आखिर में क्या कारण है कि बिहार में नीतीश कुमार बार-बार यूटर्न क्यों ले रहे हैं. और बिहार के राजनीति की क्या मजबूरी है कि नीतीश कुमार राजद और भाजपा दोनों से मिलकर सरकार बना लेते हैं. नीतीश कुमार औऱ भाजपा वैचारिक रूप से भले ही अलग हों लेकिन नीतीश कुमार का राजनीतिक उत्थान भाजपा के साथ ही हुआ है. नीतीश कुमार की समता पार्टी बाद में जेडीयू का नाम लंबे समय से भाजपा के सहयोगी दलों में शामिल रही है. लेकिन ऐसा क्या कारण है कि नीतीश कुमार एक बार फिर से भाजपा से अलग और राजद के साथ हो गए.

PM मोदी बोले- लॉकडाउन के बाद लोगों का बाहर निकलने की रणनीति क्या है धीरे-धीरे बाहर निकलना सुनिश्चित करने के लिये साझी रणनीति की जरूरत

PM मोदी बोले- लॉकडाउन के बाद लोगों का धीरे-धीरे बाहर निकलना सुनिश्चित करने के लिये साझी रणनीति की जरूरत

Coronavirus को लेकर पीएम मोदी ने राज्य के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉनफ्रेंसिंग की

खास बातें

  • पीएम मोदी ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की
  • पीएम मोदी बोले- मरीजों के लिए अलग, विशेष अस्पताल की जरूरत
  • कोरोना संकट के बीच मुख्यमंत्रियों के साथ यह दूसरी बैठक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने लॉकडाउन (Lockdown) के बीच कोरोनावायरस (Coronavirus) खतरे को लेकर राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बातचीत की. प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों से कहा कि कोविड-19 के मरीजों के लिए अलग, विशेष अस्पतालों की जरुरत है. इस बैठक में, पीएम मोदी के साथ गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत अन्य प्रमुख लोग मौजूद रहे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्रियों से कहा कि अगले कुछ सप्ताह तक सारा ध्यान जांच करने, संक्रमित लोगों का पता लगाने, उन्हें घरों, पृथक केन्द्रों बाहर निकलने की रणनीति क्या है या अस्पतालों में पृथक रखने पर होना चाहिए.

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उन्होंने कहा, "लॉकडाउन समाप्त होने के बाद जनजीवन को धीरे-धीरे सामान्य बनाने के लिये साझी रणनीति तैयार करना महत्वपूर्ण है." प्रधानमंत्री ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कान्फ्रेसिंग में कहा कि लॉकडाउन (बंद) समाप्त होने के बाद आबादी के फिर से घर से बाहर निकलने को ध्यान में रखते हुए राज्यों और केंद्र को एक रणनीति तैयार करनी चाहिए.

पीआईबी की विज्ञप्ति के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह वास्तव में बाहर निकलने की रणनीति क्या है सराहनीय है कि सभी राज्यों ने एक साथ और एक टीम के रूप में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिये काम किया है.

पीएम मोदी ने कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए पिछले हफ्ते मंगलवार को देशभर में लॉकडाउन की घोषणा करते हुए लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का बाहर निकलने की रणनीति क्या है पालन करने का निर्देश दिया था. कोविड-19 के प्रकोप और बाहर निकलने की रणनीति क्या है इससे जुड़े मुद्दों के सामने आने के बीच पिछले दो सप्ताह से कम समय में प्रधानमंत्री के साथ मुख्यमंत्रियों की यह दूसरी बातचीत है. पहली ऐसी बातचीत 20 मार्च को हुई थी.

नीतीश ने 2017 की कड़वाहट को भूलकर साथ निभाने की कही बात, जानें BJP की क्या होगी रणनीति

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बिहार में एक बार फिर नीतीश कुमार राष्ट्रीय जनता, कांग्रेस और वामदलों के साथ सरकार बना रहे हैं. भाजपा के साथ जेडीयू का गठबंधन एक बार फिर टूट गया है. यानि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर से यू-टर्न ले लिया है. यह पहली बार नहीं है जब नीतीश कुमार एनडीए से अलग होकर राजद के साथ सरकार बनाये हों, इसके पहले वह भी वह उस राजद के साथ सरकार बनाए और 2017 में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अलग हो गए थे. अब नीतीश कुमार ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से कहा कि 2017 में जो कुछ हुआ उसे भूल जाइए. लेकिन सवाल यह है कि क्या राबड़ी देवी 2017 की घटना को भूल जायेगी और नीतीश कुमार फिर वैसा झटका राजद को बाहर निकलने की रणनीति क्या है नहीं देंगे?

