धि और अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा अपना ध्यान पूरी तरह से मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने पर केंद्रित रखने के स्पष्ट संदेश के मद्देनजर डॉलर में मजबूती जारी है। सप्ताह के अंत में एक नए रिकॉर्ड स्तर पर लुढ़क कर बंद होने से पहले, भारतीय मुद्रा शुक्रवार को दिन – भर के व्यापार (इंट्राडे ट्रेड) के दौरान पहली बार डॉलर के मुकाबले 81 अंक के पार जाकर कमजोर हुई। अस्थिरता को कम करने के लिए भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि जारी रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप से रुपये में गिरावट की रफ्तार को नरम किया गया। लेकिन 16 सितंबर से 12 महीनों में इस तरह के हस्तक्षेपों का कुल नतीजा यह हुआ कि भारतीय रिजर्व बैंक के विदेशी मुद्रा भंडार के आपातकालीन कोष में लगभग 94 बिलियन डॉलर की कमी आई और यह कोष अब घटकर 545.65 बिलियन डॉलर का रह गया है। डॉलर के मुकाबले अकेले रुपये में ही गिरावट नहीं होने का तथ्य अपने कारोबार के सुचारू संचालन के लिए कच्चे माल या सेवाओं के आयात पर निर्भर रहने वाली भारतीय कंपनियों के लिए थोड़ा सा भी सुकून भरा नहीं हो सकता है। ये कंपनियां एक ऐसे समय में बढ़ती लागत की समस्या से जूझ रहीं हैं, जब महामारी के बाद की स्थिति में घरेलू मांग का एक टिकाऊ स्तर पर पहुंचना अभी भी बाकी है। आयात का बढ़ता खर्च भी पहले से ही लगातार बढ़ती मुद्रास्फीति से घिरी अर्थव्यवस्था पर मुद्रास्फीति के दबाव में और इजाफा करेगा तथा चढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के मौद्रिक नीति निर्माताओं के प्रयासों को और अधिक जटिल बनाएगा।

विदेशी मुद्रा भंडार से देश को संबल

विदेशी मुद्रा भंडार से देश को संबल

हाल ही में रिज़र्व बैंक द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक 25 जून को देश का विदेशी मुद्रा भंडार 609 अरब डॉलर की ऐतिहासिक रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि जारी गया और भारत दुनिया में चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार रखने वाला विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि जारी देश बन गया है। ऐसे में उपयुक्त होगा कि कोरोना काल के बीच दयनीय स्थिति में दिखाई दे रहे देश के स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत बनाने की तरफ बढ़ें। साथ ही चीन व पाकिस्तान से मिल रही रक्षा चुनौतियों के मद्देनजर आधुनिकतम अस्त्र-शस्त्रों की पर्याप्त मात्रा में खरीद तथा एंटी-ड्रोन टेक्नोलॉजी के लिए विदेशी मुद्राकोष के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि जारी एक भाग को व्यय करने की डगर पर रणनीतिक रूप से आगे बढ़ा जाए।

गौरतलब है कि देश के विशाल आकार के विदेशी मुद्रा भंडार से जहां भारत की वैश्विक आर्थिक साख बढ़ी है, वहीं इस भंडार से देश की एक वर्ष से भी अधिक की आयात जरूरतों की पूर्ति की जा सकती है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार देश के अंतर्राष्ट्रीय निवेश की स्थिति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। साथ ही विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में देश का तीन दशक विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि जारी पहले का परिदृश्य पूरी तरह बदल गया है। वर्ष 1991 में हमारे देश की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी। हमारी अर्थव्यवस्था भुगतान संकट में फंसी हुई थी। उस समय के गंभीर हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार 1.1 अरब डॉलर ही रह गया था। इतनी विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि जारी कम रकम करीब दो-तीन हफ्तों के आयात के लिए भी पूरी नहीं थी। ऐसे विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि जारी में रिज़र्व बैंक ने 47 टन सोना विदेशी बैंकों के पास गिरवी रख कर कर्ज लिया था।

घट गया है भारत का विदेशी मुद्रा भंडार, जानिए पिछले हफ्ते में कितनी थी भारत की ये संपत्ति

Published: August 13, 2022 4:25 PM IST

घट गया है भारत का विदेशी मुद्रा भंडार, जानिए पिछले हफ्ते में कितनी थी भारत की ये संपत्ति

भारत के विदेश मु्द्रा भंडार में कमी आई है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर जारी आंकड़ों के अनुसार, 5 अगस्त को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 89.7 करोड़ डॉलर गिरकर 572.978 अरब डॉलर हो गया. 29 जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान लगातार चार सप्ताह पहले गिरने के बाद यह गिरावट देखी गई है. इस सप्ताह विदेशी मुद्रा संपत्ति में 1.611 अरब डॉलर की गिरावट के कारण 509.646 अरब डॉलर की गिरावट देखी गई है.

