Algorithmic trading : क्या आप जानते हैं कि एल्गो ट्रेडिंग क्या है?
Algo trading क्या है? – आप यदि share market के बारे में सीखना चाहते हैं या trading करना चाहते हैं तो आपको इसके हर पहलु से अवगत होना चाहिए. मैंने अपने अध्ययन में जो बातें सीखी है उससे स्पष्ट है कि trading करना कोई बच्चों का खेल नहीं है, इसके लिए कुछ गुणों का आपके अन्दर होना जरुरी है जैसे – ( Algorithmic trading)
ट्रेडिंग करने के लिए आपमें धैर्य होना चाहिए, लालच नहीं करना चाहिए, सही जानकारी का होना, ट्रेडिंग की तकनिकी बारीकियां आना, बाज़ार की जानकारियों से नियमित update रहना, व्यापक दृष्टिकोण अपनाना, एकाग्रता, नयी चीजों को सीखने की जिज्ञाषा, आदि गुण आपमें होना चाहिए.
कई बार ऐसा देखा गया है की कुछ लोग भय और लालच जैसी भावना से एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है बहुत जल्दी प्रभावित हो जाते हैं तो मैं उनके लिए कहना चाहूँगा कि trading उनके लिए सही विकल्प नहीं है.
आज के लेख में मैं बात करनेवाला हूँ कि Algorithmic trading के बारे में तो चलिए विस्तारपूर्वक समझते हैं कि – Algo trading क्या है? Algorithm trading की विशेषता, भारत में एल्गो ट्रेडिंग की शुरुआत कब हुई?
Table of Contents
Algorithm trading क्या है?
Algorithm trading जिसे Algo trading भी कहा जाता है जो मूल रूप से system पर आधारित trading है. यह व्यापार की एक ऐसी प्रणाली है जो उन्नत गणितीय उपकरणों (advanced mathematical tools) का उपयोग करके वित्तीय बाजारों में लेनदेन के निर्णय लेने की सुविधा देती है.
वास्तव में यहाँ पर आपकी ओर से मशीनें shares खरीदने – बेंचने का कार्य करती है. यह एक ऐसी प्रणाली है जिसमें system में फार्मूले फिट कर दिए जाते हैं और इसी के आधार पर मशीनें लेन-देन का काम करती है. इसमें computer programming का इस्तेमाल किया जाता है.
इसतरह की प्रणाली में जो मुख्यतः बड़े देशों में ज्यादा उपयोग में लाया जाता है, मानव व्यापारी का हस्तक्षेप कम से कम होता है. यह तकनीक इतना उन्नत होता है जिसके कारण निर्णय लेने की प्रक्रिया बहुत तेज होती है.
कोई आम आदमी जब ट्रेडिंग करता है तो कभी – कभी उसके सामने मानवीय भावनाएँ (emotions) आड़े आ जाते हैं जिसके कारण वह उचित और तेज फैसला कर पाने में असमर्थ होता है. एल्गो ट्रेडिंग के जैसा त्वरित खरीद – बिक्री सम्बंधित निर्णय लेने की क्षमता कोई आम आदमी में नहीं हो सकता है.
तय guidelines का पालन इसमें computer programming का इस्तेमाल करते हुए किया जाता है. इसमें तकनिकी आधार पर profit के साथ Buy-Sell की पूरी प्रक्रिया को सेट किया जाता है.
