KYC रेगुलेशन का मामला कैसे निपटाएं?
बच्चे के नाम पर निवेश करने के लिए बच्चे की उम्र और बच्चे के साथ आपके रिश्ते के सबूत के वैध दस्तावेज पेश करने होंगे। इसके अलावा आपको एज प्रूफ के रूप में बर्थ सर्टिफिकेट, पासपोर्ट आदि की कॉपी देनी होगी, जिसमें बच्चे की जन्म तिथि दर्ज हो और नाबालिग बच्चे के साथ अभिभावक (नेचुरल या लीगल गार्जियन) के संबंध की जानकारी हो। ऐसी जानकारी पहले निवेश के वक्त या फोलियो खोलते वक्त देनी होगी। इसी फंड हाउस के इसी फोलियो में बाद में किए जाने वाले निवेश के वक्त ऐसे दस्तावेजों की जरूरत नहीं होगी। गार्जियन के लिए नो योर कस्टमर से जुड़े रेगुलेशंस का पालन करना जरूरी है। अगर निवेश पैरेंट्स के बैंक अकाउंट के जरिए किया जाना हो तो आपको थर्ड पार्टी डिक्लरेशन फॉर्म भी जमा करना होगा। आप इन ट्रांजैक्शंस को अपने बच्चे के बैंक अकाउंट से सीधे भी कर सकते हैं।

क्या है SIP के जरिए Mutual Fund में निवेश का सही तरीका? कैसे बनें स्मार्ट इन्वेस्टर

Mutual Fund में SIP या दूसरे तरीकों से निवेश का मतलब यही है कि बुरे वक्त में निवेश जारी रखा जा सके। स्मार्ट इन्वेस्टर इस बात का अनुमान नहीं लगाते कि मार्केट किस दिशा में जा रहे हैं। वो निवेश का सही जरिया तलाश लेते हैं।

धीरेंद्र कुमार, नई दिल्ली। कंपनी की बुनियादी बातों पर ध्यान देने वाले उनके लाभ, वृद्धि, मूल्यांकन जैसी बातों को अच्छी तरह से जानते हैं। यह सब जानना-समझना ही कई साल के निवेश में सही नतीजे देता है। यह बातें किसी एक दिन का नंबर तय नहीं करतीं। स्क्रीन पर नजर आने वाले नंबर मौजूदा दामों पर होने वाली सप्लाई और डिमांड के आधार पर तय होते हैं।

डिमांड ज्यादा होने पर दाम तब तक ऊपर जाते हैं जब तक दोनों एक ही स्तर पर नहीं आ जाते। यही माइक्रो-इकोनमिक्स की सबसे बुनियादी बात है। शेयर मार्केट एक शानदार प्रयोगशाला है जिसमें इसी का अध्ययन होता है।

शेयर मार्केट में बदलाव अचानक क्यों होते हैं

असल अर्थव्यवस्था में सप्लाई-डिमांड और धन की सप्लाई में मायने रखने वाला बदलाव कई महीनों या वर्षों में आता है। शेयर मार्केट में यह कुछ ही दिनों, घंटों या मिनटों और सेकेंडों में हो जाता है। बुनियादी कारकों के आधार पर चलने वाले निवेशक जिन बातों पर भरोसा करते हैं वो केंद्र में बनी रहती क्या म्यूच्यूअल फंड्स में रोज़ निवेश करना चाहिए? हैं, मगर शार्ट-टर्म के बदलावों का चक्र अलग होता है।

आखिर इन शार्ट-टर्म बदलावों को क्या क्या म्यूच्यूअल फंड्स में रोज़ निवेश करना चाहिए? ड्राइव करता है? कभी आप टीवी पर कोई बिजनेस चैनल खोलें या किसी न्यूज वेबसाइट को देखें तो पाएंगे कि हाल ही के किसी आकंड़े या घटना का कारण बताया जाएगा। इसमें, तेल के दाम, ब्याज दर, राजनीतिक घटनाएं या कुछ भी हो सकता क्या म्यूच्यूअल फंड्स में रोज़ निवेश करना चाहिए? है।

बाजार कैसे अपनी दिशा बदलता है

असल में ज्यादातर को इन बदलावों के कारण और तर्क पता नहीं होते। सच तो ये है कि इनका पता नहीं लगाया जा सकता। जो कारण आपको मीडिया और सोशल मीडिया से पता चलते हैं, वो घटना के बाद की ईजाद होते हैं। जो स्टाक में निवेश करते हैं उनके पास दूसरी कई तरह की जानकारियों पर आधारित विश्लेषण होते हैं, जो इससे भी विस्तृत होते हैं। आप कैसे अनुमान लगाएंगे कि मार्केट ऊंचाई पर हैं या नीचे।

