इन्वर्टर बैटरी की बेसिक जानकारी हिंदी में
यहां पर एक बात जान ले कि जब भी आप बैटरी का पानी चेक करे तो बैटरी के ऊपर या बैटरी के आसपास मोमबत्ती या कोई भी आग वाली चीज ना लाये. क्योकि जब आप बैटरी का पानी का ढक्कन खोलते हो तो बैटरी में से जो गैस निकलती है वो जवलनशील होती है . मतलब कि बैटरी आग पकड़ सकती है. बैटरी फट सकती है. बैटरी में पानी आप RO फ़िल्टर वाला डाल सकते है. याद रहे कि आप बैटरी में कुए या ट्यूबवेल का पानी मत डाले . ऐसा करने से आपकी बैटरी की लाइफ कम हो सकती है.
Inverter :- अब बात इन्वर्टर की आती है. सबसे पहले मैं यहां पर इन्वर्टर और बैटरी के कनेक्शन की बात करता हूँ. इन्वर्टर में 2 तार लाल और काली रंग की दी गए होती है जो बैटरी से जुड़ती है. यहां पर मैं बता दू कि लाल रंग कि तार बैटरी के plus (+) point से और काले रंग कि तार minus (-) point से जुड़ती है. आप इसे गलती से भी मत जोड़िएगा. अब इन्वर्टर में एक और wire दी हुई होती है जो main plug में लगती है जो इन्वर्टर को charging कि supply देने के लिए होती है . मैं आप से कहना चाहूंगा कि ये आप किसी बिजली के मिस्त्री से ही कनेक्ट करवाए तो अच्छा होगा.
अब बात आती Indicators कितने होते है है इन्वर्टर के indicator और problem कि. हर इन्वर्टर में लगभग 5 indicator दिए हुए होते है जिसका उल्लेख मैं यहाँ पर कर रहा हूँ.
Main on :- ये indicator आप को बताता है कि आप के घर की Main light आ रही है अगर ये indicator चालू है तो आपका इन्वर्टर भी वो सप्लाई ले रहा है
Charging :- अगर ये indicator चालू है तो आपका इन्वर्टर बैटरी को चार्ज कर रहा है . ये indicator अलग अलग कंपनी के इन्वर्टर में अलग अलग तरह से काम करता है. luminous के इन्वर्टर में ये indicator continue चलता है जबकि microtek के इन्वर्टर में ये blink मतलब चस बुझ करता है. अगर luminous के इन्वर्टर में ये indicator चस बुझ करता है तो इन्वर्टर के पीछे की तरफ एक fuse होता है आपको उसे बदलने की जरुरत है. अगर fuse बदलने के बाद भी ये indicator blink करता है तो आपको मिस्त्री बुलाने की जरुरत है.
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Ups :- ये indicator आपको दर्शाता है कि आपके घर कि Main light जा चुकी है और इस समय इन्वर्टर काम कर रहा है अगर आपके घर की Main light है और फिर भी इन्वर्टर का ये indicator चालू है तो इन्वर्टर की Main तार जो चार्जिंग के लिए Main प्लग में दी गयी है या वो तो सही ढंग से नहीं लगी हुई है या आपके घर की Main light में कुछ दिक्कत है . मैं आपको यहां भी एक अच्छे मिस्त्री को बुलाने की सलाह देता हूँ.
Battery low :- ये indicator तब चालू होता है जब आपकी बैटरी या तो चार्ज न हो या फिर आपकी बैटरी ख़तम हो गयी हो.
Over load :- ये indicator तब चलता है जब आपके घर का लोड इन्वर्टर की क्षमता से ज्यादा हो. जब आप इन्वर्टर की क्षमता से ज्यादा लोड इन्वर्टर पर दे देते हो तो इन्वर्टर का ये indicator चालू हो जाता है और एक beep की sound देना लगता है और आपके घर की light बंद हो जाती है . ऐसे में आपको अपने घर का लोड कम करना होगा और फिर इन्वर्टर में लगे on off के बटन को reset करना होगा. तब आपके घर की light दुबारा चालु हो जाएगी.
