शेयर बाजार (Share Bazaar)

शेयर बाजार क्या है?
शेयर बाजार यानी इक्विटी मार्केट एक ऐसा प्लैटफॉर्म है, जो कंपनियों और निवेशकों को एक-दूसरे से जोड़ता है। कंपनियां पूंजी जुटाने के लिए शेयर बाजार में लिस्ट होती हैं। शेयर बाजार में लिस्टिंग के बाद निवेशक कंपनियों के शेयरों खरीदते -बेचते हैं।
बीएसई और एनएसई
भारत में दो बड़े शेयर बाजार हैं, बॉम्बे स्टॉक ऑनलाइन शेयर कैसे ख़रीदते हैं एक्सचेंज यानी बीएसई और नैशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी एनएसई। बीएसई एशिया का सबसे पुराना शेयर बाजार है। इसकी स्थापना 1895 में की गई थी। एनएसई भारत का सबसे बड़ा और दुनिया का चौथा सबसे बड़ा शेयर बाजार है।
सेंसेक्स और निफ्टी
सेंसेक्स बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यानी बीएसई का संवेदी सूचकांक है। सेंसेक्स में बीएसई की टॉप 30 कंपनियां शामिल की जाती हैं इसलिए इसे बीएसई 30 (BSE 30) भी कहते हैं। बाजार पूंजीकरण के हिसाब से सेंसेक्स में शामिल 30 कंपनियां बदलती रहती हैं।

निफ्टी नैशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी एनएसई का संवेदी सूचकांक है। निफ्टी दो शब्दों को मिला कर बना है NATIONAL और FIFTY। इससे साफ पता चलता है कि निफ्टी एनएसई की टॉप 50 कंपिनयां शामिल होती हैं।
ट्रेडिंग की शुरुआता
शेयर बाजार में ट्रेडिंग यानी शेयरों की खरीद-बिक्री के लिए बैंक, डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट जरूरत होती है। शेयर डीमैट अकाउंट में जमा होते हैं और ट्रेडिंग अकाउंट के जरिये शेयरों की खरीद-बिक्री की जाती है।

डीमैट अकाउंट क्या है ?

डीमैट अकाउंट एक बैंक अकाउंट की तरह है, जिसमें आप शेयर सर्टिफिकेट और अन्य सिक्योरिटीज को इलेक्ट्रॉनिक फार्म में रख सकते हैं। डीमैट अकाउंट का मतलब डिमैटेरियलाइजेशन अकाउंट होता है। इसमें शेयर, बॉन्ड्स, गवर्नमेंट सिक्योरिटीज , म्यूचुअल फंड, इंश्योरेंस और ईटीएफ जैसे इन्वेस्टमेंट को रखने की प्रक्रिया आसान हो जाती है। इस अकाउंट के माध्यम से शेयरों और संबंधित डॉक्युमेंट्स के रखरखाव की परेशानियों दूर हो जाती हैं।

डीमैट अकाउंट का अर्थ हम एक उदाहरण के माध्यम से समझ सकते हैं। मान लीजिए आप कंपनी X का शेयर खरीदना चाहते है, शेयर खरीदने के साथ का वह आपके नाम पर ट्रांसफर भी होंगे। पहले आपको अपने नाम के साथ शेयर सर्टिफिकेट भी मिलते थे। जिसमें पेपर वर्क की कार्रवाई भी शामिल है। जितनी बार कोई शेयर खरीदा या बेचा जाता था तो उतनी बार सर्टिफिकेट बनाने पड़ते थे। इस कागजी कार्रवाई की प्रक्रिया को सरल और सुगम बनाने के लिए भारत ने एनएसई पर व्यापार के लिए 1996 में डीमैट अकाउंट प्रणाली की शुरुआत की।

आज के समय में कोई पेपर वर्क नहीं होती है और न ही कोई भैतिक प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। इसलिए जब आप कंपनी ऑनलाइन शेयर कैसे ख़रीदते हैं X के शेयर खरीदते हैं, तो आपको जो भी मिलता है, वह आपके डीमैट अकाउंट में इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में एंटर हो जाता है। डीमैट एकाउंट को ऐसे ही आसान शब्दों में आप समझ गए होंगे।

यदि आप आज शेयर बाजार (एनएसई और बीएसई) या किसी अन्य सिक्योरिटीज में इन्वेस्ट करना चाहते हैं, तो डीमैट अकाउंट अनिवार्य है. आपके द्वारा किए जाने वाले ट्रेड और लेनदेन के इलेक्ट्रॉनिक सेटेलमेंट के लिए डीमैट अकाउंट नंबर अनिवार्य है.