अनुमान पर आधारित आंकड़े या मान्यताओं पर बने नियमों को यह कह कर प्रमोट किया जाता है कि मार्केट इतना ऊंचा है कि वो अब जल्द ही गिरने वाला है या फिर इतने नीचे है कि अब बढ़ना शुरू हो जाएगा। मिसाल के तौर पर- रिकार्ड हाई वैल्युएशन, इक्विटी में बड़ी संख्या में नए निवेशकों का आना, इक्विटी मार्केट में वाल्यूम का ज्यादा होना और इसी तरह की दूसरी स्थितियां मार्केट के शीर्ष पर होने के संकेत माने जाते हैं। मार्केट का नीचे होना इन सब बातों का उलटा होना होता है। आपको क्या लगता है कि ये संकेत काम आते हैं। काम आने से मतलब है कि इन संकेतों से आप जान सकें कि मार्केट अपनी दिशा बदलेगा।

Mutual Fund : 500 रुपए के नियमित निवेश से बना सकते हैं लाखों रुपए का फंड, समझिए निवेश का पूरा गणित

 अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करने जा रहे हैं तो पहले वित्तीय लक्ष्य यानी फाइनेंशियल टार्गेट तय करें.

अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करने जा रहे हैं तो पहले वित्तीय लक्ष्य यानी फाइनेंशियल टार्गेट तय करें.

आम तौर पर म्यूचुअल फंड स्कीम 12-13 फीसदी सालाना रिटर्न दे देती हैं. अगर आपके हाथ कोई अच्छी स्कीम लग गई तो यह रिटर्न 15 . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : June 15, 2022, 06:50 IST

Mutual Fund SIP : म्यूचुअल फंड में निवेश का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है. आंकड़े भी बता रहे हैं कि महीने दर महीने म्यूचुअल फंड और एसआईपी में निवेश लगातार बढ़ रहा है. एफडी पर घटते रिटर्न की वजह से इस तरफ लोगों का आकर्षण बढ़ा है. आम तौर पर म्यूचुअल फंड स्कीम 12-13 फीसदी सालाना रिटर्न दे देती हैं. अगर आपके हाथ कोई अच्छी स्कीम लग गई तो यह रिटर्न 15 से 24 फीसदी तक भी पहुंच जाता है. आइए अब यहां चर्चा करते हैं कि कैसे 500 रुपए की एसआईपी से आप एक करोड़ का फंड बना सकते हैं.

मान लीजिए एसआईपी के तहत आप हर रोज 200 रुपए यानी महीने का 6000 रुपए निवेश करते हैं. अगर आपके फंड पर 12 फीसदी का रिटर्न माना जाए तो आप 21 साल में 68.3 लाख रुपए का फंड तैयार कर सकते हैं. तमाम इंवेस्टमेंट वेबसाइटों पर म्यूचु्अल फंड एसआईपी कैल्कुलेटर का विकल्प होता है जिससे आप ये देख सकते हैं कि कितना पैसा जमा करने पर कितने साल में कितना फंड तैयार होता है.

Mutual Fund : 500 रुपए के नियमित निवेश से बना सकते हैं लाखों रुपए का फंड, समझिए निवेश का पूरा गणित

 अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करने जा रहे हैं तो पहले वित्तीय लक्ष्य यानी फाइनेंशियल टार्गेट तय करें.

अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करने जा रहे हैं तो पहले क्या म्यूच्यूअल फंड्स में रोज़ निवेश करना चाहिए? वित्तीय लक्ष्य यानी फाइनेंशियल टार्गेट तय करें.

आम तौर पर म्यूचुअल फंड स्कीम 12-13 फीसदी सालाना रिटर्न दे देती हैं. अगर आपके हाथ कोई अच्छी स्कीम लग गई तो यह रिटर्न 15 . अधिक पढ़ें

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  • Last Updated : June 15, 2022, 06:50 IST

Mutual Fund SIP : म्यूचुअल फंड में निवेश का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है. आंकड़े भी बता रहे हैं कि महीने दर महीने म्यूचुअल फंड और एसआईपी में निवेश लगातार बढ़ रहा है. एफडी पर घटते रिटर्न की वजह से इस तरफ लोगों का आकर्षण बढ़ा है. आम तौर पर म्यूचुअल फंड स्कीम 12-13 फीसदी सालाना रिटर्न दे देती हैं. अगर आपके हाथ कोई अच्छी स्कीम लग गई तो यह रिटर्न 15 से 24 फीसदी तक भी पहुंच जाता है. आइए अब यहां चर्चा करते हैं कि कैसे 500 रुपए की एसआईपी से आप एक करोड़ का फंड बना सकते हैं.

