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मांसपेशियों में खिंचाव - Muscle Strain in Hindi
मांसपेशियों में किसी प्रकार के छेद, दरार या तनाव आने की स्थिति को मांसपेशियों में खिंचाव कहा जाता है। यह तब होता है जब आप अपनी मांसपेशियों को सामान्य से अधिक फैला देते हैं या उनकी क्षमता से अधिक उनका इस्तेमाल करते हैं। सबसे अधिक खिंचाव अक्सर पैर की मांसपेशियों में आता है। मांसपेशियों में खिंचाव अक्सर खेल-कूद के दौरान, लंबे समय से किसी खराब मुद्रा में खड़े रहने या फिर किसी प्रकार की चोट लगने के कारण होता है। कुछ ऐसी भी स्थितियां हैं जिनसे मांसपेशियों में खिंचाव होने की संभावना बढ़ जाती है, जैसे वृद्धावस्था, मांसपेशियों में लचीलता की कमी, ताकत की कमी, थकान और पहले कभी चोट लगी होना आदि।
मांसपेशियों में खिंचाव आने से प्रभावित त्वचा में सूजन, लालिमा या त्वचा नीली पड़ने जैसे लक्षण विकसित होते है। मांसपेशियों में खिंचाव की स्थिति से मांसपेशियों की शक्ति कम हो जाती है और यहां तक की प्रभावित मांसपेशी पूरी तरह से काम करना बंद कर देती है।
जैसे भारत में 2000 है, वैसे पाकिस्तान में कितने रूपये का नोट है? उस नोट की भारत में है कम वैल्यू!
पाकिस्तान अभी राजनीतिक संकट के साथ आर्थिक संकट (Economy Crisis In Pakistan) का भी सामना करना रहा है. अगर भारत और पाकिस्तान की स्थितियों में फर्क देखें तो भारत की स्थिति कई मायनों में ठीक है. आपने भारत और पाकिस्तान के बीच कई चीजों में अंतर देखा होगा और पाकिस्तान (Pakistan Currency) के बारे में बहुत कुछ जानते भी होंगे. लेकिन, क्या आप पाकिस्तान की करेंसी के बारे में जानते हैं कि वो भारत से कितनी अलग है. जिस तरह भारत में 2000 रुपये का सबसे बड़ा नोट होता है, वैसे पाकिस्तान में सबसे बड़ा नोट कितने रुपये का है. इसके अलावा ये भी जानना दिलचस्प होगी कि पाकिस्तान की करेंसी भारत के सामने कहां ठहरती है?
कितने रुपये का है सबसे बड़ा नोट?
जहां भारत में 1 रुपये, 2 रुपये, 5 रुपये, 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये, 200 रुपये, 500 रुपये, 2000 रुपये के नोट चलन में है, वहीं पाकिस्तान में भी भारत कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है? से मिलती जुलती व्यवस्था है.मगर वहां भारत से ज्यादा नोट चलन में है. बता दें कि भारत में कुछ साल पहले ही 1000 रुपये का नोट बंद कर दिया गया था, जबकि 2000 रुपये का नोट शुरू किया गया है. यानी भारत में 500 के बाद 2000 रुपये का नोट है. वहीं, पाकिस्तान के स्टेट बैंक की आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, वहां 5 रुपये, 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये, 500 रुपये, 1000 रुपये और 5000 रुपये का नोट चलन में है. यानी वहां 5000 रुपये का सबसे बड़ा नोट है.
आपने देखा होगा कि भारत के नोटों में गांधी जी की तस्वीर लगी होती है, वहीं पाकिस्तान में मोहम्मद अली जिन्ना की शेरवानी पहने एक तस्वीर लगी है. जिन्ना की फोटो नोट के सामने वाले हिस्से में लगी है. जिस तरह भारत में नकली नोटों की छपाई को रोकने के लिए कई सुरक्षा फीचर्स इस्तेमाल किए जाते हैं, वैसे ही पाकिस्तान के नोटों में भी सुरक्षा फीचर्स हैं.