डीमैट अकाउंट कैसे प्राप्त करें?

जब आप डीमैट अकाउंट के बारे में जान गए हैं, तो आइए जानते है डीमैट अकाउंट कैसे खोला जा सकता है। आप डीमैट अकाउंट नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL ) या सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड (CSDL) के साथ खोल सकते हैं। ये डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट्स (DP) एजेंट नियुक्त करती हैं, जो स्वंय और इन्वेस्टर्स के बीच मध्यस्थ के रूप में काम करती है। उदाहरण के रूप में एचडीएफसी बैंक एक डीपी है, जिसके साथ आप डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं। स्टॉकब्रोकर और फाइनेंसियल इंस्टीटूशन भी डीपी है। आप उनके साथ भी डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं।

जिस तरह से एक बैंक अकाउंट में पैसा होता है, उसी तरह से एक डीमैट अकाउंट आपके इन्वेस्टमेंट को इलेक्ट्रॉनिक फार्म में रखता है, जो लैपटॉप या स्मार्ट डिवाइस और इंटरनेट के साथ आसानी से एक्सेस हो सकता है। जिसको एक्सेस करने के लिए आपके पास एक यूनिक लॉगिन आईडी और पासवर्ड होना चाहिए। हालांकि, बैंक अकाउंट के विपरीत, आपके डीमैट अकाउंट में किसी भी प्रकार का 'न्यूनतम बैलेंस' होना आवश्यक नहीं है।

आप किसी भी डिपॉजिटर्स की वेबसाइट पर जाकर उनकी डीपी की सूची प्राप्त कर सकते है। जिसके साथ आप डीमैट एकाउंट खोलना चाहते है। डीपी का चुनाव उनके वार्षिक शुल्क पर निर्भर होना चाहिए।

यह ध्यान देना चाहिए कि आप एक से अधिक डीमैट एकाउंट को एक डीपी के साथ न जोड़े। क्योंकि एक पैन कार्ड को कई डीमैट अकाउंट के साथ जोड़ा जा सकता है।

डीमैट अकाउंट का विवरण

आपका डीमैट अकाउंट खुलने के बाद सुनिश्चित करें, कि आपको अपने डीपी से निम्न विवरण प्राप्त किया :

डीमैट अकाउंट नंबर : सीडीएलएस के तहत यह बेनिफिशियरी आईडी' के रूप में जाना जाता है। यह मुख्यत 16 कैरेक्टर का मिश्रण है।

डीपी आईडी : यह आईडी डिपॉजिटर प्रतिभागी को दी जाती है। जो आपके डीमैट अकाउंट नंबर का हिस्सा है।

पीओए नंबर : यह पावर ऑफ अटॉर्नी एग्रीमेंट का हिस्सा है, जहां एक इन्वेस्टर दिए गए निर्देशों के अनुसार स्टॉक ब्रोकर को अपने अकाउंट को संचालित करने की अनुमति देता है।

ऑनलाइन एक्सेस के लिए आपको अपने डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट्स पर एक यूनिक लॉगिन आईडी और पासवर्ड भी मिलेगा।

डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट

डीमैट अकाउंट एक ट्रेडिंग अकाउंट के साथ होता है. जो शेयर बाजार में शेयर खरीदने औऱ बेचने के लिए जरूरी है. उदाहरण के रूप में एचडीएफसी बैक का एक डीमैट अकाउंट 3 इन 1 होता है, जिसमें सेविंग, डीमैट और ट्रेडिंग तीनों को जोड़ा जाता है.

लोग कभी-कभी डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट के बीच कंफ्यूज होते हैं कि वे एक जैसे नहीं हैं। एक डीमैट एकाउंट में आपके नाम के शेयरों और अन्य सिक्योरिटीज का विवरण होता है। शेयर खरीदने और बेचने के लिए, आपको एक ट्रेडिंग एकाउंट खोलना होगा। कई बैंक और ब्रोकर ऑनलाइन ट्रेडिंग सुविधाओं के साथ ट्रेडिंग एकाउंट की पेशकश करते हैं, जिससे आम इन्वेस्टर्स के लिए शेयर मार्केट में भाग लेना आसान हो जाता है।