Algorithm trading की विशेषता
- इसमें ख़ास तरह का software का इस्तेमाल trading के लिए किया जाता है
- इसतरह के ट्रेडिंग में इंसानों की हस्तक्षेप को न्यूनतम रखा गया है
- इसके अन्य नाम ऑटोमेटेड ट्रेडिंग, ब्लैक बॉक्स ट्रेडिंग और एल्गो ट्रेडिंग भी है
- यहाँ trading पूरी तरह से electronic प्लेटफार्म पर होता है
- इसे आप system पर आधारित trading कह सकते हैं
- यह तेज़ गति और सटीकता के साथ काम करता है
- यह trading भी परम्परागत व्यापारिक रणनीतियों से अलग नहीं है
- इसमें computer software को प्रोग्राम और algorithm के साथ load किया जाता है
भारत में एल्गो ट्रेडिंग की शुरुआत
प्रारंभ में Securities & Exchange Board of India (SEBI) ने संस्थागत ग्राहकों को डायरेक्ट मार्केट एक्सेस की सुविधा प्रदान कर एल्गो ट्रेडिंग की शुरुआत किया. भारत में इसकी शुरुआत वर्ष 2008 में हुई. बहुत सारे लोगों के मन में एक सवाल रहता है कि क्या एल्गो ट्रेडिंग भारत में वैधानिक है?
जी हाँ, यह पूरी तरह से भारत में वैधानिक है. SEBI द्वारा वर्ष 2008 में एल्गो ट्रेडिंग करने की अनुमति प्रदान किया गया था. भारत में एल्गो ट्रेडिंग के कुछ अच्छे platforms हैं जैसे :
- Zerodha Streak
- ODIN – Algorithmic trading
- AlgoNomics
- 5paisa algo Trading
अंतिम बात
यह मुख्य रूप से पैसा कमाने के लिए तैयार किया गया रणनीति है. एल्गो ट्रेडिंग सॉफ्टवेर से ट्रेडिंग करने का फ़ायदा यह हैं कि आप share market की बारीकियां जाने बगैर भी trading कर सकते हैं. इसमें त्रुटियाँ होने की संभावना कम होती है.
यह उनलोगों के लिए फायदेमंद है जो ट्रेडिंग तो करना चाहते हैं किन्तु उनके पास समय का आभाव है. अभी के दौर में आप advanced एल्गो टूल्स का इस्तेमाल करके ऑटोमेटेड ट्रेडिंग निर्णय लेने की सुविधा प्राप्त कर सकते हैं.
तो दोस्तों, आपको यह लेख “ Algo trading क्या है?” कैसा लगा हमें कमेंट करके जरूर सूचित करें, और यदि पोस्ट पसंद आयी हो तो इस पोस्ट को like और share करना न भूलें.
मैं इस हिंदी ब्लॉग का संस्थापक हूँ जहाँ मैं नियमित रूप से अपने पाठकों के लिए उपयोगी जानकारी प्रस्तुत करता हूँ. मैं अपनी शिक्षा की बात करूँ तो मैंने Accounts Hons. (B.Com) किया हुआ है और मैं पेशे से एक Accountant भी रहा हूँ.
एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है
एल्गो ट्रेडिंग को एल्गोरिथम ट्रेडिंग भी कहा जाता है, जो टाइम, प्राइस और क्वांटिटी जैसे वेरीअबल के लिए ऑटमैटिड प्रे-प्रोग्राम किए गए ट्रेडिंग इंस्ट्रक्शन का इस्तेमाल करके ऑर्डर एक्सेक्यूट करते हैं।
एल्गोरिथम ट्रेडिंग (ऑटोमेटेड ट्रेडिंग, ब्लैक-बॉक्स ट्रेडिंग, या केवल एल्गो ट्रेडिंग) मे एक कंप्यूटर प्रोग्राम बनाया जाता है। इसका इस्तेमाल करके ट्रेडिंग के लिए जब आर्डर को प्लेस किया जाता है तब यह पहले से सेट किये गए इंस्ट्रक्शन का पालन करता है ताकि प्रॉफिट को उस स्पीड और फ्रीक्वेंसी से जेनेरेट कर सकें जो एक इंसान के लिए संभव न हो।
आप इसमें अपना खुद का एल्गोरिदम बना सकते हैं और इसे खरीदने या बेचने के सिग्नल को जेनेरेट करने के लिए इसे डेप्लॉय कर सकते हैं, लेकिन ऑर्डर प्लेस करते समय आपको खुद भी इसमें आने की ज़रूरत होती है क्योंकि रिटेल ट्रेडर्स को पुरे ऑटोमेशन की परमिशन नहीं होती है।
जो ट्रेडर्स इस सुविधा का इस्तेमाल करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें कोडिंग और तकनीकी शब्दजाल नहीं समझ में आतें हैं, वह Streak by Zerodha का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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एल्गो ट्रेडिंग (Algo Trading) पर सेबी ने प्रस्ताव पेश किया, जानिए क्या होती है एल्गो ट्रेडिंग?