भारत और पाकिस्तान के नोट की वैल्यू?
पाकिस्तान की तुलना में भारत का रुपया काफी मजबूत है. भारत का एक रुपया पाकिस्तान के 2.58 रुपये के बराबर है. यानी अगर आप कभी पाकिस्तान में जाते हैं तो आपको पाकिस्तानियों से आधे पैसे चुकाने होंगे. वहां 10 कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है? रुपये में मिलने वाला सामान आप करीब 4 रुपये में खरीद पाएंगे.डॉलर के हिसाब से तुलना करें तो एक अमेरिका डॉलर के सामने पाकिस्तान रुपये की वैल्यू 168.82 रुपये है. अगर 2000 रुपये के हिसाब से देखें तो हमारे दो हजार रुपये का नोट वहां 5154.33 रुपये के बराबर है.
अगर नोटों की बात करें तोहमारे यहां के नोटों पर हिंदी और अंग्रेजी में जानकारी लिखी होती है, लेकिन पाकिस्तान की करेंसी में उर्दू में जानकारी लिखी होती है. इसमें उर्दू में सबसे ऊपर स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान लिखा होता है. इसके नीचे कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है? वचन वाक्य और गारंटी वाक्य लिखा होता है. इसके बाद GOVERNOR STATE BANK OF PAKISTAN लिखा होता है और साइन भी होते हैं.
कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है?
एक व्यक्ति के कंधे में तीन हड्डियां होती हैं: ऊपरी बांह की हड्डी, कंधे का ब्लेड और कॉलरबोन, जो कंधे और मांसपेशियों के साथ मिलकर हाथ की गति की अनुमति देते हैं। अग्रानुक्रम में काम करने वाले सभी जोड़ एक व्यक्ति को बुनियादी से लेकर जटिल तक की क्रियाएं करने की अनुमति देते हैं, जैसे खुद को खाना खिलाना या बल के साथ शॉट पुट फेंकना। कंधे में दर्द और अकड़न विभिन्न कारणों से हो सकती है, जिससे बेचैनी, दर्द और गति में कमी हो सकती है जो किसी व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है।
कंधे का दर्द एक आम संयुक्त समस्या है जो तब हो सकती है जब हड्डी की संरचना या नरम ऊतक जो कंधे को बनाता है। कंधे के दर्द में किसी व्यक्ति की मांसपेशियों, उपास्थि, स्नायुबंधन, नसों, कण्डरा, कंधे के ब्लेड, गर्दन, हाथ या हाथ से संबंधित समस्याएं शामिल हो सकती हैं। वर्तमान जीवनशैली, आसन और काम करने की आदतों ने भी कंधे के दर्द की शिकायत करने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि की है, और इसका जल्द से जल्द इलाज करना महत्वपूर्ण है। कंधे के दर्द की प्रकृति इसकी तीव्रता में भिन्न हो सकती है, और यह हर समय या केवल कंधे के हिलने पर ही ध्यान देने योग्य हो सकता है। कंधे के दर्द के कई उपाय और इस दर्द से निपटने के आसान तरीके हैं, असफल होने पर, कंधे के दर्द के लिए किसी हड्डी रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए।
कंधे के दर्द के सामान्य कारण
कंधे का दर्द एक आम समस्या है जो आम तौर पर जीवन के किसी न किसी चरण में लोगों को प्रभावित करती है। कुछ सामान्य स्थितियां जिनके कारण कंधे में दर्द हो सकता है:
- गठिया
- जमे हुए कंधे
- मांसपेशियों में तनाव
- रोटेटर कफ की चोट
- बर्साइटिस
- टेंडिनाइटिस
- भंग