तो ये थी कुछ जानकारी जो मैंने आपसे शेयर कर दी है. अगर आपको भी मेरी ये जानकारी अच्छी लगी हो तो इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजियेगा. और अगर आपकी इस पोस्ट से लेकर कोई भी परेशानी है तो आप मुझे कमेंट कर सकते है मुझे आपकी मदद करने में ख़ुशी होगी. तो दोस्तों मैं एक बार फिर से हाजिर होऊंगा अपनी एक नयी पोस्ट और नयी जानकारी लेकर लेकिन तब तक के लिए जय हिन्द जय भारत
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Keyboard क्या होता है और यह कितने प्रकार का होता है।
Keyboard क्या होता है (what is keyboard) यह सवाल मन में तभी उठता है जब आप computer का basic knowledge सीख रहे होते हैं। दोस्तों हम आपको keyborad के बारे में मन में उठने वाले सभी सवालों के जवाब आसान भाषा में देंगे। और keyboard के एक एक बटन के बारे में बताएंगे। जो आपके लिए काफी helpful साबित होगा।
दोस्तों keyborad एक पूरे कंप्यूटर सेट का भाग होता है, जों कंप्यूटर के हार्डवेयर भाग के अन्तर्गत आता है। यह एक इनपुट device है। जिसके द्वारा हम कंप्यूटर को command देते है। और उसी command के हिसाब से हमारा कंप्यूटर अपने मॉनिटर पर आउटपुट दिखाता है। के के द्वारा ही हम कंप्यूटर में डाटा एंट्री कर सकते है। इसके द्वारा command के साथ साथ अल्फा numeric data भी टाइप कर सकते हैं।
अगर हम छोटे शब्दों में कहे तो keyborad एक जरिया है जिसके द्वारा हम कंप्यूटर से बात (communicate) करते है।
Keyboard का चित्र
Keyboard कितने प्रकार के होते हैं:-
दोस्तों keyboard को अलग अलग क्षेत्र और भाषा के आधार पर कई फॉर्मेट में बनाया गया है। जो निम्न है।
QWERTY (Formate of keyborad):-
Qwerty शब्द keyboard me स्थित alphabetic word के पहले लाइन (row) को दर्शाता है। और लगभग सभी प्रकार के keyboard के फॉर्मेट के नाम इसी प्रकार से रखा गया है।
Keyboard का यह प्रकार सबसे ज्यादा प्रचलित फॉर्मेट है, यह सबसे ज्यादा प्रयोग में आने वाली फॉमेट है ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार english language बहू प्रचलित है।
DVORK (Formate of key board):-
यह फॉर्मेट इसीलिए तैयार किया गया है ताकि हम typing की गति (speed) को हम और बढ़ा सके। क्योंकि इस फॉर्मेट से टाइपिंग करने से उंगलियों को movement कम होती है जिससे typing speed बढ़ जाती है।
AZERTY (format of keyboard):-
यह प्रकार basically France statndard formate है।जों ज्यादातर french typing में सहायक होती है। यह सबसे ज्यादा फ्रांस में प्रयोग होता है।
Keyboard को कंप्यूटर से कनेक्ट कैसे करें:-
Keyboard को कंप्यूटर से कनेक्ट करने के मुख्यत दो विधि है।
Wire या cable के द्वारा
बिना केबल के द्वारा (wirless)
केबल के द्वारा पुराने समय में हम लोग एक सीरियल connector pin से कनेक्ट करते थे। जिसका आकार राउंड गोल था। लेकिन अब आज के समय हम लोग keyboard को USB port से कनेक्ट करते है।
