सेबी ने कहा है कि एसएसई गवर्निंग काउंसिल के तहत एसएसई को ड्राफ्ट फंड रेजिंग डॉक्युमेंट तैयार करने होंगे। उसे इस जरूरत के बारे में अपनी वेबसाइट पर बताना होगा। एसएसई को एनपीओ के विजन से जुड़ी इंफॉर्मेशन अपने पास रखनी होगी। इसके अलावा उसके पास एनपीए के दूसरे डिटेल भी होंगे। इनमें एनपीओ की स्ट्रेटेजी, प्रबंधन से जुड़े लोगों की डिटेल, पिछले तीन साल के फाइनेंशियल स्टेटमेंट शामिल होंगे। एनपीओ को यह भी बताना होगा कि उसके कामकाज से किस तरह के सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है? रिस्क जुड़े हैं।

Social Stock Exchange details

SEBI ने Social Stock Exchange के लिए फ्रेमवर्क पेश किया, जानिए क्या है SSE

SEBI ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) बनाने की दिशा में अहम कदम बढ़ाया है। उसने इसका फ्रेमवर्क 19 सितंबर (सोमवार) को पेश किया। नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन (NPO) एसएसई पर लिस्ट होंगे। जो NPO सोशल स्टॉक एक्सचेंज पर खुद को लिस्ट कराना चाहेंगे, उन्हें पहले अपना रजिस्ट्रेशन नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन के रूप में कराना होगा।

इंग्लैंड, कनाडा और ब्राजील जैसे देशों में पहले से SSE मौजूद हैं। इंडिया में SSE के लिए बड़ा सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है? बाजार है। इंडिया में 31 लाख से ज्यादा एनपीओ हैं। हर 400 इंडियंस पर एक एनपीओ है। सेबी ने 2020 में एसएसई के बारे में एक ड्राफ्ट रिपोर्ट जारी की थी। इसमें कहा गया था कि एसएसई से कोरोना से प्रभावित लोगों के जीविकोपार्जन के मौके पैदा करने में मदद मिलेगी।

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SEBI ने प्रस्तावित SSE के बारे में जुलाई 2020 में लोगों की राय मांगी थी। इससे पहले सेबी ने कमेटी गठित की थी, जिसने बॉन्ड इश्यू और फंडिंग के दूसरे तरीकों के जरिए एनपीओ की डायरेक्ट लिस्टिंग की सलाह दी थी।

सेबी ने इस बारे में एक सर्कुलर जारी किया है। इसमें कहा गया है कि एनपीओ का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट 12 महीने के लिए मान्य होगा। संस्था का इंडिया में 'चैरिटेबल ट्रस्ट' के रूप में रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है। उसे पब्लिक ट्रस्ट के नियमों के तहत उस राज्य में अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा, जहां वह कामकाज करती है।

सोशल स्टॉक एक्सचेंज को मंजूरी, जानिए कैसे करेगा, क्या होगा आम आदमी को फायदा

सोशल स्टॉक एक्सचेंज को मंजूरी, जानिए कैसे करेगा, क्या होगा आम आदमी को फायदा

सोशल स्‍टॉक एक्‍सचेंज के बारे में सेबी चेयरमैन अजय त्‍यागी ने बताया कि सोशल इंटरप्राइेजज की ओर से फंड जुटाने के लिए यह एक्‍सचेंज बनाने के प्रस्‍ताव को मंजूरी दे दी गई है. हालांकि, उन्‍होंने इस एक्‍सचेंज के शुरू होने को लेकर फिलहाल कोई समय सीमा सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है? नहीं बताई. उन्‍होंने कहा कि इस बारे में आगे की कार्रवाई के लिए सरकार सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है? के साथ बातचीत करेंगे. इसके अलावा, सेबी बोर्ड ने एक ओपन ऑफर के बाद डी-लिस्टिंग फ्रेमवर्क में संसोधन के प्रस्‍ताव को पास कर दिया.