- टक्कर
कंधे के दर्द के आसान उपाय
कंधे के दर्द के कुछ आसान उपाय हैं जो घर पर किए जा सकते हैं और कंधे के दर्द को दूर करने में मदद कर सकते हैं। ये उपाय सूजन को शांत करने और मांसपेशियों कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है? को मजबूत करने में मदद करते हैं, जिससे न केवल दर्द कम होता है बल्कि आगे की चोट को रोकने में भी मदद मिल सकती है।
- दर्दकीदवा: कुछ विरोधी दवाएं हैं जो काउंटर पर उपलब्ध हैं (यानी, डॉक्टर के पर्चे के बिना) और दर्द प्रबंधन और सूजन को कम करने में मदद कर सकती हैं। एस्पिरिन और इबुप्रोफेन जैसी दवाएं आम तौर पर हर व्यक्ति के घरेलू चिकित्सा किट में पाई जाती हैं और टेंडोनाइटिस, गठिया या कंधे की अन्य चोटों के कारण होने वाले दर्द से निपटने में प्रभावी हो सकती हैं। कई सामयिक दर्द निवारक जैल और क्रीम हैं जिन्हें दर्द से राहत के लिए प्रभावित हिस्से पर स्थानीय रूप से भी लगाया जा सकता है। मांसपेशियों को आराम देने वाली दवाएं मांसपेशियों में तनाव और मांसपेशियों के जोड़ों में ऐंठन से निपटने में मदद करती हैं और आमतौर पर डॉक्टर द्वारा निर्धारित की जाती हैं। वे मांसपेशियों को आराम करने और ऐंठन को कम करने में मदद करते हैं, लेकिन उनींदापन का कारण बन सकते हैं।
Sandhi Mudra : जोड़ों के दर्द को दूर करती है संधि मुद्रा, आजमा कर देखें
Written by Anshumala | Updated : November 16, 2019 6:59 PM IST
जोड़ों के दर्द (Joint pain) और अर्थराइटिस (Arthritis) से परेशान हैं, तो संधि मुद्रा (Sandhi Mudra) करने से लाभ होगा। योगाचार्य डॉ. रमेश पुरी कहते हैं कि संधि का मतलब होता है एक से अधिक का योग है। ऐसे में कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है? दाएं हाथ में पृथ्वी मुद्रा और बाएं हाथ में आकाश मुद्रा लगानी होती है। तभी दोनों संयुक्त रूप से संधि मुद्रा (Sandhi Mudra) कहलाती है। हालांकि, किसी भी योग, आसन और मुद्रा लगाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
- जब अंगूठे को अनामिका (ring finger) से मिलाते हैं तो पृथ्वी मुद्रा बनती है।
- अंगूठे को मध्यमा (middle finger) से मिलाने से आकाश मुद्रा बनती है।
जोड़ों के दर्द में करें संधि मुद्रा
जोड़ों का दर्द किसी प्रकार की चोट, जोड़ पर ज्यादा दबाव पड़ने, ज्यादा प्रोटीनयुक्त पदार्थों के सेवन या आर्थराइटिस के कारण हो सकती है। यह खराब जीवनशैली से उपजा रोग है। यह समस्या पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा पाई जाती है। जिनका वजन अधिक होता है, उनमें जोड़ों में दर्द होने की संभावना अधिक होती है। शरीर में जहां कहीं भी जोड़ों में दर्द हो, तो संधि मुद्रा करने से लाभ होगा। एक ही स्थिति में लगातार बैठे रहने या सारा दिन खड़े रहने से कलाइयों, टखने, कंधे आदि में होने वाले दर्द में भी नियमित अभ्यास से यह मुद्रा लाभ देती है। दाएं हाथ के अंगूठे के अग्रभाग को अनामिका के अग्रभाग से मिलाएं। बाएं हाथ के अंगूठे के अग्रभाग को मध्यमा के अग्रभाग से मिलाएं। इसे प्रतिदिन 15 मिनट तक चार बार करें।