बिना केबल( wirless) keyboard को एक सिग्नल के द्वारा कनेक्ट करते हैं। इसमें एक signal reciever को कंप्यूटर के यूएसबी पार्ट में लगते है तो keyboard signal के द्वारा कंप्यूटर से कनेक्ट हो जाता है । हालाकि इसमें keyboard में एक अलग से पॉवर सप्लाई के लिए cell का उपयोग करना पड़ता है।
Keyboard के बटन की जानकारी:-
दोस्तों keyboard के बटन को हम निम्न भागों में वर्गीकृत कर सकते है ।
2. Function keys
3. Navigation keys
5. Numerical keys
6. Indicator lights keys
Typing keys:-
दोस्तों keyboard का सबसे अहम भाग हमारा टाइपिंग keys ही होता है। इसके द्वारा हम किसी भी प्रकार के text command computer को से सकते है।
इसके अन्तर्गत alphabetical, numerical, symbols, और pantuation marks के keys आतें हैं।
Function keys:-
ये keys कुल 12 (F 1 – F 12) होते हैं। जो keyboard के सबसे टॉप पर होते हैं। यह F 1 से लेकर F 12 तक सीरियल क्रम में होते हैं। इसका उपयोग किसी विशेष काम में किया जाता है।
जैसे अगर विंडोज 10 version में alt+F4 keys press करेंगे तो हमारे कंप्यूटर पर shutdown button का इंटरफेस रन करेगा जिसको इंटर करने पर हमारा कंप्यूटर shutdown हो जाएगा।
Navigation keys:-
यह keys किसी भी प्रकार के documents, photos, आदि जो कंप्यूटर स्क्रीन पर रन कर रहा है उसे स्क्रॉल करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। इसमें page up, page down, up and down arrow, left & right arrow, end keys आदि आता है।
Control keys:-
इस keys का प्रयोग कंप्यूटर में किसी निश्चित कार्य को करने के लिए किया जाता है। अतः इसमें इन keys का एक या एक साथ दो keys का उपयोग करके किया जाता है। Altr key, ctrl key, shift key, prtscr key, scroll key, Ecs key, menu key आदि आते हैं।
Numerical keys:-
एक समान्य keyboard में एक सेक्शन होता है जिसमे numerical characters होते हैं। जैसे 1,2,3,4,5,6,7,8,9,0
यह सेक्शन keyboard के दाहिने तरफ होते हैं।
Indicators lights key:-
इस टाइप के keys मुख्यत तीन प्रकार की होती है। जिसमे Caps lock, Num lock, और scroll lock keys होते हैं।
जिसमे Caps lock key को दबाने पर पहली इंडिकेटर लाइट जलती है तो यह पता चलता है कि अब यदि हम Indicators कितने होते है कोई भी alphbetical keys दबाएंगे तो उसका कैपिटल letter दबेगा।
Num lock key को दबाने से दूसरी वाली indicator light जलती है जिससे यह पता चलता है कि अब numerical section का बटन दबाने से सिर्फ नंबर दबेगा। चुकी इस सेक्शन में और भी भी बहुत सारे characters होते हैं जिसे कारण Num lock key का प्रयोग किया जाता है।
यह scroll lock key दबाने से तीसरी लाइट जल जाती है। जिससे हमारा कंप्यूटर स्क्रीन scroll नहीं हो पाता है।
Special keys:-
यह keys हर keyboard में नहीं पाया जाता है। यह keys का रहना इस बात पर डिपेंड करता है कि आप किस प्रकार का keyboard ले रहे हैं। इसमें valume up and down button, farward keys play button आदि होते हैं।
Some important tips:-
• दुनिया में keyboard typing की सबसे fastest typing record 163 word per second है।