क्या है सोशल स्‍टॉक एक्‍सचेंज

सोशल स्‍टॉक एक्‍सचेंजों (Social stocks exchange) के लिए फ्रेमवर्क्‍स को भी मंजूर कर दिया है. अगर आसान शब्दों में कहें सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले संगठनों (एनजीओ) के पास अब पैसे जुटाने के लिए नया माध्यम आ गया है. यह माध्यम शेयर बाजार होगा. अब एक प्राइवेट फर्म की तरह एनजीओ भी खुद को शेयर सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है? बाजार में लिस्टेड करा सकेंगे और यहां से पैसे जुटा पाएंगे.

कैसे करेगा काम, किसे होगा फायदा

अपने पहले बजट में इस बड़ी योजना का ऐलान करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया था कि इससे देश के सभी निवासियों को फायदा होगा. एक इलेक्ट्रॉनिक फंडरेजिंग प्लेटफॉर्म बनाने की योजना है. यह एक सोशल स्टॉक एक्सचेंज होगा, जो समाज के उत्थान के लिए काम कर रहे सामाजिक और स्वैच्छिक संगठनों को सूचीबद्ध करने और पूंजी जुटाने में मदद करेगा. अगर आसान शब्दों में कहें तो NGO के शेयरों को भी आम लोग खरीद और बेच सकेंगे.

यूरोप, उत्तर-दक्षिण अमेरिकी देशों में सोशल स्टॉक एक्सचेंज है. सोशल स्टॉक एक्सचेंज, ऐसे संगठनों को शेयर, डेट और म्यूचुअल फंड के जरिए पूंजी जुटाने की मंजूरी देगा. इस तरह के स्टॉक एक्सचेंज यूके, कनाडा, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, जमैका और केन्या में पहले से है.सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है?

Social Stock Exchange के संबंध में SEBI द्वारा लागू किए गए नियम

सोशल स्टॉक एक्स्चेंज में लिस्ट होने वाली संस्थाओं के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड, SEBI ने कार्य रूपरेखा जारी कर दी है, जानते हैं इसके अंतर्गत क्या – क्या नियम लागू किए हैं

  • SSE में सभी लाभकारी संस्थाएं (FPE) और गैर – लाभकारी संस्थाएं (NPO) लिस्ट हो सकती हैं तथा लिस्ट होने वाली सभी सामाजिक संस्थाओं का सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है? प्राथमिक लक्ष्य वंचित और कम विशेषाधिकार प्राप्त लोगों और क्षेत्रों में मदद तथा सेवा पहुंचाना होना चाहिए।
  • विनियम बोर्ड द्वारा योग्य सामाजिक कार्यों को 15 विभागों में बांटा गया है जिनमें गरीबी और भूखमारी को मिटाना, स्वास्थ्य देखभाल और स्वच्छ्ता को बढ़ावा देना, शिक्षा तथा लैंगिक समानता को बढ़ावा देना, महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण संबन्धित कार्य करना, खेल – कूद को बढ़ावा देने जैसे कार्य शामिल है। Social stock Exchange में लिस्ट होने वाली सभी संस्थाओं को इन सभी योग्य गतिविधिओं में शामिल होना होगा।
  • गैर सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है? लाभकारी संस्थान को सोशल स्टॉक एक्स्चेंज में लिस्ट होने से पहले वह संस्था, एक ‘चैरिटेबल ट्रस्ट’ के तौर पर रजिस्टर हो तथा कम से कम तीन साल तक सामाजिक कार्य किये हों।
  • इसके साथ – साथ पिछले वित्तीय वर्ष में गैर लाभकारी संस्थान ने 50 लाख रुपये सामाजिक कार्य में खर्च किए हो तथा 10 लाख रुपयों की फ़ंडिंग संस्था को प्राप्त हुई हो।
  • सभी योग्य गैर लाभकारी संस्थायें इस stock exchange में zero coupon zero principal bond के माध्यम से लिस्ट हो सकती है और इसके साथ – साथ इन सभी संस्थाओं को जुटाये गए फ़ंड का लेखा – जोखा तिमाही के अंत से 45 दिनों के भीतर तक SSE के सामने प्रस्तुत करना होगा।
  • सामाजिक कार्य कर रहे विभिन्न राजनैतिक तथा धार्मिक दल, व्यापार संघ, कॉर्पोरेट फ़ाउंडेशन, इन्फ्रास्ट्रक्चर और हाउसिंग संस्थाएं SSE में लिस्ट नहीं हो सकती हैं।
  • गैर – लाभकारी संस्थाओं के वार्षिक प्रकटीकरण के दौरान वे सभी संस्थाएं जिन्होने social stock exchange से फ़ंड जुटाये हैं या इसमे पंजीकृत हैं, उन्हे सबसे अधिक निवेश करने वाले पाँच निवेशकों की भी जानकारी देनी होगी।
  • सभी लाभकारी संस्थाओं के ऊपर SSE में लिस्ट होते समय SEBI द्वारा निर्धारित वर्तमान समय के सभी debt और equity के नियम लागू होंगे।
  • सोशल स्टाॅक एक्सचेंज में लिस्ट हुई सभी गैर – लाभकारी और लाभकारी संस्थाओं को सालाना अपनी social impact report को SEBI के सामने प्रकट करना होगा। इस रिपोर्ट में विभिन्न सामाजिक कार्यों के उद्दयेश, उनसे संबन्धित विभिन्न गतिविधियों, पूरे वर्ष में विभिन्न सामाजिक कार्यों में खर्च किए जाने वाले रुपयों का विवरण इत्यादि शामिल होगा।