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अधोमुख श्वानासन ब्लड सकुर्लेशन के लिए बहुत अच्छा है। इसमें आपके कूल्हे दिल पर और दिल आपके सिर के ऊपर होता है। जिसका मतलब है गुरूत्वाकर्षण आपके कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है? सिर में ब्लड सुकर्लेशन को बेहतर बनाने में मदद करता है। इससे आपके पैर मजबूत होते हैं और इसमें सकुर्लेशन अच्छा हो जाता है। इस योगा पोज को करने से हैमस्ट्रिंग, लैटिसिमस डोर्सी , डेल्टॉइड, ग्लूट्स, और क्वाड्रिसेप्स जैसी मसल्स स्ट्रांग होती हैं और इन्हें स्ट्रेच मिलता है।
त्रिकोणासन- Triangle
त्रिकोणासन एक स्टैंडिंग पोज है। यह मसल्स की टोनिंग और पैर के सुकर्लेशन के लिए बहुत अच्छा है। इस पोज को करने से छाती को खोलने और फेफड़ों के विस्तार में बहुत मदद मिलती है। अगर आपका ब्लड सकुर्लेशन खराब है, तो नियमित रूप से इसे करने से धड़ में सकुर्लेशन में सुधार होगा। इस पोज को करने से सारटोरियस, पिरिफॉर्मिस, ग्लूट्स रेडियस , आब्लिक और ट्राइसेप्स जैसी मसल्स की स्ट्रेचिंग में बहुत हेल्प मिलती है।
वीरभद्रासन- Warrior II
इसे योद्धाओं का आसन और वॉरियर-2 भी कहा जाता है। यह आसन हाथों, कंधों , जांघों और कमर की मांसपेशियों को मजूबती प्रदान करता है। आपके पैरों की मांसपेशियों की टोन में सुधार के लिए वॉरियर 2 अच्छी है।
इसमें मांसपेशियां आपके पैरों की नसों को संकुचित करेंगी , इस प्रकार सकुर्लेशन को बढ़ाने में मदद मिलती है। रनिंग करने वाले एथलीट्स के लिए यह योगा पोज बहुत फायदेमंद साबित होता है। इस अभ्यास को करने से हिप लिगामेंट्स, पिरिफॉर्मेस , स्केलेंसेस, पेक्टोरलिस माइनर और क्वाड्रिसेप्स को मजबूती मिलती है।
विपरीत कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है? करणी- Legs up the wall
इस पोज में अपने पैरों को दीवार पर रखना होता है। यह आपके पैरों को आपके दिल से ऊपर रखता है। इसे करने से ब्लड सकुर्लेशन ठीक रहता है और ज्यादातर बीमारियां अपने आप ही ठीक हो जाती हैं। साथ ही अगर आप इस पोज का अभ्यास जवानी से करते हैं, तो बुढ़ापे में हाथ -पैर में लाल या तरल पदार्थ जमा होने की समस्या से राहत मिलती है। विशेषज्ञ कहते हैं कि किसी भी ऐसे पोज से जहां हम ग्रेविटी के विपरीत जाते हैं, उससे ब्लड सकुर्लेशन में सुधार होगा ही। इसे करने से हैमस्ट्रिंग और गर्दन की अच्छे से स्ट्रेचिंग हो जाती है।
बता दें कि ब्लड सकुर्लेशन से जुड़ी समस्याएं कुछ स्वास्थ्य समयाओं की वजह से होती हैं। लेकिन यहां बताई गई एक्सरसाइज की मदद से मांसपेशियों को संकुचन और फैलने से पैरों की नसों में ब्लड सकुर्लेशन इंप्रूव होता है। दरअसल, ग्रेविटी से विपरीत आप कोई भी पोज कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है? करेंगे, तो खून का संचार उलट जाता है और ये सुकर्लेशन से जुड़ी समस्याओं को ठीक करने का रामबाण नुस्खा है।
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