• हमे keyboard पर शुरुआत में टाइपिंग करते समय हमारे हाथ में दर्द होने लगता है। इसीलिए हमें कुछ कुछ समय बाद रेस्ट लेना चाइए।
• Keyboard का पूर्वज टाइपराइटर को कहा जाता है।
• पहले टाइपराइटर में ही keyboard का फार्मेट आया।
• Key board के स्पेस बटन को इसीलिए बड़ा बनाया जाता है क्योंकि टाइपिंग के समय हर word के बाद इसकी जरूरत पड़ती है तथा साथ ही साथ इसे आसानी से और fastly दबाया जा सके इसलिए बड़ा बनाया जाय है।
दोस्तों! Key borad के बारे में ये जानकारी कैसा लगा कमेंट कर के जरूर बताएं।
KPI क्या होता है? KPI का फुल फॉर्म क्या होता है? KPI Full Form In Hindi
आज हम जानेंगे KPI का फुल फॉर्म क्या होता है? (KPI Full Form In Hindi ) के बारे में क्योंकि हमारे देश में हर साल किसी ना किसी प्रतियोगी परीक्षा का आयोजन होता ही रहता है। और सामान्य तौर पर एग्जाम में अन्य सवालों के साथ-साथ चार-पांच सवाल ऐसे आते हैं, जिनमें अभ्यर्थियों से किसी छोटे शब्द का फुल फॉर्म पूछा जाता है।
इसलिए विद्यार्थियों को अधिक से अधिक छोटे शब्दों का फुल फॉर्म पता होना चाहिए । अक्सर प्रतियोगी परीक्षा में KPI के बारे में भी सवाल अवश्य पूछा जाता है। आज के इस आर्टिकल में जानेंगे कि KPI का मतलब क्या होता है, KPI Ka Full Form Kya Hota Hai, KPI Meaning In Hindi, What Is KPI Full Form In Hindi की जानकारियां तो, आइए जानते है।
KPI का फुल फॉर्म क्या होता है? – What Is KPI Full Form In Hindi?
Kpi Full Form
KPI : Key Performance Indicator
KPI का Full Form “ Key Performance Indicator ” होता है । हिंदी में KPI का फुल फॉर्म “ मुख्य निष्पादन संकेतक ” होता है। यह एक प्रकार का बिजनेस मैट्रिक है,जो एक औसत दर्जे का मूल्य दिखाता है।यह इस बात को इंगित करता है कि कोई कंपनी अपने मुख्य बिजनेस उद्देश्य और मंजिल को हासिल करने की दिशा में कितने सही प्रकार से प्रगति कर रही है या फिर आगे बढ़ रही है। जितनी भी कंपनी होती हैं, वह अपनी मंजिल को हासिल करने के लिए और अपनी सफलता का मूल्यांकन करने के लिए केपीआई यानी की Key performance indicator का इस्तेमाल करती हैं।
अगर बहुत ही आसान भाषा में समझें तो केपीआई मात्रात्मक उपायों का एक ग्रुप है, जो Indicators कितने होते है आपके ऑर्गेनाइजेशन के उद्देश्य और मंजिलों को सपोर्ट करता है और आपको सही रास्ते में प्रयास करने के लिए और टाइम के साथ अपनी परफॉर्मेंस की देखरेख करने की परमिशन देता है। हाई लेवल केपीआई सामान्य तौर पर बिजनेस के समग्र परफॉर्मेंस पर नजर रखते हैं,वही Low level केपीआई सेल्स, एचआर, सपोर्ट मार्केटिंग जैसे विभागों में प्रोसेस पर ध्यान लगाकर रखते हैं।
मुख्य निष्पादन संकेतक अलग-अलग स्तर से कंपनी या फिर ऑर्गनाइजेशन के लक्ष्य की सफलता को Evaluates करने का काम करता है, जबकि केआरए जॉब के Scop और प्रोडक्ट को हाईलाइट करने के लिए मौजूद रहता है।
KPI के प्रकार
अगर केपीआई के प्रकारों के बारे में बात की जाए तो मुख्य तौर पर KPI 5 प्रकार के होते हैं,जिनकी जानकारी निम्नानुसार है।