डीमैट अकाउंट के प्रकार

अब हम डीमैट अकाउंट की परिभाषा समझ गए हैं। तो आइए डीमैट अकाउंट के प्रकारों को देखें। यह मुख्य रूप से तीन प्रकार हैं:ऑनलाइन शेयर कैसे ख़रीदते हैं

रेगुलर डीमैट अकाउंट: यह उन भारतीय नागरिकों के लिए है जो, देश में रहते हैं।

रिपेट्रिएबल डीमैट अकाउंट: इस तरह का डीमैट अकाउंट प्रवासी भारतीयों (NRI) के लिए है, जो विदेशों में फंड ट्रांसफर करने सक्षम बनाता है। हालांकि, इस तरह के डीमैट अकाउंट को एनआरई बैंक अकाउंट से लिंक करने की जरूरत है।

नॉन-रिपेट्रिएबल डीमैट अकाउंट: यह भी एनआरआई के लिए है, लेकिन इस ऑनलाइन शेयर कैसे ख़रीदते हैं प्रकार के डीमैट अकाउंट के साथ, विदेशों में फंड ट्रांसफर करना संभव नहीं है। साथ ही इसे एनआरओ बैंक अकाउंट से भी लिंक कराना होगा।

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* इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य है और यह केवल सूचना के प्रयोजनों के लिए है। यह आपकी अपनी परिस्थितियों में विशिष्ट सलाह का विकल्प नहीं है।

Investment Tips: पहली बार खरीदना चाहते हैं शेयर, इन बातों का रखें ध्यान, नहीं होगा नुकसान

देश में इस वक्त करीब 9 करोड़ डीमैट अकाउंट होल्डर्स हैं. वित्त वर्ष 2018-19 में ये आंकड़ा महज 3.60 करोड़ था. इस आंकड़े से ही पता चलता है कि पिछले तीन साल में कितनी बड़ी संख्या में लोग शेयर बाजार में निवेश करने लगे हैं. अब शेयर मार्केट है, तो उठा-पटक का दौर यहां जारी रहता.

शेयर मार्केट में निवेश करने के टिप्स

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 अगस्त 2022,
  • (अपडेटेड 23 अगस्त 2022, 1:17 PM IST)

देश में शेयर बाजार (Share Market) में निवेश को लेकर लोगों के नजरिए में बदलाव आया है. पहले शेयर बाजार के ट्रेडिंग के तरीकों से अनजान लोग इसमें पैसे लगाने को जुआ खेलना समझते थे. लेकिन अब देश की बड़ी आबादी शेयर मार्केट में निवेश (Share Market Investment) के फायदे और नुकसान को समझ रही है. लोग शेयर बाजार में दिलचस्पी लेने लगे हैं. देश में इस वक्त करीब 9 करोड़ डीमैट अकाउंट होल्डर्स हैं. वित्त वर्ष 2018-19 में ये आंकड़ा महज 3.60 करोड़ था.

इस आंकड़े से ही पता चलता है कि पिछले तीन साल में कितनी बड़ी संख्या में लोग शेयर बाजार में निवेश करने लगे हैं. अब शेयर मार्केट है, तो उठा-पटक का दौर यहां जारी रहता. शेयर ग्रीन और रेड में ऊपर-नीचे आते जाते रहते हैं. ऐसे में नए निवेशकों अपने लिए स्टॉक का चुनाव ऑनलाइन शेयर कैसे ख़रीदते हैं करना मुश्किल हो जाता है.

ऐसी कंपनियों के शेयर में लगाएं पैसा

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शेयर बाजार के एक्सपर्ट्स कहते हैं कि नए निवेशकों ऐसी कंपनियों के स्टॉक में पैसा लगाना चाहिए, जिनके प्रोडक्ट का वो इस्तेमाल करते हैं. अगर आप लंबे समय से किसी कंपनी के प्रोडक्ट का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो वो कंपनी निवेश के लिए बेहतर विकल्प हो सकती है. नए निवेशक शुरुआत में FMCG और बैंकिंग सर्विस की कंपनियों के शेयर में पैसा लगा सकते हैं.

कंपनी के रेवेन्यू पर रखें नजर

नए निवेशकों को हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि वो जिस कंपनी के शेयर में निवेश करने जा रहे हैं, उसका रेवेन्यू पिछले एक साल में कैसा रहा है, ये जानना बेहद महत्वपूर्ण है. अगर रेवेन्यू बढ़ रहा है और प्रॉफिट ग्रोथ ऊपर की तरफ जा रहा है, तो अच्छी बात है. साथ ही कंपनी के कर्ज का आंकलन भी करना जरूरी. अगर कंपनी के कर्ज में लगातार गिरावट आ रही है.