ब्रोकरेज हाउसेज के अनुसार, सेबी द्वारा एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) से उत्पन्न होने वाले सभी ऑर्डर को एल्गोरिथम या एल्गो ऑर्डर के रूप में मानने का प्रस्ताव भारत में इस तरह के व्यापार के विकास में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
मुख्य बिंदु
- एल्गो ट्रेडिंग का अर्थ उस ऑर्डर से है जो स्वचालित निष्पादन तर्क (automated execution logic) का उपयोग करके उत्पन्न होता है।
- एल्गो ट्रेडिंग सिस्टम लाइव स्टॉक की कीमतों पर स्वचालित रूप से नज़र रखता है और सभी मानदंडों को पूरा करने पर एक ऑर्डर शुरू करता है।
- यह प्रणाली ट्रेडर को लाइव स्टॉक की कीमतों की निगरानी से मुक्त करती है।
ब्रोकरेज हाउसेज ने क्या चिंता जताई है?
ब्रोकरेज हाउसेज का विचार है कि एल्गो बाजार को विनियमित करने की आवश्यकता है। क्योंकि कुछ वेंडर्स द्वारा किए गए झूठे वादों के चलते कई निवेशकों ने काफी पैसा खो दिया है। हालांकि, कुछ चुनिन्दा बुरे मामलों से निपटने के लिए, सेबी के नियम बाधाएं डाल रहा है जो भारत में एल्गो ट्रेडिंग के विकास को प्रतिबंधित कर सकता है।
एल्गोरिथम ट्रेडिंग ( Algorithmic Trading)
एल्गोरिथम ट्रेडिंग मूल्य, समय और मात्रा जैसे चर (variables) के लिए स्वचालित पूर्व-प्रोग्राम किए गए ट्रेडिंग निर्देशों (automated pre-programmed trading instructions) का उपयोग करके ऑर्डर प्लेस करने का एक तरीका है। इस तरह की ट्रेडिंग मानव व्यापारियों के मुकाबले कंप्यूटर की गति और कम्प्यूटेशनल संसाधनों का लाभ उठती है। यह रिटेल ट्रेडर्स और साथ ही संस्थागत व्यापारियों (institutional traders) में काफी लोकप्रिय हो रहा है। इसका उपयोग निवेश बैंकों, म्यूचुअल फंड, पेंशन फंड और हेज फंड द्वारा किया जाता है। 2019 के एक अध्ययन के अनुसार, विदेशी मुद्रा बाजार में लगभग 92% ट्रेडिंग ट्रेडिंग एल्गोरिदम द्वारा की गई थी।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ( Securities and Exchange Board of India – SEBI )
सेबी भारत में प्रतिभूतियों और कमोडिटी बाजार के लिए नियामक निकाय है। यह वित्त मंत्रालय के स्वामित्व में काम करता है। सेबी को 12 अप्रैल, 1988 को गैर-सांविधिक निकाय के रूप में स्थापित किया गया था। इसे वैधानिक अधिकार दिए गए थे और सेबी अधिनियम, 1992 द्वारा 30 जनवरी 1992 को यह स्वायत्त निकाय बन गया था।
Explainer : क्या है अल्गो ट्रेडिंग और सेबी के किस नियम से ब्रोकर्स में मचा हड़कंप, क्या इस ट्रेडिंग से मिलता है तय रिटर्न?
सेबी ने अल्गो ट्रेडिंग को लेकर ब्रोकर्स के लिए नियम बना दिए हैं.