- प्रोसेस केपीआई: यह बिजनेस प्रक्रिया की प्रोडक्शन को मापने का काम करता है। उदाहरण के लिए, आर्डर देने के लिए लिया गया टाइम।कम समय में दिया गया आर्डर हाई परफारमेंस को दिखाता है।
- इनपुट केपीआई: यह बिजनेस रिजल्ट पैदा करने के लिए इन्वेस्ट की गई प्रॉपर्टी,संसाधन या पैसे जैसे इन्वेस्ट को मापने का काम करता है।एग्जांपल के तौर पर कर्मचारियों की ट्रेनिंग, रो मटेरियल, रिसर्च और डेवलपमेंट पर खर्च किया जाने वाला पैसा।
- आउटपुट केपीआई: यह बिजनेस गतिविधियों और प्रोसेस के आर्थिक और गैर आर्थिक आउटपुट को मापने का काम करता है। उदाहरण के स्वरूप उत्पन्न राजस्व, नए कस्टमर की संख्या, नए एंट्री की संख्या इत्यादि।
- लीडिंग केपीआई: लीडिंग केपीआई उन गतिविधियों की परफॉर्मेंस को नापने का काम करता है, जो फ्यूचर के परफॉर्मेंस को प्रभावित कर सकते हैं।यह संकेतक फ्यूचर के रिजल्ट पर गाइडलाइंस देता है।
- लेगिंग केपीआई: लेगिंग केपीआई किसी घटना की सफलता या फिर असफलता को मापने का काम करता है।उदाहरण के स्वरूप आर्थिक केपीआई पिछले गतिविधियों के आउटपुट को मापता है, यह आपको इस बात की जानकारी देता है कि आपकी परफॉर्मेंस कैसी है या फिर आपने कैसा परफॉर्मेंस दिया है।
KPI का उदाहरण
KPI के कुछ सामान्य उदाहरण निम्नानुसार है।
- मार्केट शेयर
- कस्टमर सेटिस्फेक्शन स्कोर
- एट्रिशन रेट
- सेल्स फिगर ओवर ए स्पेसिफाइड पीरियड
- नंबर ऑफ रिक्रूटमेंट
- मेन पावर कॉस्ट
- ट्रेनिंग प्रोग्राम
- द एवरेज लेंथ ऑफ द सर्विस ऑफ द एंप्लॉय
निष्कर्ष
मुझे उम्मीद है की आपको KPI क्या होता है? और KPI Full Form In Hindi की पूरी जानकारी प्राप्त हो चुकी होगी। अगर अभी भी आपके मन में What Is KPI Full Form In Hindi, KPI Kya Hai और Full Form Of KPI In Hindi को लेकर कोई सवाल हो तो, आप बेझिझक Comment Box में Comment कर पूछ सकते हैं।
अगर आपको KPI (Key Performance Indicator) की जानकारी अच्छी लगी हो तो आप अपने परिवार और दोस्तों के शेयर कर सकते है ताके KPI Kya Hai और Indicators कितने होते है KPI Full Form In Hindi के बारे में सबको जानकारी प्राप्त हो सके।
KPI क्या होता है? KPI का फुल फॉर्म क्या होता है? KPI Full Form In Hindi
आज हम जानेंगे KPI का फुल फॉर्म क्या होता है? (KPI Full Form In Hindi ) के बारे में क्योंकि हमारे देश में हर साल किसी ना किसी प्रतियोगी परीक्षा का आयोजन होता ही रहता है। और सामान्य तौर पर एग्जाम में अन्य सवालों के साथ-साथ चार-पांच सवाल ऐसे आते हैं, जिनमें अभ्यर्थियों से किसी छोटे शब्द का फुल फॉर्म पूछा जाता है।
इसलिए विद्यार्थियों को अधिक से अधिक छोटे शब्दों का फुल फॉर्म पता होना चाहिए । अक्सर प्रतियोगी परीक्षा में KPI के बारे में भी सवाल अवश्य पूछा जाता है। आज के इस आर्टिकल में जानेंगे कि KPI का मतलब क्या होता है, KPI Ka Full Form Kya Hota Hai, KPI Meaning In Hindi, What Is KPI Full Form In Hindi की जानकारियां तो, आइए जानते है।
KPI का फुल फॉर्म क्या होता है? – What Is KPI Full Form In Hindi?