कंपनी की वैल्यूएशन उचित हो

निवेश करने से पहले कंपनी की वैल्यूएशन की जानकारी रखनी जरूरी है. इसके लिए प्राइस टू अर्निंग रेशियो और प्राइस अर्निंग टू ग्रोथ रेशियो और प्राइस टू बुक रेशियो का सहारा ले सकते हैं. तमाम तरह के कैलकुलेशन से कंपनी की वैल्यूएशन का पता लगाया जा सकता है.

मजबूत कॉर्पोरेट गवर्नंस का होना जरूरी

वैल्यूएशन और रेवेन्यू के अलावा कंपनी के कॉर्पोरेट गवर्नंस के बारे में भी जानना जरूरी है. अगर कंपनी की लीडरशिप मजूबत है, तो निवेशकों का नजरिया बदलता है. जैसे मौजूदा समय में टाटा कंपनी के शेयर्स पर निवेशक भरोसा जताते हैं. इसके पीछे की वजह ये है कि कंपनी की लीडरशिप मजूबत है. इन तमाम फैक्टर्स को ध्यान में रखकर कोई भी शेयर बाजार में एंट्री कर सकता है.

एकमुश्त पैसे लगाने से बचें

अगर आप पहली बार निवेश कर रहे हैं तो सारे पैसे एक साथ बिल्कुल शेयर बाजार में नहीं लगाएं. सबसे पहले निर्धारित निवेश राशि का 20 फीसदी इस्तेमाल करें. उसके ऑनलाइन शेयर कैसे ख़रीदते हैं बाद थोड़ा-थोड़ा करके निवेश करें. साथ ही एक ही कंपनी में सारा फंड लगाने से बचें. (नोट: शेयर बाजार में निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लें.)

क्लियरिंग और सेटलमेंट की प्रक्रिया

वैसे तो क्लियरिंग और सेटलमेंट बहुत ही सैधान्तिक विषय है लेकिन इसके पीछे की प्रक्रिया को समझना महत्वपूर्ण है। एक ट्रेडर या निवेशक के तौर पर आपको ये चिंता करने की ज़रूरत नहीं होती कि आपका सौदा कैसे क्लियर या सेटल हो रहा है, क्योंकि एक अच्छा इंटरमीडियरी यानी मध्यस्थ ये काम कर रहा होता है और आपको ये पता भी ऑनलाइन शेयर कैसे ख़रीदते हैं नहीं चलता।

लेकिन अगर आप इसको नहीं समझेंगे तो आपकी जानकारी अधूरी रहेगी इसलिए हम विषय को समझने की कोशिश करेंगे कि शेयर खरीदने से लेकर आपके डीमैट अकाउंट (DEMAT account) में आने तक क्या होता है।

10.2 क्या होता है जब आप शेयर खरीदते हैं?

दिवस 1/ पहला दिन- सौदे का दिन (T Day), सोमवार

मान लीजिए आपने 23 जून 2014 (सोमवार) को रिलायंस इंडस्ट्रीज के 100 शेयर 1000 रुपये के भाव पर खरीदे। आपके सौदे की कुल कीमत हुई 1 लाख रुपये (100*1000)। जिस दिन आप ये सौदा करते हैं उसे ट्रेड डे या टी डे (T Day) कहते हैं।

दिन के अंत होने तक आपका ब्रोकर एक लाख रुपये और जो भी फीस होगी, वो आपसे ले लेगा। मान लीजिए आपने ये सौदा ज़ेरोधा पर किया, तो आपको निम्नलिखित फीस या चार्जेज देनी होगी:

क्रमांक कितने तरह के चार्जेज कितना चार्ज रकम
1 ब्रोकरेज 0.03% या 20 रुपये- इनमें से जो भी इंट्राडे ट्रेड के लिए कम हो 0
2 सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन चार्ज टर्नओवर का 0.1% 100/-
3 ट्रांजैक्शन चार्ज टर्नओवर का 0.00325% 3.25/-
4 GST ब्रोकरेज का 18% + ट्रांजैक्शन चार्ज 0.585/-
5 SEBI चार्ज 10 रुपये प्रति एक करोड़ के ट्रांजैक्शन पर 0.1/-
कुल 103.93/-