सेबी ने हाल में ही अल्गो ट्रेडिंग को लेकर नियम बनाया है. देश में तेजी से बढ़ रही इस ट्रेडिंग को लेकर अभी तक कोई रेगुले . अधिक पढ़ें
- News18Hindi एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है
- Last Updated : September 07, 2022, 15:15 IST
हाइलाइट्स
पिछले सप्ताह बाजार नियामक सेबी ने इसे लेकर कुछ नियम बना दिए हैं.
स्टॉक की खरीद-फरोख्त पूरी तरह कंप्यूटर के जरिये की जाती है.
इसमें जैसे ही आप बटन दबाते हैं, कंप्यूटर ट्रेडिंग शुरू कर देता है.
नई दिल्ली. अग्लो ट्रेडिंग जिसका पूरा नाम अल्गोरिदम ट्रेडिंग (Algorithm Trading) है, यह वैसे तो भारत में नया कॉन्सेप्ट है लेकिन इसका इस्तेमाल साल 2008 से ही होता रहा है.
अल्गो ट्रेडिंग को लेकर अभी तक ब्रोकर तय रिटर्न का दावा करते थे, लेकिन पिछले सप्ताह बाजार नियामक सेबी ने इसे लेकर कुछ नियम बना दिए हैं और इसके बाद से ट्रेडिंग की इस नई विधा पर बहस भी शुरू हो गई है. इस बहस को हवा तब मिली जब जिरोधा के फाउंडर निखिल कामत ने अल्गो ट्रेडिंग के तय रिटर्न वाले दावे पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा, अभी तक इसे लेकर काफी भ्रम फैलाया जा चुका है.
कैसे होती है अल्गो ट्रेडिंग
अल्गो ट्रेडिंग में स्टॉक की खरीद-फरोख्त पूरी तरह कंप्यूटर के जरिये की जाती है. इसमें स्टॉक चुनने के लिए जिस गणना का उपयोग होता है, वह भी कंप्यूटर द्वारा ही किया जाता है. इसीलिए इसका नाम ऑटोमेटेड या प्रोग्राम्ड ट्रेडिंग भी है. इसके एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है लिए कंप्यूटर में पहले से ही अलग-अलग पैरामीटर्स के हिसाब से गणनाएं फीड की जाती हैं. साथ ही स्टॉक को खरीदना या बेचना है उसका निर्देश, शेयर बाजार का पैटर्न और सभी नियम व शर्ते भी पहले से फीड कर दी जाती हैं. जैसे ही आप बटन दबाते हैं, कंप्यूटर ट्रेडिंग शुरू कर देता है.
इस सिस्टम का लिंक स्टॉक एक्सचेंज के सर्वर से जुड़ा होता है, लिहाजा बाजार की पल-पल की अपडेट भी मिलती रहती है. इसकी मदद से ट्रेडिंग का समय काफी बच जाता है और ब्रोकर को भी सही स्टॉक चुनने में मदद मिलती है. यही कारण है कि अभी तक ब्रोकर यह दावा करते थे कि अल्गो ट्रेडिंग के जरिये तय रिटर्न मिलना आसान है. उनका तर्क था कि यह सिस्टम किसी स्टॉक की भविष्य की संभावनाओं और पुराने प्रदर्शन का सही व सटीक आकलन कर सकता है.
क्यों पड़ी सेबी की निगाह
बाजार नियामक सेबी ने दिसंबर, 2021 में ही कहा था कि वह जल्द ही अल्गो ट्रेडिंग को लेकर कुछ नियम बनाने वाला है. सेबी के दखल देने की सबसे बड़ी वजह यह है कि अभी भारतीय शेयर बाजार में होने वाली करीब 50 फीसदी ट्रेडिंग इसी विधा के जरिये की जाती है. इससे पहले तक यह ट्रेडिंग पूरी तरह नियंत्रण से बाहर थी, लेकिन अब सेबी ने इसे लेकर कुछ नियम बना दिए हैं.