Kpi Full Form
KPI : Key Performance Indicator
KPI का Full Form “ Key Performance Indicator ” होता है । हिंदी में KPI का फुल फॉर्म “ मुख्य निष्पादन संकेतक ” होता है। यह एक प्रकार का बिजनेस मैट्रिक है,जो एक औसत दर्जे का मूल्य दिखाता है।यह इस बात को इंगित करता है कि कोई कंपनी अपने मुख्य बिजनेस उद्देश्य और मंजिल को हासिल करने की दिशा में कितने सही प्रकार से प्रगति कर रही है या फिर आगे बढ़ रही है। जितनी भी कंपनी होती हैं, वह अपनी मंजिल को हासिल करने के लिए और अपनी सफलता का मूल्यांकन करने के लिए केपीआई यानी की Key performance indicator का इस्तेमाल करती हैं।
अगर बहुत ही आसान भाषा में समझें तो केपीआई मात्रात्मक उपायों का एक ग्रुप है, जो आपके ऑर्गेनाइजेशन के उद्देश्य और मंजिलों को सपोर्ट करता है और आपको सही रास्ते में प्रयास करने के लिए और टाइम के साथ अपनी परफॉर्मेंस की देखरेख करने की परमिशन देता है। हाई लेवल केपीआई सामान्य तौर पर बिजनेस के समग्र परफॉर्मेंस पर नजर रखते हैं,वही Low level केपीआई सेल्स, एचआर, सपोर्ट मार्केटिंग जैसे विभागों में प्रोसेस पर ध्यान लगाकर रखते हैं।
मुख्य निष्पादन संकेतक अलग-अलग स्तर से कंपनी या फिर ऑर्गनाइजेशन के लक्ष्य की सफलता को Evaluates करने का काम करता है, जबकि केआरए जॉब के Scop और प्रोडक्ट को हाईलाइट करने के लिए मौजूद रहता है।
KPI के प्रकार
अगर केपीआई के प्रकारों के बारे में बात की जाए तो मुख्य तौर पर KPI 5 प्रकार के होते हैं,जिनकी जानकारी निम्नानुसार है।
- प्रोसेस केपीआई: यह बिजनेस प्रक्रिया की प्रोडक्शन को मापने का काम करता है। उदाहरण के लिए, आर्डर देने के लिए लिया गया टाइम।कम समय में दिया गया आर्डर हाई परफारमेंस को दिखाता है।
- इनपुट केपीआई: यह बिजनेस रिजल्ट पैदा करने के लिए इन्वेस्ट की गई प्रॉपर्टी,संसाधन या पैसे जैसे इन्वेस्ट को मापने का काम करता Indicators कितने होते है है।एग्जांपल के तौर पर कर्मचारियों की ट्रेनिंग, रो मटेरियल, रिसर्च और डेवलपमेंट पर खर्च किया जाने वाला पैसा।
- आउटपुट केपीआई: यह बिजनेस गतिविधियों और प्रोसेस के आर्थिक और गैर आर्थिक आउटपुट को मापने का काम करता है। उदाहरण के स्वरूप उत्पन्न राजस्व, नए कस्टमर की संख्या, नए एंट्री की संख्या इत्यादि।
- लीडिंग केपीआई: लीडिंग केपीआई उन गतिविधियों की परफॉर्मेंस को नापने का काम करता है, जो फ्यूचर के परफॉर्मेंस को प्रभावित कर सकते हैं।यह संकेतक फ्यूचर के रिजल्ट पर गाइडलाइंस देता है।
- लेगिंग केपीआई: लेगिंग केपीआई किसी घटना की सफलता या फिर असफलता को मापने का काम करता है।उदाहरण के स्वरूप आर्थिक केपीआई पिछले गतिविधियों के आउटपुट को मापता है, यह आपको इस बात की जानकारी देता है कि आपकी परफॉर्मेंस कैसी है या फिर आपने कैसा परफॉर्मेंस दिया है।
KPI का उदाहरण