तो एक लाख रुपये के साथ 103.93 रुपये की फीस आपको देनी पड़ेगी, यानी कुल 100,103.93 रुपये की रकम आपके ट्रेडिंग अकाउंट से निकल जाएगी। याद रखिए कि ऑनलाइन शेयर कैसे ख़रीदते हैं पैसे निकल गए हैं लेकिन शेयर अभी आपके डीमैट अकाउंट (DEMAT account) में नहीं आए हैं।

उसी दिन ब्रोकर आपके लिए एक कॉन्ट्रैक्ट नोट (Contract Note) तैयार करता है और उसकी कॉपी आपको भेज देता है। ये नोट एक तरह का बिल है, जो आपके सौदौं की पूरी जानकारी देता है। यह एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है और भविष्य में काम आता है। कॉन्ट्रैक्ट नोट में आमतौर पर उस दिन हुए सभी सौदे अपने ट्रेड रेफरेंस नंबर (Trade Reference Number) के साथ दिए गए होते हैं। साथ ही आपसे ली गई सभी फीस की जानकारी उसमें होती है।

दिवस 2/दूसरा दिन- ट्रेड डे + 1 (T+ Day), मंगलवार

जिस दिन आपने सौदा किया उसका अगला दिन टी+1 डे (T+1 Day) कहलाता है। T+1 day को आप अपने शेयर बेच सकते हैं, जो आपने पिछले दिन खरीदे हैं। इस तरह के सौदे को BTST-Buy Today, Sell Tomorrow या ATST- Acquire Today, Sell Tomorrow कहते हैं। याद रखिए कि शेयर अभी भी आपके डीमैट अकाउंट में नहीं आए हैं। इसका मतलब आप ऐसे शेयर बेच रहे हैं, जो अभी तक आपके हुए नहीं है। इसमें एक रिस्क है। वैसे हर BTST सौदे में रिस्क नहीं होता, लेकिन अगर आप बी ग्रुप के शेयर या ऐसे शेयर जिनकी खरीद-बिक्री बहुत कम होती है, उनका सौदा कर रहे हैं, तो आप मुसीबत में फंस भी सकते हैं। अभी इस पूरे मसले को यहीं छोड़ देते हैं।

अगर आप बाज़ार में नए हैं, तो आपके लिए बेहतर यही होगा कि आप BTST से दूर रहें क्योंकि आप उसके रिस्क को पूरे तरह से नहीं जानते।

इसके अलावा आपके नजरिए से T+1 day का कोई खास महत्व नहीं है, हालांकि शेयर खरीदने के लिए दिए गए पैसे और सारी फीस सही जगह पहुंच रही होती है।

दिवस 3/तीसरा दिन- ट्रेड डे + 2 (T+2 Day), बुधवार

तीसरे दिन यानी T+2 day को दिन में करीब 11 बजे जिस आदमी ने आपको शेयर बेचे हैं उसके अकाउंट से शेयर निकल कर आपके ब्रोकर के अकाउंट में आ जाते हैं, और ब्रोकर यही शेयर शाम तक आपके अकाउंट में भेज देता है। इसी तरह जो पैसे आपके अकाउंट से निकले थे, वो उस इंसान के अकाउंट में पहुंच जाता है जिसने शेयर आपको बेचे।

अब शेयर आपके डीमैट अकाउंट में दिखेंगे। आपके पास अब रिलायंस के 100 शेयर होंगे।

इस तरह T Day को खरीदे गए शेयर आपके अकाउंट में T+2 Day को आएंगे और T+3 Day को उनका सौदा फिर से कर पाएंगे।

10.3 आप जब शेयर बेचते हैं, तब क्या होता है?

जिस दिन आप शेयर बेचते हैं, वो ट्रेड डे (Trade Day ) कहते हैं, और इसे T Day लिखा जाता है। शेयर बेचते ही उतने शेयर आपके डीमैट अकाउंट में ब्लॉक हो जाते हैं। T+2 Day के पहले ये शेयर एक्सचेंज को दे दिए जाते हैं और T+2 Day को उन शेयरों की बिक्री से मिलने वाले पैसे, फीस और चार्जेज कट कर, आपके अकाउंट में आ जाते हैं।

शेयर कैसे खरीदे और बेचे जाते हैं? जानिए कैसे करते हैं शेयर मार्केट में इंवेस्ट?