क्या है सेबी का नया नियम
बाजार नियामक ने पिछले सप्ताह एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा कि जो भी ब्रोकर अल्गो ट्रेडिंग की सेवाएं देते हैं, वे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष किसी भी रूप में स्टॉक के पुराने प्रदर्शन या भविष्य की संभावनाओं की जानकारी अपने उत्पाद के साथ नहीं दे सकेंगे. यह कदम ब्रोकर्स के उन दावों के बाद उठाया गया है, जिसमें अल्गो ट्रेडिंग की मदद से निवेशकों को तय और ऊंचे रिटर्न का झांसा दिया जाता था.
सेबी ने अपने सर्कुलर में यह भी कहा है कि अगर कोई ब्रोकर या उससे जुड़ी फर्म ने अपनी वेबसाइट या अन्य किसी माध्यम से किए गए प्रचार-प्रसार में अल्गो ट्रेडिंग से जुड़े इन कयासों का उल्लेख किया है तो सर्कुलर जारी होने के 7 दिन के भीतर उसे हटा दिया जाना चाहिए. निवेशकों के हितों को देखते हुए ब्रोकर भविष्य में ऐसा कोई प्रलोभन नहीं दे सकेंगे.
क्या सच में फायदेमंद है अल्गो ट्रेडिंग
भारतीय शेयर बाजार में अल्गो ट्रेडिंग का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है और अब तो आधे से ज्यादा ब्रोकर इसी का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में यह तो तय है कि अल्गो ट्रेडिंग कुछ फायदेमंद है, लेकिन इसका सही उपयोग तभी किया जा सकता है, जबकि ब्रोकर को कुछ सटीक जानकारियां मिल सकें. इसमें स्टॉक की हिस्ट्री, उसके आंकड़ों का वेरिफिकेशन और रिस्क मैनेजमेंट की गणना सबसे जरूरी है.
क्यों बढ़ रहा इसका चलन
1-हिस्ट्री की सही समीक्षा : सबसे जरूरी है कि किसी स्टॉक के पिछले प्रदर्शन की सही समीक्षा और उसके बाजार पैटर्न को समझकर ही उसके भविष्य में प्रदर्शन का आकलन लगाना चाहिए, जो कंप्यूटर बेहतर तरीके से करता है.
2-गलतियों की कम गुंजाइश : अल्गो ट्रेडिंग का पूरा काम कंप्यूटर के जरिये होता है. ऐसे में ह्यूमन एरर जैसी चीजों की आशंका शून्य हो जाती है. साथ ही यह रियल टाइम के प्रदर्शन के आधार पर भी स्टॉक का चुनाव कर सकता है.
3-भावनात्मक प्रभाव में एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है कमी : अल्गो ट्रेडिंग में किसी स्टॉक का चुनाव करते समय मानवीय भावनाएं आती हैं, क्योंकि इसकी गणना और चुनाव पूरी तरह से मशीन के हाथ में होता है.
4-ज्यादा रणनीति का सृजन : कंप्यूटर एल्गोरिद्म के जरिये एक ही समय में सैकड़ों रणनीति बनाई जा सकती है. इससे आपका जोखिम प्रबंधन मजबूत होता है और निवेश पर ज्यादा रिटर्न कमाने के कई रास्ते खुलते हैं.
5-एरर फ्री ट्रेडिंग : अल्गो ट्रेडिंग पूरी तरह मशीन पर आधारित होने के नाते इसके जरिये गलत ट्रेडिंग या मानवीय गलतियों की आशंका भी खत्म हो जाती है. यही कारण है कि खुदरा निवेशकों में भी अब अल्गो ट्रेडिंग का चलन बढ़ रहा है.
इसके नुकसान भी हैं
-अल्गो ट्रेडिंग में बिजली की खपत ज्यादा होती है और पावर बैकअप न होने पर कंप्यूटर क्रैश भी हो सकता है. इससे गलत ऑर्डर, डुप्लिकेट ऑर्डर या फिर लापता ऑर्डर भी हो सकते हैं.