KPI के कुछ सामान्य उदाहरण निम्नानुसार है।
- मार्केट शेयर
- कस्टमर सेटिस्फेक्शन स्कोर
- एट्रिशन रेट
- सेल्स फिगर ओवर ए स्पेसिफाइड पीरियड
- नंबर ऑफ रिक्रूटमेंट
- मेन पावर कॉस्ट
- ट्रेनिंग प्रोग्राम
- द एवरेज लेंथ ऑफ द सर्विस ऑफ द एंप्लॉय
निष्कर्ष
मुझे उम्मीद है की आपको KPI क्या होता है? और KPI Full Form In Hindi की पूरी जानकारी प्राप्त हो चुकी होगी। अगर अभी भी आपके मन में What Is KPI Full Form In Hindi, KPI Kya Hai और Full Form Of KPI In Hindi को लेकर कोई सवाल हो तो, आप बेझिझक Comment Box में Comment कर पूछ सकते हैं।
अगर आपको KPI (Key Performance Indicator) की जानकारी अच्छी लगी हो तो आप अपने परिवार और दोस्तों के शेयर कर सकते है ताके KPI Kya Hai और KPI Full Form In Hindi के बारे में सबको जानकारी प्राप्त हो सके।
स्टोकैस्टिक आरएसआई का उपयोग करते हुए मोमेन्टम ट्रेडिंग
यह इंडिकेटर अपनी वैल्यू तक पहुँचने के लिए आरएसआई वैल्यू पर स्टोक़ैस्टिक ओसिलेटर फोर्मूला लगाता है, यह गणना खुद प्राइज़ की जगह प्राइज़ के इंडिकेटर पर आधारित है, इसे प्राइज़ का दूसरा डेरिवेटिव या इंडिकेटर का इंडिकेटर कहा जाता है। इसका अर्थ यह है कि स्टोक आरएसआई बनने के लिए प्राइज़ दो बदलावों से गुज़री है। प्राइज़ को आरएसआई में कन्वर्ट करना एक बदलाव है। आरएसआई को स्टोक़ैस्टिक ओसिलेटर में बदलना दूसरा बदलाव है।
परिणामित इंडिकेटर आरएसआई की तरह ही 0 और 100 के बीच झूलती है। पहले वैल्यू 0 और 1 के बीच थी लेकिन अधिकतर आधुनिक तक्निकी विश्लेषण इसे स्पष्टीकरण की सुविधा के लिए इसे 0 और 100 में कन्वर्ट करते हैं।
यह इंडिकेटर तुषार चंदे और स्टेनली क्रॉल ने बनाया था और 1994 में इसे अपनी पुस्तक “द न्यू टेक्निकल ट्रेडर” में इसका परिचय दिया। चंदे और क्रॉल ने समझाया कि बिना छोर तक पहुंचे, आरएसआई की लंबे समय तक 80 और 20 के बीच झूलने की प्रकृति होती है।इसीलिए आरएसआई में ओवर बॉट और ओवर सोल्ड आरएसआई रीडिंग के आधार पर किसी स्टॉक में प्रवेश करने की इच्छा रखनेवाले ट्रेडर्स बिना किसी ट्रेड सिग्नल के खुद को साइड लाइंस में पा सकते हैं। दूसरी तरफ स्टोक आरएसआई, आरएसआई की संवेदनशीलता बढ़ा कर अधिक ओवर बॉट/ओवर सोल्ड सिगनल्स उत्पन्न करता है।
स्टोकैस्टिक आर.एस.आई. के चार परिवर्ती कारक हैं :-
1. आर.एस.आई. अवधि : स्टोकैस्टिक गणना में उपयोग की जाने वाली आर.एस.आई. अवधियों की संख्या। (डिफ़ॉल्ट : 14)
2. स्टोकैस्टिक अवधि : यह स्टोकैस्टिक गणना में उपयोग किए जाने वाले समय की संख्या है। (डिफ़ॉल्ट : 14)
3. %K अवधि : यह मान एक सरल गतिशील औसत के साथ स्टोकैस्टिक अवधि को निर्बाध बनाता है। एक (1) का मान स्टोकैस्टिक अवधि को बनाए रखता है। (डिफ़ॉल्ट : 3)
4. %D अवधि : %K का एक गतिशील औसत (डिफ़ॉल्ट : 3)
अभी डाउनलोड करें - https://apple.co/2SRSFnz