सीरिया से बाहर निकलने की अमरीकी घोषणा के चार संभावित कारण, क्या अर्दोगान से कोई ख़ुफ़िया डील करके वाशिंग्टन ने कुर्दों को बनाया

हो सकता है कि अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प को यह रणनीति मालूम न हो क्योंकि उनकी सारी दक्षता व्यापारिक सौदे और ज़मीनें ख़रीदने की है मगर निश्चित रूप से ट्रम्प के साथ कुछ सलाहकार एसे होंगे बाहर निकलने की रणनीति क्या है जिन्हें इसके बारे में पूरी जानकारी होगी और इसी तरह उन्हें युद्ध के मोर्चों की असली स्थिति का भी भलीभांति ज्ञान होगा।

वाइट हाउस की प्रवक्ता सारा सैंडर्ज़ ने बुधवार को घोषणा की कि अधिक से अधिक दो या तीन महीने के भीतर सभी अमरीकी सैनिकों को जिनकी संख्या 2000 है सीरिया से बाहर निकाल लिया जाएगा। एक अन्य अमरीकी अधिकारी ने कहा कि सीरिया में अमरीकी विदेश मंत्रालय के जितने भी कर्मचारी हैं वह 48 घंटे के भीतर इस देश से बाहर निकल जाएंगे।

वंशवाद के आरोपों से बाहर निकलने को कांग्रेस ने बनाई रणनीति, अब इन महापुरुषों पर होगा ज्यादा फोकस

-राहुल गांधी ने बाहर निकलने की रणनीति क्या है की है पहल, पार्टी अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा, प्रियंका को शीर्ष पद से दूर रहने की दे चुके हैं सलाह
-अब प्रियंका ने यूपी के कांग्रेसियों को बताया, इन महापुरुषों के व्यक्तित्व-कृतित्व को करें प्रचारित
- भाजपा की आर्थिक नीतियों पर तेज होगा हमला
-खेती किसानी के साथ बेकारी पर लडेगी कांग्रेस

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वाराणसी. वर्षों से वंशवाद को प्रश्रय देने का आरोप झेल रही कांग्रेस ने धीरे-धीरे ही सही पर इससे किनारा कसने का मन बना लिया है। वह अब जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी के साये से बाहर निकलने पर मंथन करने लगी है। हालांकि वंशवाद के आरोप से कांग्रेस को बाहर निकालने की पहल सबसे पहले राहुल गांधी ने की जब उन्होंने लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने यहां तक कह दिया कि प्रियंका को भी शीर्ष पद से दूर ही रखा जाए। यह दीगर है कि पार्टी नेताओं के दबाव में सोनिया गांधी को अंतरिम बाहर निकलने की रणनीति क्या है अध्यक्ष बनाया गया। लेकिन अब राहुल की इस रणनीति को बहन प्रियंका ने आत्मसात कर लिया है। वह इसे मिशन 2022 के तहत यूपी में पूरी तरह से लागू करने जा बाहर निकलने की रणनीति क्या है रही हैं।

चुनावी माहौल नहीं बना पा रही हिमाचल कांग्रेस: अपने-अपने क्षेत्र में सिमटे बड़े नेता, जंबो कार्यकारिणी का फायदा नजर नहीं आ रहा

कांग्रेस मुख्यालय शिमला में चुनाव की रणनीति बनाते हुए प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह। - Dainik Bhaskar

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के संगठन में 100 से अधिक नेताओं की ताजपोशी के बाद उम्मीद की जा रही थी कि धरातल पर पार्टी गतिविधियां होती नजर आएंगी, लेकिन इनकी तैनाती के एक महीने बाद भी कांग्रेस का चुनाव प्रचार दफ्तर से बाहर नहीं निकल पा रहा है। किसी भी सरकार के साढ़े चार के कार्यकाल के बाद विपक्ष से बाहर निकलने की रणनीति क्या है जिस आक्रामक रूख की उम्मीद की जाती है, वह दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा।

दफ्तर में बैठकर रणनीति बनाने में जुटी प्रदेशाध्यक्ष

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