-ट्रेडिंग के लिए बनाई जा रही रणनीति और उसकी वास्तविक रणनीति के बीच अंतर हो सकता है. कई बार कंप्यूटर में खराबी की वजह से भी ऐसी स्थिति आ सकती है.
-कंप्यूटर आपको कई रणनीति और रिटर्न का कैलकुलेशन और रास्ता बताएगा, जो आपका नुकसान भी करा सकता है, क्योंकि बाजार की वास्तविक स्थितियां मशीनी रणनीति से अलग हो सकती हैं.
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Algo trading meaning in hindi ?Algo trading क्या है?
Algo trading kya hoti hai ? एल्गोरिथम ट्रेडिंग / Algo trading के लिए एल्गोरिदम का उपयोग करते हैं । एल्गोरिथम ट्रेडिंग(Algo trading) का उपयोग ऑर्डर खरीदने और बेचने दोनों में किया जाता है। एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग भविष्य की कीमतों, ट्रैंड और मुवमेंट की भविष्यवाणी करने के लिए एल्गोरिदम का उपयोग करते हैं।
एक एल्गोरिथम एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम में लिखा जाएगा जो एक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से ट्रेडों को क्रियान्वयन करता है। कार्यक्रम में उच्च संभावना वाले ट्रेडों की पहचान करने के साथ-साथ लाभ लक्ष्य निर्धारित करने और ट्रेडिंग जोखिम प्रबंधन प्रदान करने के लिए नियम निर्धारित होंगे।
Algo trading क्या है?
Algo trading kya hoti hai ? -यानी एल्गोरिथमिक ट्रेडिंग है वहां पर वह कंप्यूटर आपके इस फार्मूले को आपका आदेश मानता है और उसके हिसाब से ट्रेड करता है जब आप उसे कहते हैं।
इस लेवल के नीचे कितनी क्वांटिटी सेल कर दीजिए वह सेल कर देता है आप उसे किस लेवल के ऊपर कितनी क्वांटिटी ले लीजिए वह ले लेता है आप उसको कहते हैं यह मेरा तो आपके स्टाफ का पालन करता है यानी कि आप जोड़ सकते हैं अपने ट्रेड से आप मुझको एक फार्मूले के रूप में लिख देते हैं और उसको कंप्यूटर में डाल देते हैं
कंप्यूटर आप की जगह ट्रेड करता है और आप एकदम से फ्री हो जाते हैं तो दोस्तों सुनने में तो यह बहुत आसान लगता है कि यह तो बहुत ही अच्छी चीज है कि हम 1 फार्मूला लिखकर कंप्यूटर में डाल दें तो हमारी जगह कंप्यूटर काम करेगा और हम ट्रेडिंग से फ्री हो सकते हैं
लेकिन यह इतना आसान नहीं है क्योंकि इसके अंदर एक तो आपको काफी हाई एंड प्रोग्राम लिखने होते हैं इसके अलावा आपको उस ब्रोकर के साथ काम करना होता है जिसके पास में nse की परमिशन है कि वह एल्गोरिदम ट्रेडिंग कर सकते हैं।
Algo trading फायदे क्या क्या है | Benefits of algo trading .