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विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां (एफसीए) जो कि आरबीआई के विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे महत्वपूर्ण पूंजी है. वह अमेरिकी ट्रेजरी बिल जैसी संपत्तियां हैं, जिन्हें आरबीआई ने विदेशी मुद्राओं का उपयोग करके खरीदा है. एफसीए विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा पुर्जा है. इस बीच, हालांकि, 5 अगस्त को समाप्त सप्ताह में सोने का भंडार 67.1 करोड़ डॉलर बढ़कर 40.313 अरब डॉलर हो गया.

स्पेशल ड्रॉविंग राइट्स (एसडीआर) 4.6 करोड़ डॉलर बढ़कर 18.031 अरब डॉलर हो गया. जैसा कि आंकड़ों से पता चलता है कि आईएमएफ के साथ देश की आरक्षित स्थिति समीक्षाधीन सप्ताह में 30 लाख डॉलर घटकर 4.987 बिलियन डॉलर हो गई.

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फिर भरा देश का खजाना: 610 अरब डॉलर के पार पहुंचा विदेशी मुद्रा भंडार

मुंबई। देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार दूसरे सप्ताह बढ़ते हुये पहली बार 610 अरब डॉलर के पार पहुंच गया। रिजर्व बैंक द्वारा आज जारी आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा का देश का भंडार 02 जून को समाप्त सप्ताह में 1.01 अरब डॉलर बढ़कर 610.01 अरब डॉलर के नये रिकॉर्ड स्तर पर रहा। इससे पहले …

मुंबई। देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार दूसरे सप्ताह बढ़ते हुये पहली बार 610 अरब डॉलर के पार पहुंच गया। रिजर्व बैंक द्वारा आज जारी आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा का देश का भंडार 02 जून को समाप्त सप्ताह में 1.01 अरब डॉलर बढ़कर 610.01 अरब डॉलर के नये रिकॉर्ड स्तर पर रहा।

इससे पहले 25 जून को समाप्त सप्ताह में यह 5.07 अरब डॉलर बढ़कर 609 अरब डॉलर पर विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि जारी रहा था। विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 02 जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान 74.8 करोड़ डॉलर की वृद्धि के साथ 566.99 अरब डॉलर पर पहुँच गया। इस दौरान स्वर्ण भंडार भी 7.6 करोड़ डॉलर बढ़ा और 36.37 अरब डॉलर पर पहुँच गया।

विदेशी मुद्रा भंडार में विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि जारी लगातार वृद्धि जारी

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की केंद्रीय समिति के प्रचार विभाग ने 23 जून को "चीन के दस साल" के श्रृंखलाबद्ध विषय पर एक संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया, जिसमें सीपीसी की 18वीं राष्ट्रीय कांग्रेस (नवम्बर 2012) के बाद से लेकर अब तक, चीन के वित्तीय क्षेत्र में सुधार और विकास की स्थिति को परिचय दिया गया है।

इस संवाददाता सम्मेलन में चीनी राष्ट्रीय विदेशी मुद्रा प्रबंधन ब्यूरो की उप प्रभारी वांग छुनयिंग ने बताया कि पिछले दस वर्षों में चीन की विदेशी मुद्रा आरक्षित संपत्तियों ने सुरक्षा, तरलता, मूल्य संरक्षण और मूल्य वृद्धि हासिल की है। इसके साथ ही चीनी विशेषताओं वाली विदेशी मुद्रा आरक्षित प्रबंधन प्रणाली में लगातार सुधार हुआ। हाल के वर्षों में, चीन के विदेशी मुद्रा भंडार का पैमाना 30 खरब अमेरिकी डॉलर से अधिक होना जारी रखा है, इस मई के अंत में 31 खरब अमेरिकी डॉलर से अधिक पहुंचा है। चीन का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार 17 वर्षों से पूरे दुनिया में पहले स्थान पर है। यह चीनी आर्थिक और वित्तीय सुरक्षा बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण "स्थिरीकरण" और "गिट्टी का पत्थर" है।

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