इंटरप्रिटेशन
स्टोक आरएसआई में अधिकतर बाउंड मोमेंटम ऑसिलेटर के गुण होते हैं।
पहला, इसका उपयोग ओवर बॉट और ओवर सोल्ड स्थितियों की पहचान करने में होता है। 80 से ऊपर की चाल को ओवर बॉट माना जाता है और 20 से नीचे की चाल को ओवर सोल्ड। जब बड़ा ट्रेंड ऊपर हो तब ओवर सोल्ड स्थिति को देखना महत्वपूर्ण होता है है और जब बड़ा ट्रेंड नीचे हो तो ओवर सोल्ड स्थिति को देखना। दूसरे शब्दों में, बड़े ट्रेंड की दिशा में ट्रेंड्स देखें क्योंकि, स्टोक़ैस्टिक आरएसआई एक शॉर्ट टर्म इंडिकेटर है।
दूसरा, Indicators कितने होते है इसका उपयोग शॉर्ट टर्म ट्रेंड्स की पहचान करने के लिए किया जाता है। एक बाउंड ओसिलेटर के रूप मे मध्य रेखा 50 पर है। स्टोक आरएसआई जब लगातार 50 से ऊपर होता है तो अप ट्रेंड दर्शाता है और जब लगातार 50 से नीचे होता है तो डाउन ट्रेंड।
ट्रेंड्स और रिवर्सल्स का सिग्नल देनेवाले एक प्रमुख इंडिकेटर के रूप में आप इस ओसिलेटर के साथ क़ॉन्वर्जेंसेस और डाइवर्जेंसेस भी देख सकते हैं।
केस स्टडी
कोई भी रिलायंस के डेली चार्ट का अध्ययन यह देखने के लिए कर सकता है कि कैसे बढ़िया ट्रेडिंग के अवसर देने के बाद यह स्टोक़ैस्टिक ओसिलेटर कैसे ओवर बॉट और ओवर सोल्ड स्थितियों से बचाता है।
कंक्लूजन
स्टोक आरएसआई स्टीरॉइड्स पर आरएसआई की तरह है। आरएसआई अपेक्षाकृत कम सिग्नल उत्पन्न करता है और स्टोक आरएसआई नाटकीय रूप से सिगनल्स की संख्या बढ़ाता है। यहाँ ज़्यादा ओवर बॉट/ओवर सोल्ड रीडिंग्स, ज़्यादा मध्य रेखा कटाव,ज़्यादा अच्छे सिग्नल और ज़्यादा बुरे सिगनल्स होंगे। स्पीड की कीमत होती है। इसका मतलब यह है कि पुष्टि के लिए तकनीकी विश्लेषण के अन्य पहलुओं के साथ स्टोक आरएसआई का उपयोग करना महत्वपूर्ण है।
ऊपर दिए गए उदाहरण गैप, सपोर्ट/रेजिस्टेंस ब्रेकेएस और प्राइज़ पैटर्न का उपयोग करके स्टोक आरएसआई सिगनल्स की पुष्टि करते हैं। चार्टिस्ट ऑन बैलेंस वॉल्यूम (ओबीवी) या अक्युमुलेशन डिस्ट्रीब्यूशन लाइन जैसेपूरक इंडिकेटर्स का भी उपयोग कर सकते हैं। ये वॉल्यूम- आधारित इंडिकेटर्स, मोमेंटम ऑसिलेटर्स के साथ ओवरलैप नहीं होते हैं। चार्टिस्ट को विभिन्न सेटिंग्स के साथ प्रयोग करना चाहिए और वास्तविक दुनिया में उपयोग करने से पहले स्टोक आरएसआई की बारीकियों को सीखना चाहिए।
Note: This article is for educational purposes only. Kindly learn from it and build your knowledge. We do not advice or provide tips. We highly recommend to always trade using stop loss.
Arshad Fahoum
Arshad is an Options and Technical Strategy trader and is currently working with Market Pulse as a Product strategist. He is authoring this blog to help traders learn to earn.
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