Algo trading
इसके फायदे क्या क्या है तो इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें इमोशनलेस ट्रेडिंग होती है यानी कंप्यूटर को नहीं पता कि मार्केट कहां जा रही है स्टॉक कैसे जाएगा उसमें ग्रीड और फियर नहीं है हम लोग लालच के कारण ले लेते हैं और फिर के कारण बेच देते हैं ।
लेकिन कंप्यूटर के अंदर तो ना लालच होता है ना डर होता है उसका जब तक सर्टन लेवल नहीं कटेगा उसका जब तक सेंटर लेवल ऊपर तक नहीं कटेगा ना तो वह बेचेगा और ना वो खरीदेगा उसमें इमोशंस नहीं होते उसको नहीं पता कौन सी सरकार बन रही है उसको नहीं पता यूएस में क्या हो रहा है उसको नहीं बताया क्या हो रहा है।
आप बहुत ही high-frequency ट्रेड कर सकते हैं यानी कि आप हर 2 मिनट में 3 मिनट में 5 मिनट में 1 घंटे में आप किसी भी टाइम फ्रेम में चाहे ट्रेड डाल सकते हैं और उसको काट सकते हैं जबकि ह्यूमन अगर चाहता है कि वह इतने छोटे टाइम फ्रेम में इतने ज्यादा सौदों को ले और इतने ज्यादा सौदों को बेचे तो उसके लिए बहुत बड़ी प्रॉब्लम है तो जो भी लोग बहुत बड़ी क्वांटिटी में काम करते हैं।
या बहुत ज्यादा सौदों करते हैं उन लोगों के लिए एल्गोरिथमिक ट्रेडिंग बहुत ही अच्छी रहती है और हमारे इंडिया में भी और बाहर भी आजकल इसकी बहुत ज्यादा शुरुआत हो चुकी।
Algo trading नुकसान क्या क्या है | Disadvantages of algorithmic trading.
इसके नुकसान क्या क्या है इसके नुकसान यह है कि इसमें कोई मार्केट को ऊपर की तरफ जा रही हो या नीचे की तरफ जा रहे हो तभी आपको ज्यादा पैसा कमा कर दे सकता है वरना साइड भेज मार्केट मैं हमेशा दिक्कत आएगी
जब मार्केट साइड वेज में होती है एक रेंज में बनी होती है तब उसके बार-बार स्टॉप लोस्स हिट होते हैं आपने अगर एक ऐसा फार्मूला लिखा हुआ है कि इस के नीचे बाय कर लीजिए उसके ऊपर सेल कर दीजिए तो वह उस रेंज में बार-बार ऊपर नीचे जाएगा और बार-बार आपके स्टॉपलॉस हिट होंगे एल्गोरिथमिक ट्रेडिंग साइड वेज मार्केट में बिल्कुल यूज़ लेस है और इसका कोई भी इस्तेमाल नहीं है
इसीलिए जो लोग एल्गो ट्रेडिंग करते हैं वह जब जाकर नेट में देखते हैं तो उनको भी बहुत ज्यादा प्रॉफिट नहीं आया होता क्योंकि ट्रेड के अंदर जो प्रॉफिट आता है उस साइड वेज मार्केट में सारा चला जाता है और आप उसको यह भी नहीं कह सकते क्या साइड वेज मार्केट में ट्रैड मत कीजिए क्योंकि वह कोई इंसान नहीं है
इसीलिए देखने में आता है कि एल्गो ट्रेडिंग ज्यादा तर HNI कैटेगरी के लोग या बहुत बड़े-बड़े इस्टीट्यूशन्स या FII करते हैं क्योंकि इसके लिए बहुत बड़े सिस्टम चाहिए और उसके लिए आपको जो फार्मूला लिखना होगा वह भी काफी एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है हद तक एक्यूरेट होना चाहिए क्योंकि अगर आपने हल्का-फुल्का भी कुछ छोड़ दिया उसमें आप को बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है
इस फार्मूले को आपको पिछले कई सालों में जाकर चेक करना पड़ता है कि अगर यह पिछले 8 साल में 5 साल में मैंने इससे काम किया होता तो मेरे हाथ में क्या आता ।बहुत सारे प्रॉब्लम है जिनके कारण एल्गो ट्रेडिंग हर आदमी नहीं कर सकता और रिटेल इन्वेस्टर के लिए तो सबसे बड़ी दिक्कत की बात यह है कि उसका
उसका ट्रेड बहुत ही छोटे छोटे साइज का होता है और उसकी टोटल इन्वेस्टमेंट भी बहुत ज्यादा नहीं होती है।
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