हेलो दोस्तों ! आज के समय में हर कोई जल्दी पैसे कमाना चाहता है, लेकिन पैसे कमाना इतना भी आसान नहीं है. ऐसे में शेयर मार्केट एक ऐसी जगह है जहाँ से आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. लेकिन शेयर्स में पैसा ऑनलाइन शेयर कैसे ख़रीदते हैं लगाने से पहले आपको इस बारे में जानकारी होना बहुत जरुरी है कि शेयर में पैसा कैसे लगाया जाता है? या शेयर कैसे ख़रीदे और बेचे जाते हैं? या शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट कैसे किया जाता है? यदि आप भी इस बारे में नहीं जानते हैं तो चलिए हम आपको इसकी जानकारी विस्तार से दे देते हैं.

सबसे पहले जानते हैं शेयर क्या ऑनलाइन शेयर कैसे ख़रीदते हैं है?

‘शेयर यानि हिस्सा’, इस शब्द से ही आपको यह समझ आ गया होगा कि शेयर यानि हिस्सा होता है. जैसे आप यदि किसी कंपनी का शेयर खरीदते हैं तो इसका मतलब है कि उस कंपनी में आपका हिस्सा है. उदाहरण से समझे तो मान लीजिए आपने टाटा का कोई शेयर ख़रीदा है. यानि अपने टाटा कंपनी में अपनी हिस्सेदारी खरीदी है. आप ऑनलाइन शेयर कैसे ख़रीदते हैं इसे पार्टनरशिप भी कह सकते हैं. यानि कंपनी का मुनाफा अपना मुनाफा और कंपनी का नुकसान आपका नुकसान.

अब जानिए शेयर मार्केट क्या होता है?

शेयर मार्केट को स्टॉक एक्सचेंज के नाम से भी जाना जाता है. इसके लिए आपको एक उदाहरण से समझाते हैं. जिस तरह हमें घर का सामान खरीदने के लिए किराना स्टोर जाना होता है या जैसे हमें सब्जी या फल खरीदना हो तो हम मंडी जाते हैं. ठीक उसी तरह शेयर खरीदने के लिए या शेयर बेचने के लिए एक मार्केट होता है जिसे शेयर मार्केट कहा जाता है. इसे हम शेयर बाजार या स्टॉक एक्सचेंज भी कहते हैं. यहाँ आप अपने लिए शेयर खरीद और अपने शेयर बेच सकते हैं.

स्टॉक एक्सचेंज में 2 तरह के मार्केट या एक्सचेंज होते हैं. पहला है ‘नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE)’ और दूसरा है ‘बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE)’.

शेयर कैसे खरीदे और बेचे जाते हैं ?

पहले की तुलना में अब शेयर खरीदने की प्रक्रिया में काफी बदलाव आ चुका है. पहले शेयर मार्केट से शेयर की खरीदी या बिकवाल करने के लिए हमें स्टॉक एक्सचेंज जाना होता था या किसी ब्रोकर या दलाल से सम्पर्क बनाना होता था. तब जाकर हम अपना शेयर खरीद और बेच पाते थे. लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब आपको शेयर खरीदने और बेचने के लिए खुद का डिमैट अकाउंट होना चाहिए. इसके जरिए आप शेयर खरीद और बेच सकते हैं. इसके साथ ही यह भी बता दें कि आप अपना डिमैट अकाउंट किसी भी ब्रोकिंग कंपनी के माध्यम से आसानी से बना सकते हैं. इसके लिए कई ब्रोकिंग कंपनियां जैसे एंजेल ब्रोकिंग, ट्रेडिंग बेल, जेरोधा आदि हैं जहाँ आप अपना डिमैट अकाउंट खोल सकते हैं.

कैसे करें शेयर की खरीदी या बिकवाली ? (In few Steps)

1. सबसे पहले आपको अपने डिमैट अकाउंट में लॉग इन करना होगा.

2. इसके बाद आपको जिस कंपनी का शेयर खरीदना है उसका नाम सर्च करें.

3. कंपनी के नाम पर क्लिक करने के साथ ही उस कंपनी के शेयर की जानकारी और साथ ही buy/sell दोनों का आप्शन मिल जाएगा.

4. इसे सेलेक्ट करने के बाद आपके सामने कुछ चीजें आती हैं जैसे स्टॉक या शेयर खरीदने की अवधि ? शेयर की प्राइस ? या आपको जिस प्राइस पर अपना पाको को कितने दिन के लिए खरीदना चाहते है ? किस प्राइस से आपको खरीदनी है ? शेयर की क्वांटिटी ? आदि.

5. इसी तरह शेयर बेचने के पहले सेल्लिंग प्राइस सामने आता है जहाँ आपको शेयर पर नुकसान या फायदे के बारे में पता चलता है.

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