SSE संचालन परिषद (SSE governing council)

बृहस्पतिवार (13 अक्तूबर) को भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड, SEBI द्वारा जारी किए गए परिपत्र में यह कहा गया हैं सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है? की 292D के ICDR Regulation के अनुसार सभी सामाजिक शेयर बाजार को एक सामाजिक शेयर बाजार संचालन परिषद का संगठन करना होगा। इस संचालन परिषद का कार्य विभिन्न सामाजिक संस्थाओं को Social stock exchange में पंजीकरण, पैसे जुटाना, दस्तावेजों का प्रकटीकरण से संबन्धित विभिन्न चीजों पर सलाह देना होगा।

SEBI से SSE को एक अलग खंड रूप में चलाने के लिए अंतिम स्वीकृत लेने से पहले स्टॉक एक्स्चेंज को इस संचालन परिषद सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है? का गठन करना होगा। इस संचालन परिषद में कुल सात व्यक्तियों का चयन किया जायेगा जो की गैर – लाभकारी संगठन, सामाजिक ऑडिट, जनहितैषी (philanthropic), सामाजिक प्रभाव निवेशक (social impact investors) जैसे क्षेत्रों से संबंध रखते हों। सोशल स्टॉक एक्स्चेंज के विभिन्न कार्यों के संबंध में संचालन परिषद को एक वित्तीय वर्ष में कम से कम चार बार मीटिंग करनी होगी।

निष्कर्ष

विभिन्न कल्याणकारी कार्य करने वाली सामाजिक संस्थाओं के लिए फ़ंड जुटाने के लिए सोशल स्टॉक एक्स्चेंज एक अच्छा जरिया बन सकता है। इससे भी अच्छी बात SSE के माध्यम से सामाजिक संस्थाओं द्वारा किए जा रहे कार्यों में पारदर्शिता बनी रहेगी चाहे वह फ़ंड जुटाने के संबंध में हो या विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने के संबंध में हो। Social Stock Exchange संचालन परिषद के गठन होने से सभी सामाजिक संस्थाओं को इस स्टॉक एक्स्चेंज के विभिन्न कार्य प्रक्रियाओं जैसे पंजीकरण, वार्षिक प्रकटीकरण इत्यादि को समझने में आसानी होगी।

जल्द ही SSE सामाजिक संस्थाएं लिस्ट होना शुरू कर देंगी लेकिन इसके कार्य प्रवाह के संबंध में लोगों में मन अभी भी विभिन्न प्रश्न होंगे, जैसे की यह सोशल स्टॉक एक्स्चेंज भी मौजूदा स्टॉक एक्स्चेंज की तरह कार्य करेगा या फिर इसमे कुछ बदलाव होंगे? विभिन्न शेयर व्यापारी शेयर मार्केट में पैसा मुनाफा कमाने के लिए लगाते हैं तो उन्हें गैर – लाभकारी संस्थाओं में पैसा निवेश करने पर मुनाफा कैसे प्राप्त होगा? इस तरह के विभिन्न सवालों के जवाब तभी मिल पाएंगे जब ऐसा Stock Exchange व्यवहारिक रूप से शुरू होगा।

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