मान लीजिए एसआईपी के तहत आप हर रोज 200 रुपए यानी महीने का 6000 रुपए निवेश करते हैं. अगर आपके फंड पर 12 फीसदी का रिटर्न माना जाए तो आप 21 साल में 68.3 लाख रुपए का फंड तैयार कर सकते हैं. तमाम इंवेस्टमेंट वेबसाइटों पर म्यूचु्अल फंड एसआईपी कैल्कुलेटर का विकल्प होता है जिससे आप ये देख सकते हैं कि कितना पैसा जमा करने पर कितने साल में कितना फंड तैयार होता है.

बच्चे के लिए कर रहे हैं म्यूचुअल फंड में निवेश, तो गार्जियन का नो योर क्या म्यूच्यूअल फंड्स में रोज़ निवेश करना चाहिए? कस्टमर से जुड़े रेगुलेशंस का पालन करना जरूरी

यूटिलिटी डेस्क. जन्मदिन के मौके पर, किसी कॉम्पिटीशन में अच्छी रैंक लाने पर, खेल प्रतियोगिता में धाक जमाने पर या ऐसे क्या म्यूच्यूअल फंड्स में रोज़ निवेश करना चाहिए? ही कुछ खुशगवार मौकों पर कई बच्चों को गिफ्ट के रूप में पैसे भी मिलते क्या म्यूच्यूअल फंड्स में रोज़ निवेश करना चाहिए? हैं। इस पैसे को यूं ही पड़े रहने देने के बजाय कई पैरेंट्स ऐसी बचत को म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने लगे हैं। देखते हैं कि कोई बच्चा म्यूचुअल फंड स्कीम में किस तरह निवेश कर सकता है।

नाबालिग के लिए MF निवेश कैसे करें?
नाबालिग यानी 18 साल से कम उम्र के बच्चे के नाम पर ऐसा निवेश किया जा सकता है। इसमें न तो उम्र की कोई सीमा है और न ही निवेश की जाने वाली रकम की। ऐसे फोलियो में बच्चा ही पहला और इकलौता होल्डर होना चाहिए। ऐसे फोलियो में जॉइंट होल्डर की इजाजत नहीं होगी। ऐसे फोलियो में अभिभावक या तो पैरेंट हों यानी माता या पिता में से कोई एक हों या कोर्ट की ओर से नियुक्त लीगल गार्जियन भी हो सकते हैं।

क्या आपको म्यूचुअल फंड के डेली सिप में निवेश करना चाहिए?

क्या आपको म्यूचुअल फंड के डेली सिप में निवेश करना चाहिए?

बजाज कैपिटल के सीनियर वीपी और हेड (इन्वेस्टमेंट क्या म्यूच्यूअल फंड्स में रोज़ निवेश करना चाहिए? एनालिटिक्स) अलोक अग्रवाल ने कहा कि दिहाड़ी मजदूर जैसे कम आय वर्ग के लोगों के हिसाब से ये प्लान बेहतरीन हो सकते हैं. उन्होंने कहा, 'इन लोगों के हिसाब से जरूरी है कि वे अपने आय का एक नियमित हिस्सा बचत करें. इस तरह क्या म्यूच्यूअल फंड्स में रोज़ निवेश करना चाहिए? के विकल्प के अभाव में वे रोज की कमाई को रोज खर्च कर देते क्या म्यूच्यूअल फंड्स में रोज़ निवेश करना चाहिए? क्या म्यूच्यूअल फंड्स में रोज़ निवेश करना चाहिए? हैं. इस तरह उनके पास महीने के आखिर में कुछ नहीं बचता.'

सिप म्यूचुअल फंड में निवेश का एक अनुशासित माध्यम है. इसमें नियमित अंतराल के बाद बैंक अकाउंट से रकम म्यूचुअल फंड में ट्रांसफर हो जाता है. लंबी अवधि में इससे बाजार के उतार-चढ़ाव के हिसाब से निवेश की लागत को औसत करने में भी मदद मिलती है.

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